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अतीक अहमद गैंग 6 वर्षों में और हाे गया मजबूत, अब तक केवल इतने गुर्गों पर ही हाे सकी कार्रवाई

उमेश पाल हत्याकांड के बाद अतीक और उसके करीबियों पर लगातार पुलिस-प्रशासन का शिकंजा कसता जा रहा है. हालांकि अभी माफिया के कई गुर्गों पर कार्रवाई हाेनी बाकी है.

अतीक अहमद गैंग 6 वर्षों में और हाे गया मजबूत
अतीक अहमद गैंग 6 वर्षों में और हाे गया मजबूत
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Published : Mar 23, 2023, 7:23 AM IST

अतीक अहमद गैंग 6 वर्षों में और हाे गया मजबूत.

लखनऊ : यूपी में ऑपरेशन क्लीन के तहत अतीक अहमद की 416 करोड़ की संपत्ति जब्त हुई. इसके अलावा 751 करोड़ की संपत्ति पर बुलडोजर चला. अतीक की आर्थिक कमर तोड़ने में जिला प्रशासन कुछ हद तक सफल रहा. हालांकि 6 वर्षों में उसके 144 गुर्गों में महज 14 की ही गिरफ्तारी की जा सकी है. यह इस बात की तस्दीक कर रहा है कि बुलडोजर एक्शन को प्रयागराज पुलिस ने मिशन कंप्लीट मान लिया. हालांकि उमेश पाल हत्याकांड के बाद जब पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठे तो अब अतीक अहमद के गुर्गों की गिरफ्तारियां की जा रहीं हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बीते 6 वर्षों में अतीक अहमद की कमर तोड़ने में कहां कमी रह गई कि उसका गैंग कमजोर होने के बजाय और मजबूत होता चला गया. उमेश पाल हत्याकांड के बाद ये भी साफ हो गया कि अतीक को मिट्टी में मिलाने में जिला प्रशासन तो सफल हुआ लेकिन पुलिसिंग फेल ही साबित हुई है.

वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते ही माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के गैंग का सफाया करने के लिए ऑपरेशन क्लीन चलाया गया. मुख्तार अंसारी के एक-एक गुर्गे को जेल भेजा गया. प्रयागराज में भी अतीक अहमद के गुर्गों को चिन्हित करने की कार्रवाई की गई, लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने में पुलिस ने हीलाहवाली बरती. लिहाजा यूपी पुलिस के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि ऑपरेशन क्लीन में वे पूरी तरह से विफल हुए. महज जिला प्रशासन के साथ बुलडोजर लेकर इमारतें ढहाते रहे. यूपी पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, अतीक अहमद के गैंग के 144 सदस्यों को प्रयागराज पुलिस ने चिन्हित किया था. पुलिस की जिम्मेदारी थी, कि इन 144 सदस्यों को गिरफ्तार कर अतीक के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया जाए. बीते छह वर्षों में प्रयागराज पुलिस महज 14 गुर्गों को गिरफ्तार कर जेल भेज सकी. इन 14 गुर्गों में वो थे, जिनकी जिम्मेदारी जमीनों पर कब्जेदारी कराना और धमकाना था. गुड्डू मुस्लिम, गुलाम, साबिर, कैश अहमद और अरशद जैसे हार्डकोर अपराधी प्रयागराज में ही मौजूद रहे लेकिन पुलिस इन्हें इन वर्षों में गिरफ्तार नही कर सकी.

