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राजस्थान: सिरोही राजगृह में बनाए जा रहे राम मंदिर के लिए स्तंभ

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Published : Nov 15, 2019, 2:09 PM IST

सुप्रीम कोर्ट की ओर से अयोध्या विवाद में फैसला आ गया है, जिसमें राम मंदिर निर्माण को लेकर 3 महीने में केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए गए हैं. वहीं राम मंदिर में लगने वाले स्तम्भ और पत्थरों को सिरोही के पिंडवाड़ा में तराशा गया है.

सिरोही राजगृह में राम मंदिर के लिए स्तंभ बनाए जा रहे

सिरोही: राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट फैसला दे दिया गया है. फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण को लेकर 3 महीने में केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए, लेकिन सिरोही जिले में राम मंदिर बनाने की तैयारियां साल 1995 से ही शुरू हो गई थी.

दो मंजिला राम मंदिर जिन पिलरों और दीवारों पर खड़ा होगा. उसे तराशने का काम जिले के पिंडवाड़ा में किया गया है. करीब 10 साल तक यहां के पत्थर को मूर्त रूप देने वाले कारीगरों ने पत्थर तराशने का काम किया. पिंडवाडा में बयाना, बंसी, पहाड़पुर और राजसमंद से लाए गए पत्थरों को तराशने का कार्य जिले में शुरू हो गया था.

ये पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: अच्छे भाव के चलते बढ़ रहा कोटा संभाग में लहसुन का रकबा, 1 लाख पहुंचने का अनुमान

करीब 25 साल पहले सिरोही जिले के पिंडवाडा में राम मंदिर के निर्माण को लेकर पत्थर को तराशने का निर्णय लिया गया. उस समय काम जल्द पूरा करने के लिए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल, चंपत रॉय और रामबाबूजी ने जनवरी 1995 में पूजन कर यहां तीन कार्यशालाओं में कार्य शुरू करवाया था. पत्थर को तराशने का यह कार्य करीब 10 साल तक चला.

सिरोही राजगृह में राम मंदिर के लिए स्तंभ बनाए जा रहे

जानकारों की मानें तो दो मंजिला राम मंदिर पिलर पर खड़ा होगा. प्रथम मंजिल पर ऐसे करीब 96 पिलर हैं और 96 पिलर ही दूसरी मंजिल पर हैं. इन सभी को अयोध्या के कारसेवकपुरम में रखा गया है. पिंडवाड़ा और जिले के लिए गौरव की बात है कि यहां तराशे गए पत्थर अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की शोभा बढ़ाएंगे.

ये पढ़ेंः स्पेशल स्टोरी: तीर्थ राज पुष्कर ही है सृष्टि की चेतना माता गायत्री का उद्भव स्थान...यहीं पर ब्रह्मा ने की थी गायत्री मंत्र की रचना

इस तरह से तराशे गए हैं पिलर
अयोध्या में राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने के लिए साल 1995 में तीन कार्यशाला शुरू हुई, जिनमें 9 साल तक 300 से अधिक कारीगरों ने पत्थर तराशे हैं. हर पिलर को विशेष कोड देकर तराशा गया. ताकि उस पिलर की पहचान हो सके. साथ ही पिलरों को ऐसे बनाया गया है कि उन्हें मंदिर निर्माण के दौरान नक्शे के अनुसार सीधे ही निर्धारित स्थान पर खड़े किया जा सके. पिंडवाड़ा में तीनों कार्यशाला में जिन पिलरों को तराशा गया था. पिलरों को दिए गए कोड बारिश या धूप की वजह से न मिटे इसलिए इन्हें भी तराशा गया था.

कार्यशाला के संचालक ने बताया कि सभी पत्थरों को कोड दे रखे हैं. ऐसे में अब इन पिलर को केवल खड़ा ही करना होगा. यह पिलर कहां और कैसे लगेंगे यह पहले से तय है. यहां तक कि रंग मंडप और गर्भगृह की दीवारों को भी यहीं तराशा गया है. मंदिर के गर्भगृह, भूतल के सिंहद्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप और कोली गर्भगृह मंडप, रंग मंडप और कोली गर्भगृह के पत्थरों को तराशने का काम भी यहीं हुआ है.

सिरोही: राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट फैसला दे दिया गया है. फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो चुका है. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर निर्माण को लेकर 3 महीने में केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए, लेकिन सिरोही जिले में राम मंदिर बनाने की तैयारियां साल 1995 से ही शुरू हो गई थी.

दो मंजिला राम मंदिर जिन पिलरों और दीवारों पर खड़ा होगा. उसे तराशने का काम जिले के पिंडवाड़ा में किया गया है. करीब 10 साल तक यहां के पत्थर को मूर्त रूप देने वाले कारीगरों ने पत्थर तराशने का काम किया. पिंडवाडा में बयाना, बंसी, पहाड़पुर और राजसमंद से लाए गए पत्थरों को तराशने का कार्य जिले में शुरू हो गया था.

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करीब 25 साल पहले सिरोही जिले के पिंडवाडा में राम मंदिर के निर्माण को लेकर पत्थर को तराशने का निर्णय लिया गया. उस समय काम जल्द पूरा करने के लिए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल, चंपत रॉय और रामबाबूजी ने जनवरी 1995 में पूजन कर यहां तीन कार्यशालाओं में कार्य शुरू करवाया था. पत्थर को तराशने का यह कार्य करीब 10 साल तक चला.

