लखनऊ: राजधानी में हर दिन कोरोना संक्रमितों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही कंटेनमेंट जोन की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है. प्रशासन को इन कंटेनमेंट जोन को सील करने के लिए लगाई गई बांस-बल्लियों का खर्च सताने लगा है. राजधानी में इस समय 1300 से ज्यादा कंटेनमेंट जोन हैं. नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी के मुताबिक हर दिन 200 से 350 के करीब कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़ रही है.
12 लाख हुए खर्च
नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि अभी तक बांस-बल्लियों के किराए पर 12 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. अभी तक किराए पर बांस-बल्लियां लगाई जा रही थीं. अब प्रशासन के निर्देश पर नगर निगम बांस-बल्लियां खरीदने जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि नगर निगम खुद बल्लियां खरीदेगा तो फिजूलखर्च रुक जाएंगे. उन्होंने कहा कि आगे आने वाले 6 महीनों से लेकर एक वर्ष तक यही संभावना है कि कंटेनमेंट जोन बनते रहेंगे.
आगे नहीं ली जाएंगी बांस-बल्लियां
डॉक्टर इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि नगर निगम बल्लियां खरीदने के लिए टेंडर आमंत्रित कर रहा है. इसके बाद किराए की बल्लियां बिल्कुल भी नहीं ली जाएंगी. उन्होंने बताया कि किराए पर बल्लियां उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार प्रति वर्ग फुट के आधार पर शुल्क वसूल रहे हैं.
लखनऊ में कंटेनमेंट जोन, प्रशासन के लिए बांस-बल्लियों का खर्च बना मुसीबत
राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमण के चलते कंटेनमेंट जोन की संख्या भी बढ़ रही है. प्रशासन को इन कंटेनमेंट जोन को सील करने के लिए लगाई गई बांस-बल्लियों का खर्च सताने लगा है.
लखनऊ: राजधानी में हर दिन कोरोना संक्रमितों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही कंटेनमेंट जोन की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है. प्रशासन को इन कंटेनमेंट जोन को सील करने के लिए लगाई गई बांस-बल्लियों का खर्च सताने लगा है. राजधानी में इस समय 1300 से ज्यादा कंटेनमेंट जोन हैं. नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी के मुताबिक हर दिन 200 से 350 के करीब कंटेनमेंट जोन की संख्या बढ़ रही है.
12 लाख हुए खर्च
नगर आयुक्त डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि अभी तक बांस-बल्लियों के किराए पर 12 लाख रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. अभी तक किराए पर बांस-बल्लियां लगाई जा रही थीं. अब प्रशासन के निर्देश पर नगर निगम बांस-बल्लियां खरीदने जा रहा है. उन्होंने कहा कि यदि नगर निगम खुद बल्लियां खरीदेगा तो फिजूलखर्च रुक जाएंगे. उन्होंने कहा कि आगे आने वाले 6 महीनों से लेकर एक वर्ष तक यही संभावना है कि कंटेनमेंट जोन बनते रहेंगे.
आगे नहीं ली जाएंगी बांस-बल्लियां
डॉक्टर इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि नगर निगम बल्लियां खरीदने के लिए टेंडर आमंत्रित कर रहा है. इसके बाद किराए की बल्लियां बिल्कुल भी नहीं ली जाएंगी. उन्होंने बताया कि किराए पर बल्लियां उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार प्रति वर्ग फुट के आधार पर शुल्क वसूल रहे हैं.