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Artificial organ transplant : आर्टिफिशियल अंग ट्रांसप्लांट से केजीएमयू लोगों को दे रहा नई जिंदगी

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Published : Jan 16, 2023, 9:30 PM IST

केजीएमयू का पीएमआर विभाग दुर्घटना (Artificial organ transplant ) में अंग गवांने वाले लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है. पीएमआर विभाग के मुखिया और यहां के स्टाफ की मेहनत रंग ला रही है. अंग गवांने के बाद जिंदगी से हताश लोग यहां से चेहरे पर मुस्कान लेकर लौटते हैं.

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लखनऊ : सुल्तानपुर की रहने वाली 30 वर्षीय युवती की सड़क दुर्घटना में हाथ कट गया था. जिस वक्त युवती का हाथ कटा था, उसके कुछ महीने बाद ही उसकी शादी थी और उसकी इच्छा थी कि वह अपने हाथों से अपने होने वाले पति को वरमाला पहनाए. उसकी इस इच्छा को केजीएमयू पीएमआर विभाग ने पूरा किया. युवती के परिजन उसे इलाज के लिए केजीएमयू लाए. जहां डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) ने युवती का आर्टिफिशियल हाथ लगाया. शादी के वक्त युवती ने आर्टिफिशियल हाथ के सहारे ही अपने पति को वरमाला पहनाया.

केजीएमयू का पीएमआर विभाग.
केजीएमयू का पीएमआर विभाग.

इसी तरह हरदोई निवासी आस्था (17) का सड़क दुर्घटना में एक पैर कट गया था. जब हादसा हुआ उस समय बुरी तरह से पैर क्षतिग्रस्त था. ट्रामा में इलाज के दौरान परिजनों को यह बताया गया कि बच्ची का पैर सड़क हादसे में कट गया है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आस्था ने बताया कि पिछले अप्रैल में हाईवे पर ट्रक से एक्सीडेंट हुआ था. इस सड़क दुर्घटना में उसने अपना एक पैर गवां दिया था. आस्था ने बताया कि इस समय धीरे-धीरे वह चलने लगी है. केजीएमयू केपीएमआर के भाग में कृत्रिम पैर लगाया गया है. आस्था ने कहा कि यहां पर मेरा बहुत देखभाल किया गया यहां के सारा स्टाफ और डॉक्टर बहुत अच्छे हैं और मेरा अच्छी तरह से ट्रीटमेंट किया है.

केजीएमयू का पीएमआर विभाग.
केजीएमयू का पीएमआर विभाग.

वर्कशॉप इंचार्ज शगुन सिंह ने बताया कि पीएमआर की ओपीडी में कई प्रकार के केस आते हैं. बहुत सारे केस अंग भंग के आते हैं. जिसने किसी सड़क दुर्घटना में मरीज के शरीर का कोई भी अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है. उन्होंने बताया कि बहुत ही कम पैसों में यहां पर मरीज को एक बढ़िया चिकित्सा सुविधा मिलती है ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि किसी मरीज के पास पैसा नहीं है तो हम उसे वापस लौटा देंगे बहुत सारी संस्थाएं ऐसी हैं जो गरीब वर्ग के लिए काम करती हैं हम उनकी मदद लेते हैं और अगर कोई मिल जाता है कि उसे आर्टिफिशियल अंग की आवश्यकता है तो उसकी मदद हम जरूर करते हैं. शगुन ने बताया कि बहुत सारे केस ऐसे आते हैं जिसमें हमारी अपने दोनों हाथ दोनों पैर गवां चुके होते हैं. ऐसे लोगों की उम्मीद को हम टूटने नहीं देते हैं यहां पर मैं बेहतर इलाज मुहैया कराते हैं.

केजीएमयू का पीएमआर विभाग.
केजीएमयू का पीएमआर विभाग.

