लखनऊ: ट्रांसपोर्ट नगर स्थित आरटीओ कार्यालय के फिटनेस सेंटर में टोकन का खेल चल रहा था. जब इसकी भनक एआरटीओ प्रशासन को लगी तो टोकन का यह सारा खेल फेल हो गया. एआरटीओ प्रशासन ने खुद लाइन में लगे वाहन स्वामियों को फिटनेस के लिए की गई टोकन की वितरण व्यवस्था अपने हाथ में ली. इसके लिए बाकायदा रजिस्टर बनाया गया. इस पर सारा रिकॉर्ड दर्ज किया जा रहा है और उसके बाद वाहन स्वामियों को फिटनेस के लिए टोकन देना शुरू हुआ.
वाहन स्वामियों को एक टोकन देकर बदले में फिटनेस की गारंटी ली जाती थी
वाहनों की फिटनेस मैनुअल के बजाय मशीनों से शुरू हुई, तबसे वाहन स्वामियों की दिक्कतों में भी जबरदस्त इजाफा हुआ है. फिटनेस में लगातार गाड़ियां फेल हो रही हैं, जिसके चलते वाहन स्वामी अधिकारियों के चक्कर भी काट रहे हैं. लंबी-लंबी लाइनें फिटनेस कराने के लिए लगी रहती थीं. आलम यह है कि सुबह लंबी लाइनों में लगने से बचने के लिए फिटनेस सेंटर के बाहर ही वाहन स्वामी रात भी गुजार रहे हैं.
वाहन स्वामियों को फिटनेस के नाम पर ठगे जाने की भी खबर सामने आने लगी थी. मशीनों से होने वाली फिटनेस के कारण कम वाहन ही फिटनेस में सफल हो पा रहे थे. फिटनेस के लिए कई बार वाहन स्वामियों को आना पड़ता है. वाहन स्वामी की मजबूरी का फायदा उठाने के लिए दलाली प्रथा शुरू हो गई थी. वाहन स्वामियों को एक टोकन दिया जा रहा था और इसके एवज में उनसे पैसे वसूल कर फिटनेस की गारंटी ली जाने लगी थी, जिसके बाद कई सारे वाहन पास भी होने लगे थे.
अब एआरटीओ प्रशासन खुद जाकर लाइन में लगे वाहन स्वामियों को टोकन जारी करते हैं
इसकी जानकारी जब एआरटीओ कार्यालय के अधिकारियों को हुई. इसके बाद गंभीरता से लेते हुए जांच हुई और सख्ती बरती गई. अब एआरटीओ प्रशासन संजय तिवारी स्वयं सुबह 8:30 बजे फिटनेस ग्राउंड पहुंचकर अपने सामने लाइन में लगे वाहन स्वामियों को टोकन जारी करते हैं. रजिस्टर पर नाम दर्ज होता है और मुहर लगती है. उसके बाद ही फिटनेस ग्राउंड के अंदर गाड़ी के प्रवेश की अनुमति मिलती है.
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इस व्यवस्था के बाद अब वाहनों के फिटनेस में पास न हो पाने की संख्या में काफी कमी आई है. इसके अलावा फिटनेस ग्राउंड के कर्मचारियों पर भी आरोप लग रहे थे कि मोबाइल पर मैसेज भेजकर फिटनेस का खेल चल रहा था. एआरटीओ ने इस पर भी जब सख्ती बरती. अब फिटनेस ग्राउंड के अंदर आते ही कर्मचारियों के मोबाइल जमा करा लिया जाते हैं और शाम में घर जाते समय मोबाइल वापस किए जाते हैं. जिससे अब फिटनेस में मोबाइल का खेल भी खत्म हो गया है.
यहां पर एक बार में 90 ही वाहनों को टोकन मिलता है इसीलिए हम एक दिन पहले ही यहां पर आकर लाइन में लग गए हैं, जिससे हमें टोकन मिल जाए और वाहन की फिटनेस करा लें. इसीलिए हम पहले यहां आ जाते हैं, क्योंकि उसी दिन आएंगे तो फिर रुकना पड़ेगा. इससे पहले भी आ चुके हैं दिक्कत हो गई तो फिर आना पड़ा.
-इजहार अहमद, वाहन स्वामी
यहां पर वाहन स्वामियों की समस्या को देखते हुए टोकन वितरण की व्यवस्था शुरू की गई है . एआरटीओ संजय तिवारी के साथ मैं और पूरी टीम जाकर लाइन में लगे आखिरी वाहन स्वामी तक को टोकन उपलब्ध कराते हैं. उस पर गाड़ी का नंबर होता है और मुहर होती है. जिससे किसी तरह की धांधली न हो पाए. रजिस्टर भी मेंटेन किया जाता है. इसके अलावा सभी कर्मचारियों के मोबाइल अंदर ही जमा करा लिया जाते हैं
-एबी दुबे, इंचार्ज फिटनेस सेंटर