लखनऊ: कोरोना काल में सामान्य ओपीडी सेवाएं बंद रहीं. ऐसे में दो माह से ऑटिज्म पीड़ित बच्चों के इलाज पर ब्रेक लग गया है. न्यूरोलॉजिकल डिस्ऑर्डर से पीड़ित इन बच्चों में थेरेपी बेअसर होने लगी है, जिससे कई ने अपना पुराना आक्रामक स्वभाव अपना लिया है. इससे अभिभावक भी परेशान हैं.
बता दें कि केजीएमयू के मानसिक रोग विभाग में ऑटिज्म पीड़ित बच्चों का इलाज किया जाता है. पहले यहां होल्डिंग एरिया बना दी गई थी. इसके बाद ब्लैक फंगस वार्ड भी बना दिया गया. वहीं अभी मनोरोग की सेवाएं ठप हैं. अभिभावक डॉक्टर से फोन पर वार्ता कर पुरानी दवाएं ही रिपीट कर रहे हैं. अभी डॉक्टर बच्चों का क्लीनकली परीक्षण नहीं कर पा रहे हैं. साथ ही ऑक्यपेशनल थेरेपी भी ठप है. लिहाजा महीनों के प्रयास से बच्चों में जो सुधार आया था, वह अब गड़बड़ाने लगा है.
मैसेज से मिलेगा मरीजों का हाल
लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर के मुताबिक अस्पताल में भर्ती मरीजों का हाल अभी तक फोन करके बताया जाता रहा. वहीं अब मैसेज से भी मरीज का हाल भेज दिया जाएगा. यह काम अस्पतालों में ई-ओपीडी चला रही संस्था को सौंपा गया है, जिसके तहत अब मरीजों की तबीयत की हर जानकारी मैसेज के जरिए तीमारदारों तक सुबह-शाम मिलती रहेगी.
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रजिस्ट्रेशन के लिए 5 माह से कर रहे इंतजार
राजधानी के 15 से अधिक अल्ट्रासाउण्ड केन्द्रों का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है. नये सेन्टरों ने दिसम्बर व जनवरी माह में रजिस्ट्रेशन का आवेदन किया था, लेकिन अभी तक अनुमति नहीं मिली है. अल्ट्रासाउण्ड व पैथालॉजी सेन्टर आवश्यक सेवा में शामिल हैं. इसके बावजूद अफसर पंजीकरण संबंधी कार्रवाई डंप किए हैं.