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केले के रेशे से बने उत्‍पाद अंतरराष्ट्रीय पटल पर घोल रहे मिठास

ओडीओपी योजना के तहत कुशीनगर में केले के तने, रेशे, फल, पत्तियों से बनने वाले विभिन्‍न उत्‍पादों को प्रोत्साहित करने के लिए योगी सरकार की नीतियों ने दस्‍तकारों, शिल्‍पकारों व किसानों की आय को रफ्तार दी है. उत्‍तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के सेवरही ब्‍लॉक के हरिहरपुर गांव के रहने वाले 36 वर्षीय रवि प्रसाद ने ओडीओपी योजना के तहत जिले में केले के रेशे से तमाम तरह के उत्‍पाद बनाने का काम शुरू किया. अब तक 450 महिलाओं और 60 पुरुषों को इस काम से जोड़कर उनको रोजगार की मुख्‍यधारा से जोड़ने का काम किया है.

केले के रेशे से बने उत्‍पाद
केले के रेशे से बने उत्‍पाद
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Published : Feb 9, 2021, 2:25 PM IST

Updated : Feb 12, 2021, 10:54 AM IST

लखनऊः मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की एक जनपद एक उत्‍पाद (ओडीओपी) योजना के तहत प्रदेश के दस्‍तकारों और शिल्‍पकारों के उत्‍पादों को विशिष्‍ट पहचान दिलाने संग आमदनी को बढ़ा कर उनके चेहरों पर मुस्‍कान बिखेरी है. पूर्वी उत्तर प्रदेश की सुनहरी शकरकंद और बुंदेलखंड (झांसी) स्‍ट्राबेरी के बाद अब कुशीनगर जिले में केले के रेशे व केले के कई तरह के उत्‍पाद ओडीओपी योजना के जरिए अन्‍तरराष्ट्रीय पटल पर व्‍यापार में मिठास घोल रहें हैं.

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

ओडीओपी योजना के तहत कुशीनगर में केले के तने, रेशे, फल, पत्तियों से बनने वाले विभिन्‍न उत्‍पादों को प्रोत्साहित करने के लिए योगी सरकार की नीतियों ने दस्‍तकारों, शिल्‍पकारों व किसानों की आय को रफ्तार दी है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के सेवरही ब्‍लॉक के हरिहरपुर गांव के रहने वाले 36 वर्षीय रवि प्रसाद ने ओडीओपी योजना के तहत जिले में केले के रेशे से तमाम तरह के उत्‍पाद बनाने का काम शुरू किया. अब तक 450 महिलाओं और 60 पुरुषों को इस काम से जोड़कर उनको रोजगार की मुख्‍यधारा से जोड़ने का काम किया है.

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे से बने उत्‍पाद


रवि ने कहा कि ओडीओपी योजना शिल्पियों व दस्‍तकारों के लिए वरदान साबित हुई है. योगी सरकार ने गांव के हुनर को अन्‍तरराष्ट्रीय स्‍तर पर पहचान दिलाने का काम किया है. प्रदेश में आयोजित किए गए हुनर हाट के जरिए हम लोगों की आमदनी को पंख लगे हैं.

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे से बने उत्‍पाद


कुशीनगर में हजारों हेक्टेयर में केले की खेती

कुशीनगर में लगभग 9000 हेक्‍टेयर में केले की खेती की जा रही है. जिसमें केले की खेती से 9,400 किसान और 500 हस्‍तशिल्‍पी जुड़े हुए हैं. जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्‍साहन केन्‍द्र की ओर से एक जनपद एक उत्‍पाद के तहत केला रेशा व केला उत्‍पाद के लिए जनपद के करीबन 500 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जिसमें 150 लोगों को केले से उत्‍पाद बनाने व 350 लोगों को केले के रेशे से बने उत्‍पादों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है. बता दें कि कुशीनगर में केले के तने, रेशे से करीबन 20 से 25 तरह के उत्‍पादों को तैयार किया जाता है.

