ETV Bharat / state

आतंकी संगठनों के आर्थिक स्रोतों पर ATS की इकोनॉमिक विंग करेगी चोट

धर्मांतरण कराने का रैकेट चलाने वाले इस्लामिक दावा सेंटर जैसे संगठनों के आर्थिक स्रोतों को खत्म करने की तैयारी चल रही है. इसके लिए एटीएस (ATS) की इकोनॉमिक विंग काम करेगी और ऐसे संगठनों की कमर तोड़ेगी.

एटीएस
एटीएस
author img

By

Published : Jun 29, 2021, 8:02 PM IST

Updated : Jun 29, 2021, 8:10 PM IST

लखनऊ: ISI के इशारे पर धर्मांतरण कराने का रैकेट चलाने वाले इस्लामिक दावा सेंटर जैसे संगठनों के आर्थिक स्रोतों को खत्म करने की कवायद शुरू हो गई है. ATS की इकोनॉमिक विंग गिरफ्त में आए देश विरोधी ताकतों के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उन्हें तोड़ने का काम करेगी. इस शाखा की तरफ से जुटाए गए साक्ष्य अपराधियों को सजा दिलाने में ATS का मजबूत हथियार भी बनेंगे. ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि एटीएस की इकनोमिक विंग ISI आतंकियों व उससे जुड़े संगठनों के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उन्हें तोड़ने का काम करेगी. इस पर काम शुरू ही गया है. आने वाले समय में इसके अच्छे परिणाम आएंगे.

आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) के लिए बीते कुछ साल में रोहिंग्या घुसपैठिए और धर्मांतरण के जरिए आतंकी पैदा करने वाले संगठन चुनौती बनकर उभरे हैं. ATS हर साल इन संगठनों से जुड़े अपराधियों को पकड़कर जेल भेज रही, लेकिन इनके खिलाफ मिलने वाले साक्ष्य इतने मजबूत नहीं होते कि उन्हें कोर्ट में सजा दिलाई जा सके. इस तरह के अपराधियों को सजा दिलाना ATS के लिए बेहद चुनौती भरा काम है. इसका तोड़ निकालने हुए ATS ने खुद का इकोनॉमिक विंग खड़ा किया है.

साक्ष्य बनेंगे सजा का आधार

ATS के उच्चाधिकारियों का कहना है कि धर्मांतरण या विदेशियों को अवैध रूप से घुसपैठ कराने वाले संगठनों को पकड़ा जाता है तो उनके खिलाफ मिलने वाले साक्ष्य कोर्ट में सजा दिलाने के लिए काफी नहीं होते. साक्ष्य के अभाव में ऐसे देश विरोधी अपराधी जल्द जमानत पर बाहर आकर दोबारा अपराध शुरू कर देते हैं. कई मामलों में वह बरी भी हो जाते हैं, लेकिन अगर चार्जशीट के साथ कोई ऐसा साक्ष्य कोर्ट में पेश किया जाए जो साबित कर सके कि हो रहे अपराध से देश या प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंच रही है तो ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा दिलाना आसान होगा.

पढ़ें: UP DGP News: कौन होगा यूपी का नया डीजीपी, दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग के बाद तय होगा नाम

अपराधियों की बनेगी सूची, फंडिंग-खातों पर नजर रखेगी यूनिट

अधिकारियों के मुताबिक ATS की इकोनॉमिक विंग में अफसरों की एक यूनिट हर वक्त सक्रिय रहेगी. इसके लिए इन्हें आधुनिक उपकरण और सॉफ्टवेयर मुहैया कराए गए हैं. यह यूनिट सूचीबद्ध अपराधियों की फंडिंग और उनके बैंक खातों पर हर वक्त नजर रखेगी. हवाला के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शन को पकड़ने के लिए इससे जुड़े लोगों की मॉनिटरिंग की जाएगी. अभी तक ऐसे अपराधियों को पकड़ने के बाद आर्थिक मामलों की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) का सहारा लेना पड़ता है. ED की रिपोर्ट आने तक अपराधी जमानत पाकर जेल से बाहर चले जाते हैं, लेकिन ATS की यह शाखा अब गिरफ्तारी के साथ ही उनके फंडिंग से जुड़े साक्ष्य जुटाकर चार्जशीट के साथ ही इसे कोर्ट में पेश कर देगी.

FCRA और FEMA के उल्लंघन को अदालत मानती अपराध

विदेशों से होने वाले लेन-देन को नियंत्रित रखने के लिए फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेटरी एक्ट और फॉरेन एक्सजेंच मैनेजमेंट एक्ट बनाया गया है. FCRA के अंतर्गत विदेश से चंदा या आर्थिक सहयोग लेने वाली धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाएं आती हैं. इस कानून का उद्देश्य ऐसे फंड का देशहित में इस्तेमाल सुनिश्चित करना है. FEMA के तहत ऐसे व्यापारी संगठनों को नियंत्रित किया जाता है जो विदेशों से व्यापार करते हैं. रिटायर्ड डीजी एके जैन के मुताबिक, विदेशी फंड का इस्तेमाल तस्करी और आतंकी गतिविधियों में होने से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले भारी नुकसान को रोकने के लिए यह कानून बनाए गए. इसकी रोकथाम के लिए ही NSA जैसे कड़े कानून भी बनाए गए हैं. ATS की आर्थिक शाखा को पकड़े गए अपराधियों के फंड और उसके सोर्स को इन कानूनों का उल्लंघन साबित करना होगा.