सिरोही राजगृह में राम मंदिर के लिए स्तंभ बनाए जा रहे

जानकारों की मानें तो दो मंजिला राम मंदिर पिलर पर खड़ा होगा. प्रथम मंजिल पर ऐसे करीब 96 पिलर हैं और 96 पिलर ही दूसरी मंजिल पर हैं. इन सभी को अयोध्या के कारसेवकपुरम में रखा गया है. पिंडवाड़ा और जिले के लिए गौरव की बात है कि यहां तराशे गए पत्थर अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की शोभा बढ़ाएंगे.

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इस तरह से तराशे गए हैं पिलर
अयोध्या में राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने के लिए साल 1995 में तीन कार्यशाला शुरू हुई, जिनमें 9 साल तक 300 से अधिक कारीगरों ने पत्थर तराशे हैं. हर पिलर को विशेष कोड देकर तराशा गया. ताकि उस पिलर की पहचान हो सके. साथ ही पिलरों को ऐसे बनाया गया है कि उन्हें मंदिर निर्माण के दौरान नक्शे के अनुसार सीधे ही निर्धारित स्थान पर खड़े किया जा सके. पिंडवाड़ा में तीनों कार्यशाला में जिन पिलरों को तराशा गया था. पिलरों को दिए गए कोड बारिश या धूप की वजह से न मिटे इसलिए इन्हें भी तराशा गया था.

कार्यशाला के संचालक ने बताया कि सभी पत्थरों को कोड दे रखे हैं. ऐसे में अब इन पिलर को केवल खड़ा ही करना होगा. यह पिलर कहां और कैसे लगेंगे यह पहले से तय है. यहां तक कि रंग मंडप और गर्भगृह की दीवारों को भी यहीं तराशा गया है. मंदिर के गर्भगृह, भूतल के सिंहद्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप और कोली गर्भगृह मंडप, रंग मंडप और कोली गर्भगृह के पत्थरों को तराशने का काम भी यहीं हुआ है.

Intro:सिरोही पिंडवाड़ा में तराशे गए पत्थर से होगा राम मंदिर निर्माण

एंकर राम मंदिर को लेकर सुप्रीम कोर्ट फैसला दे दिया गया है । फैसले के बाद राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो चुका है फैसले में मंदिर निर्माण को लेकर 3 महीने में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को ट्रस्ट बनाने के निर्देश दिए । लेकिन सिरोही जिले के लिए सबसे खास बात यह है कि दो मंजिला राम मंदिर जिन पिलराें और दीवाराें पर खड़ा होगा, उसे तराशने का काम जिले के पिंडवाड़ा में किया गया था। करीब दस साल तक यहां के पत्थर को मूर्त रूप देने वाले कारीगरों ने पत्थर तराशने का काम किया। पिंडवाडा में बयाना से लाए गए बंसी पहाड़पुर के साथ राजसमंद के पत्थरों को तराशने का कार्य हुआ । यह निर्णय विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल लिया था । Body:करीब 25 वर्ष पूर्व जब सिरोही जिले के पिंडवाडा में राम मंदिर के निर्माण को लेकर पत्थर को तराशने का निर्णय लिया तो काम जल्द पूरा हो, इसके लिए विहिप के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक सिंघल, चंपत रॉय और रामबाबूजी ने जनवरी 1995 में पूजन कर यहां तीन कार्यशालाओं में कार्य शुरू करवाया था। पत्थर को तराशने का यह कार्य करीब 10 वर्ष तक चला । जानकारों की मानें तो दो मंजिला राम मंदिर जिन पर पिलर पर खड़ा होगा, उन्हें तराशने का काम यहीं किया गया है। प्रथम मंजिल पर ऐसे करीब 96 पिलर हैं और 96 पिलर ही दूसरी मंजिल पर हैं। इन सभी को अयोध्या के कारसेवकपुरम में रखा गया है। अब यह पिंडवाड़ा और जिले के लिए गौरव की बात है कि यहां तराशे गए पत्थर अयोध्या में बनने वाले राम मंदिर की शोभा बढ़ाएंगे।1995 में शुरू हुई थी अयोध्या में राम मंदिर के लिए पत्थर तराशने की तीन कार्यशाला, 9 साल तक 300 से अधिक कारीगरों ने तराशे पत्थरConclusion:हर पिलर को विशेष कोड देकर तराशा, ताकि मिटे नहीं और उस पिलर की पहचान हो सके । नक्शे के अनुसार मंदिर निर्माण के दौरान सीधे ही निर्धारित स्थान पर खड़े कर सकें पिंडवाड़ा में तीन कार्यशाला में पिलरों को तराशा गया था, यहां तक कि हर पत्थर को विशेष कोड दिया गया था। बारिश या धूप की वजह से कोड मिटे नहीं, इसलिए इन्हें भी तराशा गया था। कार्यशाला के संचालक बताते हैं कि सभी को कोड दे रखे हैं ऐसे में अब इन पिलर को केवल खड़ा ही करना होगा। यह पिलर कहां और कैसे लगेंगे यह पहले से तय है।रंग मंडप व गर्भगृह की दीवारों को भी यहीं तराशा : प्रथम मंजिल के लिए 96 पिलर तैयार किए। तीन कार्यशाला में से प्रत्येक में 32 पिलर तराशे।दूसरी मंजिल पर भी इतने ही पिलर लगेंगे। मंदिर के गर्भगृह, भूतल के सिंहद्वार, नृत्य मंडप, रंग मंडप व कोली गर्भगृह मंडप, रंग मंडप व कोली गर्भगृह के पत्थरों को तराशने का काम भी यहीं हुआ था।


बाईट – 01 परेश भाई सोमपुरा, कार्यशाला संचालक

बाईट – 02 राजेश मालवीय, कार्यशाला संचालक

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