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे का कच्चा माल
विदेशों में भी दमक रहे ‘केले के उत्‍पाद’पीएम रोजगार सृजन योजना के तहत पांच लाख रुपये का ऋण लेने के बाद व्‍यापार शुरू करने वाले रवि ने बताया कि ओडीओपी के तहत व्‍यापार को रफ्तार मिली. केले के तने के रेशे से बने इन उत्‍पादों की मांग दूसरे देशों और दूसरे प्रदेशों एवं शहरों मसलन अहमदाबाद, पटना, तमिलनाडु, सूरत समेत ऑस्‍ट्रेलिया से इन उत्‍पादों के कई आर्डर मिलें हैं. लखनऊ में आयोजित हुनर हाट में ओडीओपी योजना के तहत स्‍टॉल लगाने का मौका मिला. इन उत्‍पादों से करीब चार लाख की बिक्री हुई. इसके साथ ही केले से बने इन उत्‍पादों के करीबन दो लाख के आर्डर भी मिले. कोरोना काल के बाद शिल्पियों को मंच देकर योगी सरकार ने उनको सबल दिया है.
आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे से बन रहे उत्‍पाद
अपने गांव में ही मिल रहा अब रोजगार मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के दिशा-निर्देश पर आत्‍मनिर्भर यूपी का संकल्‍प पूरा हो रहा है. योगी सरकार की ओडीओपी योजना दस्‍तकारों व शिल्पियों के लिए वरदान बनी है. रवि ने बताया कि कोरोना काल के बाद भी इस योजना से कारीगरों को सबल मिला है. आज अपने ही गांव में युवाओं, महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. अब तक मैं 500 से ज्यादा लोगों को केले के रेशों से कई तरह के उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दे चुका हूं.

इन उत्पादों के साथ ही केले के अपशिष्‍ट से जैविक खाद बनाता हूं जिससे हम लोगों की फसल 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. उन्‍होंने बताया कि कोरोना काल के बाद तमाम परेशानियों से जूझ रहे दूसरे जिलों के लोगों ने ट्रेनिंग ली और आज वो अपना व्‍यापार सफलतापूर्वक कर रहे हैं.

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे से बने उत्‍पाद
केले के रेशे से बनी कालीन का बोलबाला जिस केले के तने को किसान बेकार समझकर फेंक देते हैं, उस बेकार तने के रेशों से उत्पाद बना रवि निर्यात कर रहें हैं. उन्‍होंने कहा कि हम लोगों की मेहनत अब रंग ला रही है. हमारे द्वारा तैयार उत्‍पादों की मांग ओडीओपी योजना के कारण दोगुनी हो गई है. केले के रेशे से बैग, चप्‍पल, कालीन, मैट बना रहें हैं जो लोगों को खूब पसंद आ रहें हैं.
आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे से बने उत्‍पाद

उन्‍होंने बताया कि केले के रेशे से बनी कालीन की मांग सबसे ज्‍यादा है. एक मेले में ढाई से तीन लाख रुपये तक की बिक्री हो जाती है जिसमें सवा से डेढ़ लाख तक का मुनाफा होता है. इस रेशे के उत्‍पाद बनाने के लिए छोटा र्स्‍टाटअप ढाई लाख व बड़े स्‍टार्टअप में पांच लाख रुपये लग जाते हैं. आमदनी के अनुसार लागत छह महीने या एक साल में निकल आती है.

लखनऊः मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ की एक जनपद एक उत्‍पाद (ओडीओपी) योजना के तहत प्रदेश के दस्‍तकारों और शिल्‍पकारों के उत्‍पादों को विशिष्‍ट पहचान दिलाने संग आमदनी को बढ़ा कर उनके चेहरों पर मुस्‍कान बिखेरी है. पूर्वी उत्तर प्रदेश की सुनहरी शकरकंद और बुंदेलखंड (झांसी) स्‍ट्राबेरी के बाद अब कुशीनगर जिले में केले के रेशे व केले के कई तरह के उत्‍पाद ओडीओपी योजना के जरिए अन्‍तरराष्ट्रीय पटल पर व्‍यापार में मिठास घोल रहें हैं.

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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

ओडीओपी योजना के तहत कुशीनगर में केले के तने, रेशे, फल, पत्तियों से बनने वाले विभिन्‍न उत्‍पादों को प्रोत्साहित करने के लिए योगी सरकार की नीतियों ने दस्‍तकारों, शिल्‍पकारों व किसानों की आय को रफ्तार दी है. उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के सेवरही ब्‍लॉक के हरिहरपुर गांव के रहने वाले 36 वर्षीय रवि प्रसाद ने ओडीओपी योजना के तहत जिले में केले के रेशे से तमाम तरह के उत्‍पाद बनाने का काम शुरू किया. अब तक 450 महिलाओं और 60 पुरुषों को इस काम से जोड़कर उनको रोजगार की मुख्‍यधारा से जोड़ने का काम किया है.

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे से बने उत्‍पाद


रवि ने कहा कि ओडीओपी योजना शिल्पियों व दस्‍तकारों के लिए वरदान साबित हुई है. योगी सरकार ने गांव के हुनर को अन्‍तरराष्ट्रीय स्‍तर पर पहचान दिलाने का काम किया है. प्रदेश में आयोजित किए गए हुनर हाट के जरिए हम लोगों की आमदनी को पंख लगे हैं.