उन्होंने बताया कि एक केस आया था जिसमें 23 साल के युवक का सड़क दुर्घटना में दोनों पैर और एक हाथ कट गया था वह पूरी तरह से हताश था. उसके परिजन उसे केजीएमयू केपीएमआर सेंटर ले आए जहां पर उसके हाथ पैर का नाप लिया गया और उसके अनुसार एक महीने के भीतर उसका हाथ पैर तैयार किया गया फिर उसके बाद युवक का हाथ पैर लगाया गया. मौजूदा समय में उसके पिता काफी खुश हैं फोन कर उन्होंने जानकारी भी दिया कि इस समय उनका बेटा खुश है. साथ ही वह मोबाइल फोन का भी इस्तेमाल कर लेता है. उन्होंने कहा कि एक बार एक युवती और एक युवक किस सड़क दुर्घटना में एक हाथ कट गया था. एक साथ दो की आए थे और दोनों की शादी एक महीने बाद ही थी. लड़की की इच्छा थी कि वह अपने होने वाले पति को वरमाला पहनाए. वहीं लड़के की भी इच्छा थी कि वह अपने होने वाली पत्नी को वरमाला पहनाए. एक महीने के भीतर ही दोनों का आर्टिफिशियल हाथ लगाया गया और उन्हें इतना ट्रेंड कर दिया गया कि एक महीने के अंदर दोनों हाथ का इस्तेमाल करने लगे थे. उन्होंने बताया कि एक महीने में कम से कम 30 से 40 मरीज का अंग लगाया जाता है.

केजीएमयू का पीएमआर विभाग.
केजीएमयू का पीएमआर विभाग.

वर्कशॉप में आर्टिफिशियल अंग तैयार किया जाता है ऐसे में जो मरीज आते हैं उनके हाथ पैर का नाम लिया जाता है फिर उसके अनुसार उनका कृत्रिम अंग बनाया जाता है. मरीज का कृत्रिम अंग बन जाने के बाद उसे लगाया जाता है और कुछ दिन के लिए उन्हें अस्पताल में ही रहना होता है इस दौरान देखा जाता है कि मरीज कितना कंफर्टेबल है उस आर्टिफिशियल अंग के साथ. सड़क दुर्घटना में कई बार व्यक्ति अपने हाथ पैर गंवा बैठते हैं. केजीएमयू के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग (Department of Physical Medicine & Rehabilitation) के विशेषज्ञ डॉक्टर्स उन मरीजों के आर्टिफिशियल अंग लगाते हैं जो कभी दुर्घटना में कट गए हो. प्रदेशभर से मरीज यहां पर इलाज के लिए आते हैं. सर्दी में इस समय ओपीडी में 150 रोजाना मरीज आ रहे हैं. केजीएमयू पीएनआर डॉ. अनिल ने बताया कि अस्पताल में बहुत सारे ऐसे मरीज आते हैं जो किसी दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं और वह आर्टिफिशियल अंग लगाना चाहते हैं तो उनके हाथ-पैर का साइज लिया जाता है. फिर इसके बाद जब अंग ट्रांसप्लांट किया जाता है. उसके बाद मरीज को महीने भर के लिए ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है. मरीज आर्टिफिशियल अंग के साथ कितना कंफर्टेबल है. यह बेहद जरूरी होता है.

यह भी पढ़ें : Maharajganj crime news: फिल्मी स्टाइल में नेपाल से सस्ता सोना दिलाने के नाम पर ठगी करने वाले 3 गिरफ्तार

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लखनऊ : सुल्तानपुर की रहने वाली 30 वर्षीय युवती की सड़क दुर्घटना में हाथ कट गया था. जिस वक्त युवती का हाथ कटा था, उसके कुछ महीने बाद ही उसकी शादी थी और उसकी इच्छा थी कि वह अपने हाथों से अपने होने वाले पति को वरमाला पहनाए. उसकी इस इच्छा को केजीएमयू पीएमआर विभाग ने पूरा किया. युवती के परिजन उसे इलाज के लिए केजीएमयू लाए. जहां डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन रिहैबिलिटेशन (पीएमआर) ने युवती का आर्टिफिशियल हाथ लगाया. शादी के वक्त युवती ने आर्टिफिशियल हाथ के सहारे ही अपने पति को वरमाला पहनाया.

