लखनऊ : समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मोहम्मद आजम खान की मुसीबतें कम होती दिखाई नहीं दे रही हैं. गलत जन्म प्रमाण पत्र मामले में बेटे अब्दुल्ला आजम और पत्नी के साथ जेल भेजे गए मोहम्मद आजम खान के लिए यह मुसीबत अकेले की नहीं है, बल्कि समाजवादी पार्टी के लिए भी यह एक बड़ी मुसीबत साबित होगी. समाजवादी पार्टी के लिए वह प्रमुख मुस्लिम चेहरा रहे हैं, जिनकी तकरीर सुनकर तमाम मुसलमान सम्मोहित हो जाते थे. यदि पिछली बार की तरह आजम खान को लम्बे समय तक जेल में रहना पड़ा तो वह लोकसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी के लिए वोट नहीं मांग पाएंगे. स्वाभाविक है कि सपा को इसका नुकसान जरूर होगा, क्योंकि पार्टी में उनके कद का कोई दूसरा मुस्लिम चेहरा नहीं है. वैसे भी अखिलेश यादव सत्तारूढ़ भाजपा पर आरोप लगाते रहे हैं कि आजम पर कार्रवाई सिर्फ इसलिए की जा रही है क्योंकि वह मुसलमान हैं. वहीं भाजपा आजम और सपा को भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाकर घेरने की तैयारी में है.
कभी अपनी धारदार और व्यंग्य भरी तकरीरों से विपक्षियों पर पैने वार करने वाले मोहम्मद आजम खान के निशाने पर खासतौर पर रामपुर के नवाब परिवार से आने वाले काजिम अली उर्फ नवेद मियां के साथ-साथ सपा नेता रहे अमर सिंह और जयाप्रदा भी खूब रहे. जयाप्रदा पर वार करते समय कई बार उन्होंने मर्यादाओं का भी ध्यान नहीं रखा, जिसके कारण उनके खिलाफ दो मुकदमे भी दर्ज कराए गए हैं. आजम जब मंत्री थे और सपा की सरकार थी, तो उनके रुतबे के आगे हर कोई बौना नजर आता था. कई अफसरों और कर्मचारियों ने उनके साथ काम करने से भी मना कर दिया था. वह थानेदारों और पुलिस कर्मियों ही नहीं बड़े-बड़े पुलिस अधिकारियों को भी सार्वजनिक तौर पर जलील कर देते थे. सीधी बात वह शायद ही कभी बोलते हों. हर बात गूढ़ और व्यंग्य के बाणों से लपेटी हुई लोगों के दिलों में नश्तर की तरह उतरती है. आज भी आजम जब तकरीर करते हैं, तो ऐसा लगता है कि सरकार और जमाना जालिम होकर उनके पीछे पड़ गया है, जबकि असलियत कुछ और ही है.
आजम के खिलाफ विभिन्न धाराओं में सौ से भी ज्यादा मुकदमे दर्ज हैं. उन पर तमाम छोटे-बड़े मुकदमे लिखाए गए हैं और उन्हें भूमाफिया घोषित किया गया है. गरीब किसानों की जमीनें ही नहीं उन पर सरकारी भूमि, नदी और चकमार्ग आदि की जमीनें भी कब्जाने के मुकदमे हैं. भड़काऊ भाषण देने का मामला भी उन पर दर्ज है. यह दूसरी बार है, जब उन्हें जेल जाना पड़ा है. इससे पहले उन्हें फरवरी 2020 में अपनी पत्नी तजीन फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम के साथ जेल जाना पड़ा था. तब उन्हें 27 महीने तक सीतापुर जेल में रहना पड़ा था और वह 2022 में जमानत पर बाहर आ सके थे. तब भड़काऊ भाषण के मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट ने आजम खान को सजा सुनाई थी और इसी कारण उन्हें अपनी विधायकी गंवानी पड़ी थी. इसी तरह मुरादाबाद के एक मामले में आजम और उनके बेटे दोनों को सजा हुई. उम्र के गलत प्रमाणपत्र के कारण अब्दुल्ला आजम की विधानसभा सदस्यता भी जा चुकी है.गौरतलब है कि जन्म प्रमाण पत्र मामले में भाजपा विधायक आकाश सक्सेना वादी हैं. स्वाभाविक है कि भाजपा इस लड़ाई को आजम और सपा में भ्रष्टाचार से जोड़कर देखती है और चुनावों में भी इस मुद्दे को जोरशोर से उठाने की तैयारी में है.
अभी के हालात देखकर ऐसा लगता है कि आगामी लोकसभा चुनावों में आजम खान और उनके बेटे का चुनाव लड़ना कठिन होगा. आजम खान को अब तक तीन केसों में सजा हो चुकी है, जबकि अन्य प्रकरणों में सुनवाई चल रही है. वहीं लगभग सौ करोड़ रुपये के सरकारी धन के दुरुपयोग को लेकर वह ईटी के निशाने पर हैं. कहा जा रहा है कि आयकर विभाग भी उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकता है. जौहर विश्वविद्यालय के नाम पर तमाम गरीबों और किसानों की जमीन हड़पने के भी मामले उन पर दर्ज हैं, जिनमें भी सुनवाई जारी है. जन्म प्रमाण पत्र मामले में अब्दुल्ला आजम और आजम परिवार को सुप्रीम कोर्ट ने भी राहत देने से इन्कार कर दिया था. अब्दुल्ला आजम का पहला जन्म प्रमाण पत्र 2012 में रामपुर से बनवाया गया था, जिसमें उनकी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 दर्ज है. वहीं दूसरा प्रमाण पत्र 2015 में बनवाया गया था, जिसमें उनकी जन्मतिथि 30 दिसंबर 1990 दर्ज है. दोनों में उनका जन्म स्थान भी क्रमश: रामपुर और लखनऊ बताया गया है.