जिला प्रशासन हुआ पास पुलिस हुई फेल : 30 वर्षों से पूर्वांचल में अपना साम्राज्य फैलाए माफिया अतीक अहमद की कमर तोड़ने के लिए योगी सरकार ने निर्देश दिया तो पूरा अमला सक्रिय हो गया. प्रयागराज, कौशांबी व लखनऊ के जिला प्रशासन ने अतीक अहमद की संपत्तियों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया. जिसके बाद उन संपत्तियों की जब्तीकरण व धवस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की गई. बीते 6 वर्षों में जिला प्रशासन और प्राधिकरण ने अतीक अहमद और उसके सहयोगियों की कुल 416 करोड़ की संपत्तियों को जब्त किया, यही नहीं 751 करोड़ की संपत्तियों पर बुलडोजर भी चलाया गया. वैसे तो आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त करने में जिला प्रशासन ने अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन सहयोग करने में पुलिस भी लगी हुई थी. हालांकि इन वर्षों में पुलिस ने अपना काम कितना बखूबी से किया उसका भी लेखा जोखा खुद पुलिस जारी कर रही है. यूपी के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के मुताबिक, साल 2017 से फरवरी 2023 तक अतीक अहमद के 144 सहयोगियों को चिन्हित कर 14 की गिरफ्तारी की गई है. जबकि 2 को जिला बदर किया गया और इन्हीं 14 गिरफ्तार हुए अपराधियों पर गुंडा एक्ट लगाया गया. हालांकि 21 गुर्गों पर गैंगस्टर की भी करवाई की गई जिन्हे गिरफ्तार नही किया जा सका.

उमेश पाल हत्याकांड में शामिल सभी आरोपी घूमते रहे : उमेश पाल हत्याकांड में जिस गुलाम ने दुकान के अंदर खड़े हो कर गोलियों की बारिश की थी, उस पर 8 मुकदमे दर्ज थे. साबिर, गुड्डू मुस्लिम और अरमान भी नामचीन गुंडे थे. वे अतीक अहमद के गैंग के लिए काम करते हैं. मंगलवार को गिरफ्तार किए गए नियाज अहमद, मोहम्मद शजर, कैश अहमद, राकेश कुमार और अरशद खान भी अतीक के खास गुर्गे थे. बावजूद इसके प्रयागराज पुलिस इन्हें उमेश पाल हत्याकांड से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. बुलडोजर की कार्रवाई को ही अब तक पुलिस असली कार्रवाई कहती आ रही थी जबकि जिम्मेदारी गैंग के सभी चिन्हित गुर्गों को गिरफ्तार करना था. खुलेआम अतीक के गुर्गों का प्रयागराज घूमने का प्रमाण भी प्रयागराज पुलिस ने ही दिया. उमेश पाल हत्याकांड की जांच में कई सीसीटीवी फुटेज सामने आए. इसमें गुलाम, गुड्डू मुस्लिम और अरमान खुलेआम अतीक को पत्नी शाइस्ता के साथ चुनावी प्रचार करते दिखे.

पुलिस बोली-हमने हर तरह की कार्रवाई की : सूबे के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार से जब ईटीवी भारत ने बीते छह वर्षों में अतीक के महज 14 गुर्गों की ही गिरफ्तारी का कारण पूछा तो प्रशांत कुमार ने बताया कि पुलिस जो कानून प्रक्रिया के तहत सही होता है उसी के अनुसार कार्रवाई करती है. अतीक के आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त किया गया है. उसके गुर्गों के ऊपर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर की कार्रवाई की गई है, आगे भी गिरफ्तारियां की जा रहीं हैं. राजनीतिक विश्लेषक सुरेश यादव कहते है कि अधिकारी महज मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए कार्य कर रहे हैं असल में जिन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई हाेनी चाहिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है. छह साल बीत जाने के बाद भी अगर अतीक अहमद के अधिकतर गुर्गे सलाखों के बाहर हैं और खुलेआम वारदाते कर रहे हैं तो सवाल उठना लाजमी है.

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला के मुताबिक, यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से ही अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई तो हुई, लेकिन वो महज आर्थिक साम्राज्य को तोड़ने तक ही सीमित रही. उसके गुर्गे लगातार सक्रिय रहे. ज्ञानेंद्र कहते है कि अतीक का नेटवर्क यूपी और यूपी से बाहर तक फैला हुआ है. यही वजह है सिर्फ यूपी में आर्थिक साम्राज्य पर कार्रवाई से उसके गैंग को कोई फर्क नहीं पड़ा. यही वजह है कि साबरमती की जेल में बैठकर अतीक अपना गैंग ऑपरेट करता रहा.