लखनऊ: ISI के इशारे पर धर्मांतरण कराने का रैकेट चलाने वाले इस्लामिक दावा सेंटर जैसे संगठनों के आर्थिक स्रोतों को खत्म करने की कवायद शुरू हो गई है. ATS की इकोनॉमिक विंग गिरफ्त में आए देश विरोधी ताकतों के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उन्हें तोड़ने का काम करेगी. इस शाखा की तरफ से जुटाए गए साक्ष्य अपराधियों को सजा दिलाने में ATS का मजबूत हथियार भी बनेंगे. ADG लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार का कहना है कि एटीएस की इकनोमिक विंग ISI आतंकियों व उससे जुड़े संगठनों के आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उन्हें तोड़ने का काम करेगी. इस पर काम शुरू ही गया है. आने वाले समय में इसके अच्छे परिणाम आएंगे.

आतंकवाद निरोधी दस्ता (ATS) के लिए बीते कुछ साल में रोहिंग्या घुसपैठिए और धर्मांतरण के जरिए आतंकी पैदा करने वाले संगठन चुनौती बनकर उभरे हैं. ATS हर साल इन संगठनों से जुड़े अपराधियों को पकड़कर जेल भेज रही, लेकिन इनके खिलाफ मिलने वाले साक्ष्य इतने मजबूत नहीं होते कि उन्हें कोर्ट में सजा दिलाई जा सके. इस तरह के अपराधियों को सजा दिलाना ATS के लिए बेहद चुनौती भरा काम है. इसका तोड़ निकालने हुए ATS ने खुद का इकोनॉमिक विंग खड़ा किया है.

साक्ष्य बनेंगे सजा का आधार

ATS के उच्चाधिकारियों का कहना है कि धर्मांतरण या विदेशियों को अवैध रूप से घुसपैठ कराने वाले संगठनों को पकड़ा जाता है तो उनके खिलाफ मिलने वाले साक्ष्य कोर्ट में सजा दिलाने के लिए काफी नहीं होते. साक्ष्य के अभाव में ऐसे देश विरोधी अपराधी जल्द जमानत पर बाहर आकर दोबारा अपराध शुरू कर देते हैं. कई मामलों में वह बरी भी हो जाते हैं, लेकिन अगर चार्जशीट के साथ कोई ऐसा साक्ष्य कोर्ट में पेश किया जाए जो साबित कर सके कि हो रहे अपराध से देश या प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंच रही है तो ऐसे अपराधियों को कड़ी सजा दिलाना आसान होगा.

पढ़ें: UP DGP News: कौन होगा यूपी का नया डीजीपी, दिल्ली में हाईलेवल मीटिंग के बाद तय होगा नाम

अपराधियों की बनेगी सूची, फंडिंग-खातों पर नजर रखेगी यूनिट

अधिकारियों के मुताबिक ATS की इकोनॉमिक विंग में अफसरों की एक यूनिट हर वक्त सक्रिय रहेगी. इसके लिए इन्हें आधुनिक उपकरण और सॉफ्टवेयर मुहैया कराए गए हैं. यह यूनिट सूचीबद्ध अपराधियों की फंडिंग और उनके बैंक खातों पर हर वक्त नजर रखेगी. हवाला के जरिए होने वाले ट्रांजेक्शन को पकड़ने के लिए इससे जुड़े लोगों की मॉनिटरिंग की जाएगी. अभी तक ऐसे अपराधियों को पकड़ने के बाद आर्थिक मामलों की जांच के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) का सहारा लेना पड़ता है. ED की रिपोर्ट आने तक अपराधी जमानत पाकर जेल से बाहर चले जाते हैं, लेकिन ATS की यह शाखा अब गिरफ्तारी के साथ ही उनके फंडिंग से जुड़े साक्ष्य जुटाकर चार्जशीट के साथ ही इसे कोर्ट में पेश कर देगी.

FCRA और FEMA के उल्लंघन को अदालत मानती अपराध

विदेशों से होने वाले लेन-देन को नियंत्रित रखने के लिए फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रेगुलेटरी एक्ट और फॉरेन एक्सजेंच मैनेजमेंट एक्ट बनाया गया है. FCRA के अंतर्गत विदेश से चंदा या आर्थिक सहयोग लेने वाली धार्मिक, शैक्षणिक और सामाजिक संस्थाएं आती हैं. इस कानून का उद्देश्य ऐसे फंड का देशहित में इस्तेमाल सुनिश्चित करना है. FEMA के तहत ऐसे व्यापारी संगठनों को नियंत्रित किया जाता है जो विदेशों से व्यापार करते हैं. रिटायर्ड डीजी एके जैन के मुताबिक, विदेशी फंड का इस्तेमाल तस्करी और आतंकी गतिविधियों में होने से देश की अर्थव्यवस्था को होने वाले भारी नुकसान को रोकने के लिए यह कानून बनाए गए. इसकी रोकथाम के लिए ही NSA जैसे कड़े कानून भी बनाए गए हैं. ATS की आर्थिक शाखा को पकड़े गए अपराधियों के फंड और उसके सोर्स को इन कानूनों का उल्लंघन साबित करना होगा.

Last Updated : Jun 29, 2021, 8:10 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.