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वकीलों के ड्रेस कोड पर विचार के लिए बार काउंसिल ने बनाई कमेटी - हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में वकीलों के मौजूदा ड्रेस कोड पर विचार के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) ने कमेटी का गठन किया है.

advocates dress code
वकीलों का ड्रेस कोड.
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Published : Apr 8, 2022, 10:06 PM IST

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में वकीलों के मौजूदा ड्रेस कोड को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) ने जवाबी हलफनामा दाखिल किया है. दाखिल हलफनामा में बताया कि ड्रेस कोड पर विचार के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के बाद अपनी रिपोर्ट बार काउंसिल को देगी.

स्थानीय अधिवक्ता अशोक पांडेय ने याचिका दाखिल कर बार काउंसिल के द्वारा बनाए गए इस नियम को चुनौती दी है. जिसमें अधिवक्ताओं के कोर्ट रूम में उपस्थित होते समय काला कोट, गाउन व बैंड धारण करने का प्रावधान है. उन्होंने दलील दी है कि बार काउंसिल द्वारा बनाया गया यह नियम एडवोकेट्स एक्ट के माध्यम से बनाए गए कानून का उल्लंघन करता है. अधिवक्ताओं के लिए ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया को देते हुए, यह प्रावधान किया गया था कि अधिवक्ताओं के लिए ड्रेस निर्धारण करते समय क्लाइमेटिक कंडीशन (जलवायु) का ध्यान रखा जाएगा. लेकिन बार काउंसिल ने पूरे देश के लिए और 12 महीने के लिए एक ही ड्रेस का निर्धारण कर दिया.

इसे भी पढ़ें-केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा के खिलाफ अपील पर 16 मई को अंतिम सुनवाई, हत्या के मुकदमे में बरी होने के फैसले को दी गई है चुनौती

दलील दी गई कि भारत में जहां तमाम क्षेत्रों में 9 महीने और कुछ क्षेत्रों में 12 महीने गर्मी पड़ती है. वहां काला कोट और गाउन पूरे साल भर के लिए निर्धारित करना एडवोकेट्स एक्ट के सम्बंधित प्रावधान और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है. याचिका में यह भी कहा गया है कि वकील जो बैंड लगाते हैं, उन्हें ईसाई देशों में प्रीचिंग बैंड कहा गया है, जिसे बड़े ईसाई धर्म गुरु तब धारण करते हैं जब वे धार्मिक प्रवचन देते हैं. ऐसे में यह बैंड ईसाई धर्म का आवश्यक प्रतीक चिह्न है, इसलिए इसे सभी अधिवक्ताओं को पहनने का नियम बनाना विधिपूर्ण नहीं है.

लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of High Court) में वकीलों के मौजूदा ड्रेस कोड को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर बार काउंसिल ऑफ इंडिया (Bar Council of India) ने जवाबी हलफनामा दाखिल किया है. दाखिल हलफनामा में बताया कि ड्रेस कोड पर विचार के लिए पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है, इस मुद्दे पर विचार-विमर्श के बाद अपनी रिपोर्ट बार काउंसिल को देगी.

स्थानीय अधिवक्ता अशोक पांडेय ने याचिका दाखिल कर बार काउंसिल के द्वारा बनाए गए इस नियम को चुनौती दी है. जिसमें अधिवक्ताओं के कोर्ट रूम में उपस्थित होते समय काला कोट, गाउन व बैंड धारण करने का प्रावधान है. उन्होंने दलील दी है कि बार काउंसिल द्वारा बनाया गया यह नियम एडवोकेट्स एक्ट के माध्यम से बनाए गए कानून का उल्लंघन करता है. अधिवक्ताओं के लिए ड्रेस निर्धारित करने का अधिकार बार काउंसिल ऑफ इंडिया को देते हुए, यह प्रावधान किया गया था कि अधिवक्ताओं के लिए ड्रेस निर्धारण करते समय क्लाइमेटिक कंडीशन (जलवायु) का ध्यान रखा जाएगा. लेकिन बार काउंसिल ने पूरे देश के लिए और 12 महीने के लिए एक ही ड्रेस का निर्धारण कर दिया.

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दलील दी गई कि भारत में जहां तमाम क्षेत्रों में 9 महीने और कुछ क्षेत्रों में 12 महीने गर्मी पड़ती है. वहां काला कोट और गाउन पूरे साल भर के लिए निर्धारित करना एडवोकेट्स एक्ट के सम्बंधित प्रावधान और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 व 21 का उल्लंघन है. याचिका में यह भी कहा गया है कि वकील जो बैंड लगाते हैं, उन्हें ईसाई देशों में प्रीचिंग बैंड कहा गया है, जिसे बड़े ईसाई धर्म गुरु तब धारण करते हैं जब वे धार्मिक प्रवचन देते हैं. ऐसे में यह बैंड ईसाई धर्म का आवश्यक प्रतीक चिह्न है, इसलिए इसे सभी अधिवक्ताओं को पहनने का नियम बनाना विधिपूर्ण नहीं है.

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