लखनऊ. पशुपालन घोटाला मामले में जेल में निरुद्ध पूर्व डीआईजी अरविंद सेन ने अपने बेटी के पक्ष में खुद की पॉवर ऑफ अटॉर्नी देने के लिए कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. उसने पैरोल पर रिहाई के अपने प्रार्थना पत्र को वापस लेते हुए, नई अर्जी दाखिल की. साथ ही अदालत से मांग की कि उसे मुख्तारनामा पंजीकरण कराने के लिए मोहलत दी जाए. अर्जी पर विशेष न्यायाधीश रमाकांत प्रसाद ने सुनवाई के लिए 3 दिसंबर की तिथि नियत की है.
अदालत के समक्ष विशेष अधिवक्ता अभितेश मिश्र का तर्क था कि अभियुक्त द्वारा एक नवंबर को एक दिन की जमानत की मांग वाली अर्जी अपने अधिवक्ता के माध्यम से प्रस्तुत की गई थी. इस पर सुनवाई के उपरांत आदेश सुरक्षित किया जा चुका है. सरकारी वकील का तर्क था कि अभियुक्त जेल में है. उसके द्वारा जेल के माध्यम से प्रार्थना पत्र अदालत में पेश किया जाना चाहिए परंतु ऐसा नहीं किया जा रहा है.
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कहा गया कि पुत्री स्निग्धा सेन के पक्ष में मुख्तारनामा पंजीकरण कराने की मांग वाली अर्जी पर तब तक सुनवाई नहीं हो सकती जब तक कि अभियुक्त जेल के माध्यम से अदालत में प्रार्थना पत्र न प्रस्तुत करे. उल्लेखनीय है कि इंदौर के व्यापारी और मामले के वादी मंजीत सिंह भाटिया उर्फ रिंकू ने 13 जून को हज़रतगंज में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि अप्रैल 2018 में उनके छोटे भाई के दोस्त वैभव शुक्ल अपने साथी संतोष शर्मा के साथ उनके इंदौर स्थित आवास पर आए.
बताया कि पशुपालन मंत्री के करीबी और उपनिदेशक पशुपालन एसके मित्तल आपको पार्टी हित में गेहूं, शक्कर,आटा और दाल की सप्लाई देना चाहते हैं. इस पर विश्वास करके वादी ने दोनों आरोपियों को अपनी कंपनी की प्रोफाइल और टर्नओवर के कागज दे दिए. कुछ दिनों बाद दोनों पशुपालन से जारी टेंडर फार्म लेकर आए और वादी और उसकी पत्नी के हस्ताक्षर कराए.
टेंडर में रेट उपनिदेशक द्वारा भरने की बात कही. बताया कि इस सप्लाई के कार्य के लिए आरोपियों ने वादी से कुल 9 करोड़ 72 लाख 12 हजार रुपये लिए और कथित मित्तल से मुलाकात कराई और टेंडर मिलने की सूचना दी. कहा गया कि जब वादी ने ऑनलाइन टेंडर की स्थिति देखी तो पता चला कि उसे टेंडर नहीं मिला है.