यह भी पढ़ें : दो दिन पहले घर से निकले किसान का शव झाड़ियों में खून से लथपथ मिला

अतीक अहमद गैंग 6 वर्षों में और हाे गया मजबूत.

लखनऊ : यूपी में ऑपरेशन क्लीन के तहत अतीक अहमद की 416 करोड़ की संपत्ति जब्त हुई. इसके अलावा 751 करोड़ की संपत्ति पर बुलडोजर चला. अतीक की आर्थिक कमर तोड़ने में जिला प्रशासन कुछ हद तक सफल रहा. हालांकि 6 वर्षों में उसके 144 गुर्गों में महज 14 की ही गिरफ्तारी की जा सकी है. यह इस बात की तस्दीक कर रहा है कि बुलडोजर एक्शन को प्रयागराज पुलिस ने मिशन कंप्लीट मान लिया. हालांकि उमेश पाल हत्याकांड के बाद जब पुलिसिया कार्रवाई पर सवाल उठे तो अब अतीक अहमद के गुर्गों की गिरफ्तारियां की जा रहीं हैं. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बीते 6 वर्षों में अतीक अहमद की कमर तोड़ने में कहां कमी रह गई कि उसका गैंग कमजोर होने के बजाय और मजबूत होता चला गया. उमेश पाल हत्याकांड के बाद ये भी साफ हो गया कि अतीक को मिट्टी में मिलाने में जिला प्रशासन तो सफल हुआ लेकिन पुलिसिंग फेल ही साबित हुई है.

वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में योगी सरकार बनते ही माफिया मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद के गैंग का सफाया करने के लिए ऑपरेशन क्लीन चलाया गया. मुख्तार अंसारी के एक-एक गुर्गे को जेल भेजा गया. प्रयागराज में भी अतीक अहमद के गुर्गों को चिन्हित करने की कार्रवाई की गई, लेकिन उन्हें गिरफ्तार करने में पुलिस ने हीलाहवाली बरती. लिहाजा यूपी पुलिस के आंकड़े इस बात की तस्दीक करते हैं कि ऑपरेशन क्लीन में वे पूरी तरह से विफल हुए. महज जिला प्रशासन के साथ बुलडोजर लेकर इमारतें ढहाते रहे. यूपी पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, अतीक अहमद के गैंग के 144 सदस्यों को प्रयागराज पुलिस ने चिन्हित किया था. पुलिस की जिम्मेदारी थी, कि इन 144 सदस्यों को गिरफ्तार कर अतीक के पूरे नेटवर्क को ध्वस्त कर दिया जाए. बीते छह वर्षों में प्रयागराज पुलिस महज 14 गुर्गों को गिरफ्तार कर जेल भेज सकी. इन 14 गुर्गों में वो थे, जिनकी जिम्मेदारी जमीनों पर कब्जेदारी कराना और धमकाना था. गुड्डू मुस्लिम, गुलाम, साबिर, कैश अहमद और अरशद जैसे हार्डकोर अपराधी प्रयागराज में ही मौजूद रहे लेकिन पुलिस इन्हें इन वर्षों में गिरफ्तार नही कर सकी.

जिला प्रशासन हुआ पास पुलिस हुई फेल : 30 वर्षों से पूर्वांचल में अपना साम्राज्य फैलाए माफिया अतीक अहमद की कमर तोड़ने के लिए योगी सरकार ने निर्देश दिया तो पूरा अमला सक्रिय हो गया. प्रयागराज, कौशांबी व लखनऊ के जिला प्रशासन ने अतीक अहमद की संपत्तियों का ब्योरा जुटाना शुरू कर दिया. जिसके बाद उन संपत्तियों की जब्तीकरण व धवस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की गई. बीते 6 वर्षों में जिला प्रशासन और प्राधिकरण ने अतीक अहमद और उसके सहयोगियों की कुल 416 करोड़ की संपत्तियों को जब्त किया, यही नहीं 751 करोड़ की संपत्तियों पर बुलडोजर भी चलाया गया. वैसे तो आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त करने में जिला प्रशासन ने अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन सहयोग करने में पुलिस भी लगी हुई थी. हालांकि इन वर्षों में पुलिस ने अपना काम कितना बखूबी से किया उसका भी लेखा जोखा खुद पुलिस जारी कर रही है. यूपी के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार के मुताबिक, साल 2017 से फरवरी 2023 तक अतीक अहमद के 144 सहयोगियों को चिन्हित कर 14 की गिरफ्तारी की गई है. जबकि 2 को जिला बदर किया गया और इन्हीं 14 गिरफ्तार हुए अपराधियों पर गुंडा एक्ट लगाया गया. हालांकि 21 गुर्गों पर गैंगस्टर की भी करवाई की गई जिन्हे गिरफ्तार नही किया जा सका.

