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लखनऊ: एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन ऑफ इंडिया आउटरीच प्रोग्राम 2019 का आयोजन

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Published : Oct 21, 2019, 7:20 AM IST

राजधानी में पहली बार एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन ऑफ इंडिया आउटरीच प्रोग्राम 2019 का आयोजन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के स्पाइन सर्जन समेत मुंबई और दिल्ली से भी प्रतिष्ठित स्पाइन सर्जन ने प्रतिभाग किया. इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पाइन से संबंधित जटिल समस्याओं और बीमारियों के उपचार के बारे में नए सर्जन को ट्रेनिंग देना था.

राजधानी में हुआ प्रोग्राम

लखनऊ: सुपर स्पेशलिटी के जमाने में अस्पताल में हर एक सर्जरी के सुपरस्पेशलिटी विभाग मौजूद हैं. ऐसे में रीड़ की हड्डी के लिए भी स्पाइन सर्जन नई-नई तकनीक निकाल कर लाते हैं, ताकि मरीजों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके. इसी सिलसिले में राजधानी में पहली बार एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन ऑफ इंडिया आउटरीच प्रोग्राम 2019 का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के ही नहीं बल्कि मुंबई और दिल्ली से भी प्रतिष्ठित स्पाइन सर्जन ने प्रतिभाग किया.

एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन ऑफ इंडिया आउटरीच प्रोग्राम 2019 का आयोजन.

डॉ. शाह वली उल्लाह ने बताया
इस आयोजन के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री और केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर शाह वली उल्लाह ने बताया कि इस सीएमई के तहत हम स्पाइन सर्जन के प्रति अवेयरनेस क्रिएट करना चाहते हैं. ताकि लोगों को पता चले की स्पाइन सर्जन लोगों के लिए कितने अहम साबित हो सकते हैं. वह कहते हैं कि भारत में स्पाइन सर्जन की संख्या काफी कम है. सिर्फ लखनऊ में ही देखा जाए तो यह सिर्फ पांच से छह स्पाइन सर्जन ही मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पाइन से संबंधित जटिल समस्याओं और बीमारियों के उपचार के बारे में नए सर्जन को ट्रेनिंग देना है.

इसे भी पढ़ें - कमलेश तिवारी हत्याकांड: हत्या में इस्तेमाल चाकू पुलिस ने किया बरामद

दिल्ली से स्पाइन सर्जन डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया
डॉक्टर अभिषेक श्रीवास्तव कहते हैं कि लोगों को यह पता चलना बेहद जरूरी है कि स्पाइन सर्जरी एक सेफ सर्जरी है. इसमें उलझन काफी कम होती है. उन्होंने बताया कि इस सर्जरी को सेफ बनाने के लिए हम ऑपरेशन के दौरान एक मशीन का इस्तेमाल करते हैं. जिसे न्यूरल मॉनिटरिंग कहा जाता है. यह वह तकनीक है, जिसमें चीरा कम लगता है या फिर मांसपेशियों को कम से कम चोट पहुंचाकर इसमें सर्जरी की जाती है. नसों को बचाकर इस सर्जरी को हम अधिक सुरक्षित और लाभान्वित बना सकते हैं.

मुंबई के स्पाइन सर्जन डॉ. गौतम जवेरी ने बताया
स्पीकर के रूप में आए मुंबई के स्पाइन सर्जन डॉ. गौतम जवेरी ने बताया कि स्पाइन ट्यूबरकुलोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो आमतौर पर लोगों में पाई जाती है. अभी भी शहरों में नहीं रहने वाले 90% लोगों को इंफेक्शन की वजह से यह बीमारी होती है. उनका इलाज एंटी ट्यूबरक्लोसिस ट्रीटमेंट से किया जाता है. टीबी की बीमारी में दवाइयां देने से पहले उनके बायोप्सी की जाए और इलाज का सही तरीका मालूम कर लिया जाए ताकि मरीज को कम नुकसान हो और उसका सही इलाज समय पर मिल सके.

लखनऊ: सुपर स्पेशलिटी के जमाने में अस्पताल में हर एक सर्जरी के सुपरस्पेशलिटी विभाग मौजूद हैं. ऐसे में रीड़ की हड्डी के लिए भी स्पाइन सर्जन नई-नई तकनीक निकाल कर लाते हैं, ताकि मरीजों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके. इसी सिलसिले में राजधानी में पहली बार एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन ऑफ इंडिया आउटरीच प्रोग्राम 2019 का आयोजन किया गया, जिसमें प्रदेश के ही नहीं बल्कि मुंबई और दिल्ली से भी प्रतिष्ठित स्पाइन सर्जन ने प्रतिभाग किया.

एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन ऑफ इंडिया आउटरीच प्रोग्राम 2019 का आयोजन.

डॉ. शाह वली उल्लाह ने बताया
इस आयोजन के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री और केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर शाह वली उल्लाह ने बताया कि इस सीएमई के तहत हम स्पाइन सर्जन के प्रति अवेयरनेस क्रिएट करना चाहते हैं. ताकि लोगों को पता चले की स्पाइन सर्जन लोगों के लिए कितने अहम साबित हो सकते हैं. वह कहते हैं कि भारत में स्पाइन सर्जन की संख्या काफी कम है. सिर्फ लखनऊ में ही देखा जाए तो यह सिर्फ पांच से छह स्पाइन सर्जन ही मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पाइन से संबंधित जटिल समस्याओं और बीमारियों के उपचार के बारे में नए सर्जन को ट्रेनिंग देना है.

