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शिखर श्रीवास्तव हत्याकांड मामले में BSP के पूर्व विधायक विजय कुमार की जमानत याचिका खारिज - अवैध संबंधों के शक में हत्या

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने बसपा के पूर्व विधायक डॉ. विजय कुमार की जमानत याचिका खारिज कर दी. पूर्व विधायक पर शिखर श्रीवास्तव की हत्या कराने का आरोप है.

लखनऊ कोर्ट
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Published : Aug 16, 2022, 9:13 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2015 के शिखर श्रीवास्तव हत्याकांड मामले में गोरखपुर के बांसगांव से बसपा विधायक रहे डॉ. विजय कुमार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने डॉ. विजय कुमार की जमानत याचिका पर पारित किया.

आरोप है कि पूर्व विधायक ने अपनी डीआईओएस पत्नी से शिखर श्रीवास्तव के अवैध संबंध होने के शक में इस हत्याकांड को अंजाम दिया था. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया है कि अभियुक्त के तत्कालीन विधायक व काफी प्रभावशाली होने के कारण मामले की जांच CBCID को स्थानांतरित कर दी गई थी.

जांच स्थानांतरण के लिए विधानसभा के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या ने पत्र लिखा था, जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव ने जांच स्थानांतरण का आदेश जारी किया था. हालांकि बाद में इस आदेश को मृतक के भाई की याचिका पर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त इतना प्रभावशाली है कि उसने जांच को स्थानांतरित करवा लिया और मुख्य अभियुक्त होने के बावजूद घटना के बाद 4 साल तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई.

इस मामले में मृतक के पिता ने बाराबंकी के बदोसराय थाने में FIR दर्ज कराई थी. FIR में आरोप लगाया गया था कि उनके बेटे को नौकरी दिलाने के नाम पर अभियुक्त व उसकी डीआईओएस पत्नी मृदुला आनंद ने पैसे लिए थे. नौकरी न मिलने पर उन्हीं पैसों को वापस मांगने पर उनके बेटे की हत्या की गई. हालांकि विवेचना के दौरान अवैध संबंध का शक होने पर हत्या की बात सामने आई. अभियोजन के मुताबिक, मृतक व मृदुला आनंद के बीच 4 महीनों में 198 बार फोन पर बात हुई थी. दोनों ने ट्रेन के एक ही कोच में साथ-साथ सफर भी किया था. मामले में मृदुला आनंद भी सह-अभियुक्त है.

इसे पढ़ें- महिला ने दो मासूम बच्चियों के साथ पेड़ पर लटककर लगाई फांसी, ये थी वजह

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने वर्ष 2015 के शिखर श्रीवास्तव हत्याकांड मामले में गोरखपुर के बांसगांव से बसपा विधायक रहे डॉ. विजय कुमार की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने डॉ. विजय कुमार की जमानत याचिका पर पारित किया.

आरोप है कि पूर्व विधायक ने अपनी डीआईओएस पत्नी से शिखर श्रीवास्तव के अवैध संबंध होने के शक में इस हत्याकांड को अंजाम दिया था. कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए अपने आदेश में इस बात का भी जिक्र किया है कि अभियुक्त के तत्कालीन विधायक व काफी प्रभावशाली होने के कारण मामले की जांच CBCID को स्थानांतरित कर दी गई थी.

जांच स्थानांतरण के लिए विधानसभा के तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्या ने पत्र लिखा था, जिस पर तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव ने जांच स्थानांतरण का आदेश जारी किया था. हालांकि बाद में इस आदेश को मृतक के भाई की याचिका पर हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि अभियुक्त इतना प्रभावशाली है कि उसने जांच को स्थानांतरित करवा लिया और मुख्य अभियुक्त होने के बावजूद घटना के बाद 4 साल तक उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई.

इस मामले में मृतक के पिता ने बाराबंकी के बदोसराय थाने में FIR दर्ज कराई थी. FIR में आरोप लगाया गया था कि उनके बेटे को नौकरी दिलाने के नाम पर अभियुक्त व उसकी डीआईओएस पत्नी मृदुला आनंद ने पैसे लिए थे. नौकरी न मिलने पर उन्हीं पैसों को वापस मांगने पर उनके बेटे की हत्या की गई. हालांकि विवेचना के दौरान अवैध संबंध का शक होने पर हत्या की बात सामने आई. अभियोजन के मुताबिक, मृतक व मृदुला आनंद के बीच 4 महीनों में 198 बार फोन पर बात हुई थी. दोनों ने ट्रेन के एक ही कोच में साथ-साथ सफर भी किया था. मामले में मृदुला आनंद भी सह-अभियुक्त है.

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