उमेश पाल हत्याकांड में शामिल सभी आरोपी घूमते रहे : उमेश पाल हत्याकांड में जिस गुलाम ने दुकान के अंदर खड़े हो कर गोलियों की बारिश की थी, उस पर 8 मुकदमे दर्ज थे. साबिर, गुड्डू मुस्लिम और अरमान भी नामचीन गुंडे थे. वे अतीक अहमद के गैंग के लिए काम करते हैं. मंगलवार को गिरफ्तार किए गए नियाज अहमद, मोहम्मद शजर, कैश अहमद, राकेश कुमार और अरशद खान भी अतीक के खास गुर्गे थे. बावजूद इसके प्रयागराज पुलिस इन्हें उमेश पाल हत्याकांड से पहले गिरफ्तार नहीं कर सकी थी. बुलडोजर की कार्रवाई को ही अब तक पुलिस असली कार्रवाई कहती आ रही थी जबकि जिम्मेदारी गैंग के सभी चिन्हित गुर्गों को गिरफ्तार करना था. खुलेआम अतीक के गुर्गों का प्रयागराज घूमने का प्रमाण भी प्रयागराज पुलिस ने ही दिया. उमेश पाल हत्याकांड की जांच में कई सीसीटीवी फुटेज सामने आए. इसमें गुलाम, गुड्डू मुस्लिम और अरमान खुलेआम अतीक को पत्नी शाइस्ता के साथ चुनावी प्रचार करते दिखे.

पुलिस बोली-हमने हर तरह की कार्रवाई की : सूबे के एडीजी कानून व्यवस्था प्रशांत कुमार से जब ईटीवी भारत ने बीते छह वर्षों में अतीक के महज 14 गुर्गों की ही गिरफ्तारी का कारण पूछा तो प्रशांत कुमार ने बताया कि पुलिस जो कानून प्रक्रिया के तहत सही होता है उसी के अनुसार कार्रवाई करती है. अतीक के आर्थिक साम्राज्य को ध्वस्त किया गया है. उसके गुर्गों के ऊपर गुंडा एक्ट, गैंगस्टर की कार्रवाई की गई है, आगे भी गिरफ्तारियां की जा रहीं हैं. राजनीतिक विश्लेषक सुरेश यादव कहते है कि अधिकारी महज मुख्यमंत्री को खुश करने के लिए कार्य कर रहे हैं असल में जिन अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई हाेनी चाहिए उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है. छह साल बीत जाने के बाद भी अगर अतीक अहमद के अधिकतर गुर्गे सलाखों के बाहर हैं और खुलेआम वारदाते कर रहे हैं तो सवाल उठना लाजमी है.

वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेंद्र शुक्ला के मुताबिक, यूपी में योगी सरकार बनने के बाद से ही अतीक अहमद के खिलाफ कार्रवाई तो हुई, लेकिन वो महज आर्थिक साम्राज्य को तोड़ने तक ही सीमित रही. उसके गुर्गे लगातार सक्रिय रहे. ज्ञानेंद्र कहते है कि अतीक का नेटवर्क यूपी और यूपी से बाहर तक फैला हुआ है. यही वजह है सिर्फ यूपी में आर्थिक साम्राज्य पर कार्रवाई से उसके गैंग को कोई फर्क नहीं पड़ा. यही वजह है कि साबरमती की जेल में बैठकर अतीक अपना गैंग ऑपरेट करता रहा.

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