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दिल्ली से स्पाइन सर्जन डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव ने बताया
डॉक्टर अभिषेक श्रीवास्तव कहते हैं कि लोगों को यह पता चलना बेहद जरूरी है कि स्पाइन सर्जरी एक सेफ सर्जरी है. इसमें उलझन काफी कम होती है. उन्होंने बताया कि इस सर्जरी को सेफ बनाने के लिए हम ऑपरेशन के दौरान एक मशीन का इस्तेमाल करते हैं. जिसे न्यूरल मॉनिटरिंग कहा जाता है. यह वह तकनीक है, जिसमें चीरा कम लगता है या फिर मांसपेशियों को कम से कम चोट पहुंचाकर इसमें सर्जरी की जाती है. नसों को बचाकर इस सर्जरी को हम अधिक सुरक्षित और लाभान्वित बना सकते हैं.

मुंबई के स्पाइन सर्जन डॉ. गौतम जवेरी ने बताया
स्पीकर के रूप में आए मुंबई के स्पाइन सर्जन डॉ. गौतम जवेरी ने बताया कि स्पाइन ट्यूबरकुलोसिस एक ऐसी बीमारी है, जो आमतौर पर लोगों में पाई जाती है. अभी भी शहरों में नहीं रहने वाले 90% लोगों को इंफेक्शन की वजह से यह बीमारी होती है. उनका इलाज एंटी ट्यूबरक्लोसिस ट्रीटमेंट से किया जाता है. टीबी की बीमारी में दवाइयां देने से पहले उनके बायोप्सी की जाए और इलाज का सही तरीका मालूम कर लिया जाए ताकि मरीज को कम नुकसान हो और उसका सही इलाज समय पर मिल सके.

Intro:लखनऊ। सुपर स्पेशलिटी के जमाने में अस्पताल में हर एक सर्जरी के सुपरस्पेशलिटी विभाग मौजूद है ऐसे में रीड की हड्डी के लिए भी स्पाइन सर्जन नई नई तकनीक निकाल कर लाते हैं ताकि मरीजों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। इसी सिलसिले में राजधानी में पहली बार एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन ऑफ इंडिया आउटरीच प्रोग्राम 2019 का आयोजन किया गया जिसमें उत्तर प्रदेश के स्पाइन सर्जन समेत मुंबई और दिल्ली से भी प्रतिष्ठित स्पाइन सर्जन ने प्रतिभाग किया।


Body:वीओ1 इस आयोजन के ऑर्गेनाइजिंग सेक्रेट्री और केजीएमयू के आर्थोपेडिक विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉक्टर शाह वली उल्लाह इस सीएमई के तहत हम स्पाइन सर्जन के प्रति अवेयरनेस क्रिएट करना चाहते हैं ताकि लोगों को पता चले की स्पाइन सर्जन लोगों के लिए कितने अहम साबित हो सकते हैं। वह कहते हैं कि भारत में स्पाइन सर्जन की संख्या काफी कम है। सिर्फ लखनऊ में ही देखा जाए तो यह सिर्फ पांच से छह स्पाइन सर्जन सी मौजूद है जबकि मरीजों के लिए इनकी संख्या में इजाफा होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्पाइन से संबंधित जटिल समस्याओं और बीमारियों के उपचार के बारे में नए सर्जन को ट्रेनिंग देना है। दिल्ली से स्पाइन सर्जन डॉक्टर अभिषेक श्रीवास्तव कहते हैं कि लोगों को यह पता चलना बेहद जरूरी है कि स्पाइन सर्जरी एक सेफ सर्जरी है और इसमें कॉम्प्लिकेशन का रिस्क काफी कम होता है। साथ ही से लोगों को उनकी तकलीफ में काफी फायदा पहुंच सकता है उन्होंने बताया कि इस सर्जरी को सेफ बनाने के लिए हम ऑपरेशन के दौरान एक मशीन का इस्तेमाल करते हैं जिसे न्यूरल मॉनिटरिंग कहा जाता है। यह वह तकनीक है जिसमें चीरा कम लगता है या फिर मांसपेशियों को कम से कम चोट पहुंचाकर इसमें सर्जरी की जाती है और नसों को बचाकर इस सर्जरी को हम अधिक सुरक्षित और लाभान्वित बना सकते हैं।


Conclusion:स्पीकर के रुप में आए मुंबई के स्पाइन सर्जन डॉ गौतम जवेरी ने बताया कि स्पाइन ट्यूबरकुलोसिस एक ऐसी बीमारी है जो आमतौर पर लोगों में पाई जाती है। अभी भी शहरों में नहीं रहने वाले 90% लोगों को इंफेक्शन की वजह से यह बीमारी होती है। उनका इलाज डायरेक्टली एंटी ट्यूबरक्लोसिस ट्रीटमेंट से किया जाता है। सच्चाई यह है कि 10 से 15% लोगों को यह दवाइयां प्रभावी नहीं रहती क्योंकि उनका टीबी एक अलग तरह का होता है। इसे मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ट्यूबरक्लोसिस कहा जाता है। इसलिए यह जरूरी होता है कि टीवी में दवाइयां देने से पहले उनके बायोप्सी की जाए और इलाज का सही तरीका मालूम कर लिया जाए ताकि मरीज को कम नुकसान हो और उसका सही इलाज समय पर मिल सके। बाइट- डॉ शाह वहिउल्लाह, लिंब सेन्टर, केजीएमयू बाइट- डॉ अभिषेक श्रीवास्तव, दिल्ली बाइट- डॉ गौतम जवेरी, मुम्बई रामांशी मिश्रा
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