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे से बने उत्‍पाद


कुशीनगर में हजारों हेक्टेयर में केले की खेती

कुशीनगर में लगभग 9000 हेक्‍टेयर में केले की खेती की जा रही है. जिसमें केले की खेती से 9,400 किसान और 500 हस्‍तशिल्‍पी जुड़े हुए हैं. जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्‍साहन केन्‍द्र की ओर से एक जनपद एक उत्‍पाद के तहत केला रेशा व केला उत्‍पाद के लिए जनपद के करीबन 500 लोगों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है. जिसमें 150 लोगों को केले से उत्‍पाद बनाने व 350 लोगों को केले के रेशे से बने उत्‍पादों को बनाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है. बता दें कि कुशीनगर में केले के तने, रेशे से करीबन 20 से 25 तरह के उत्‍पादों को तैयार किया जाता है.

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे का कच्चा माल
विदेशों में भी दमक रहे ‘केले के उत्‍पाद’पीएम रोजगार सृजन योजना के तहत पांच लाख रुपये का ऋण लेने के बाद व्‍यापार शुरू करने वाले रवि ने बताया कि ओडीओपी के तहत व्‍यापार को रफ्तार मिली. केले के तने के रेशे से बने इन उत्‍पादों की मांग दूसरे देशों और दूसरे प्रदेशों एवं शहरों मसलन अहमदाबाद, पटना, तमिलनाडु, सूरत समेत ऑस्‍ट्रेलिया से इन उत्‍पादों के कई आर्डर मिलें हैं. लखनऊ में आयोजित हुनर हाट में ओडीओपी योजना के तहत स्‍टॉल लगाने का मौका मिला. इन उत्‍पादों से करीब चार लाख की बिक्री हुई. इसके साथ ही केले से बने इन उत्‍पादों के करीबन दो लाख के आर्डर भी मिले. कोरोना काल के बाद शिल्पियों को मंच देकर योगी सरकार ने उनको सबल दिया है.
आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे से बन रहे उत्‍पाद
अपने गांव में ही मिल रहा अब रोजगार मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ के दिशा-निर्देश पर आत्‍मनिर्भर यूपी का संकल्‍प पूरा हो रहा है. योगी सरकार की ओडीओपी योजना दस्‍तकारों व शिल्पियों के लिए वरदान बनी है. रवि ने बताया कि कोरोना काल के बाद भी इस योजना से कारीगरों को सबल मिला है. आज अपने ही गांव में युवाओं, महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. अब तक मैं 500 से ज्यादा लोगों को केले के रेशों से कई तरह के उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दे चुका हूं.

इन उत्पादों के साथ ही केले के अपशिष्‍ट से जैविक खाद बनाता हूं जिससे हम लोगों की फसल 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है. उन्‍होंने बताया कि कोरोना काल के बाद तमाम परेशानियों से जूझ रहे दूसरे जिलों के लोगों ने ट्रेनिंग ली और आज वो अपना व्‍यापार सफलतापूर्वक कर रहे हैं.

आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश
केले के रेशे से बने उत्‍पाद
केले के रेशे से बनी कालीन का बोलबाला जिस केले के तने को किसान बेकार समझकर फेंक देते हैं, उस बेकार तने के रेशों से उत्पाद बना रवि निर्यात कर रहें हैं. उन्‍होंने कहा कि हम लोगों की मेहनत अब रंग ला रही है. हमारे द्वारा तैयार उत्‍पादों की मांग ओडीओपी योजना के कारण दोगुनी हो गई है. केले के रेशे से बैग, चप्‍पल, कालीन, मैट बना रहें हैं जो लोगों को खूब पसंद आ रहें हैं.
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केले के रेशे से बने उत्‍पाद

उन्‍होंने बताया कि केले के रेशे से बनी कालीन की मांग सबसे ज्‍यादा है. एक मेले में ढाई से तीन लाख रुपये तक की बिक्री हो जाती है जिसमें सवा से डेढ़ लाख तक का मुनाफा होता है. इस रेशे के उत्‍पाद बनाने के लिए छोटा र्स्‍टाटअप ढाई लाख व बड़े स्‍टार्टअप में पांच लाख रुपये लग जाते हैं. आमदनी के अनुसार लागत छह महीने या एक साल में निकल आती है.

Last Updated : Feb 12, 2021, 10:54 AM IST
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