लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अयोध्या जनपद के जिलाधिकारी नितीश कुमार के खिलाफ जमानतीय वारंट जारी करने का आदेश मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अयोध्या को दिया है. दरअसल, अवमानना के एक मामले में हाईकोर्ट द्वारा जारी नोटिस तामील होने के बावजूद जिलाधिकारी ने न तो अपना जवाब भेजा और न ही कोर्ट के समक्ष उपस्थित हुए, इस पर न्यायालय ने सख्त रुख अपनाया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति अब्दुल मोईन की एकल पीठ ने अयोध्या निवासी राजेन्द्र कुमार उर्फ राजेंद की अवमानना याचिका पर पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई कि मछली पालन के लिए उसे रुदौली तहसील के भवानीपुर गांव में तालाब का पट्टा आवंटित किया गया था, जिसके लिए उसने आवश्यक धनराशि भी जमा कर दी. याची का कहना है कि उसने डेढ़ कुंतल फिश सीड भी तालाब में डाल दी, लेकिन 27 मई 2022 को मशीन से तालाब का सारा पानी निकाल दिया गया और तालाब के आसपास के कई हरे पेड़ भी काट दिए गए. यह भी कहा गया कि उक्त कार्यवाही के पूर्व उसका पट्टा भी निलम्बित नहीं किया गया था. याची ने इस मामले को लेकर एक रिट हाईकोर्ट में दाखिल की, जिस पर न्यायालय ने 29 जून 2022 को जिलाधिकारी, अयोध्या को छह सप्ताह में याची को मुआवजा दिए जाने पर निर्णय लेने का आदेश दिया. याची ने अवमानना याचिका में कहा कि न्यायालय के 29 जून 2022 के उक्त आदेश का जिलाधिकारी ने कोई पालन नहीं किया. इस पर न्यायालय ने 14 नवम्बर 2022 को नोटिस भेज कर जिलाधिकारी से जवाब मांगा कि क्यों न उन्हें आदेश की अवमानना के लिए दंडित किया जाए. उक्त नोटिस के तामील होने के बावजूद जिलाधिकारी द्वारा न तो अपना जवाब भेजा गया और न ही वह स्वयं हाजिर हुए, इस पर न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए, उनके खिलाफ जमानतीय वारंट जारी करने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 25 मई को होगी.
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