केजीएमयू का पीएमआर विभाग.
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इसी तरह हरदोई निवासी आस्था (17) का सड़क दुर्घटना में एक पैर कट गया था. जब हादसा हुआ उस समय बुरी तरह से पैर क्षतिग्रस्त था. ट्रामा में इलाज के दौरान परिजनों को यह बताया गया कि बच्ची का पैर सड़क हादसे में कट गया है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान आस्था ने बताया कि पिछले अप्रैल में हाईवे पर ट्रक से एक्सीडेंट हुआ था. इस सड़क दुर्घटना में उसने अपना एक पैर गवां दिया था. आस्था ने बताया कि इस समय धीरे-धीरे वह चलने लगी है. केजीएमयू केपीएमआर के भाग में कृत्रिम पैर लगाया गया है. आस्था ने कहा कि यहां पर मेरा बहुत देखभाल किया गया यहां के सारा स्टाफ और डॉक्टर बहुत अच्छे हैं और मेरा अच्छी तरह से ट्रीटमेंट किया है.

केजीएमयू का पीएमआर विभाग.
केजीएमयू का पीएमआर विभाग.

वर्कशॉप इंचार्ज शगुन सिंह ने बताया कि पीएमआर की ओपीडी में कई प्रकार के केस आते हैं. बहुत सारे केस अंग भंग के आते हैं. जिसने किसी सड़क दुर्घटना में मरीज के शरीर का कोई भी अंग क्षतिग्रस्त हो जाता है. उन्होंने बताया कि बहुत ही कम पैसों में यहां पर मरीज को एक बढ़िया चिकित्सा सुविधा मिलती है ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि किसी मरीज के पास पैसा नहीं है तो हम उसे वापस लौटा देंगे बहुत सारी संस्थाएं ऐसी हैं जो गरीब वर्ग के लिए काम करती हैं हम उनकी मदद लेते हैं और अगर कोई मिल जाता है कि उसे आर्टिफिशियल अंग की आवश्यकता है तो उसकी मदद हम जरूर करते हैं. शगुन ने बताया कि बहुत सारे केस ऐसे आते हैं जिसमें हमारी अपने दोनों हाथ दोनों पैर गवां चुके होते हैं. ऐसे लोगों की उम्मीद को हम टूटने नहीं देते हैं यहां पर मैं बेहतर इलाज मुहैया कराते हैं.

केजीएमयू का पीएमआर विभाग.
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उन्होंने बताया कि एक केस आया था जिसमें 23 साल के युवक का सड़क दुर्घटना में दोनों पैर और एक हाथ कट गया था वह पूरी तरह से हताश था. उसके परिजन उसे केजीएमयू केपीएमआर सेंटर ले आए जहां पर उसके हाथ पैर का नाप लिया गया और उसके अनुसार एक महीने के भीतर उसका हाथ पैर तैयार किया गया फिर उसके बाद युवक का हाथ पैर लगाया गया. मौजूदा समय में उसके पिता काफी खुश हैं फोन कर उन्होंने जानकारी भी दिया कि इस समय उनका बेटा खुश है. साथ ही वह मोबाइल फोन का भी इस्तेमाल कर लेता है. उन्होंने कहा कि एक बार एक युवती और एक युवक किस सड़क दुर्घटना में एक हाथ कट गया था. एक साथ दो की आए थे और दोनों की शादी एक महीने बाद ही थी. लड़की की इच्छा थी कि वह अपने होने वाले पति को वरमाला पहनाए. वहीं लड़के की भी इच्छा थी कि वह अपने होने वाली पत्नी को वरमाला पहनाए. एक महीने के भीतर ही दोनों का आर्टिफिशियल हाथ लगाया गया और उन्हें इतना ट्रेंड कर दिया गया कि एक महीने के अंदर दोनों हाथ का इस्तेमाल करने लगे थे. उन्होंने बताया कि एक महीने में कम से कम 30 से 40 मरीज का अंग लगाया जाता है.

केजीएमयू का पीएमआर विभाग.
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वर्कशॉप में आर्टिफिशियल अंग तैयार किया जाता है ऐसे में जो मरीज आते हैं उनके हाथ पैर का नाम लिया जाता है फिर उसके अनुसार उनका कृत्रिम अंग बनाया जाता है. मरीज का कृत्रिम अंग बन जाने के बाद उसे लगाया जाता है और कुछ दिन के लिए उन्हें अस्पताल में ही रहना होता है इस दौरान देखा जाता है कि मरीज कितना कंफर्टेबल है उस आर्टिफिशियल अंग के साथ. सड़क दुर्घटना में कई बार व्यक्ति अपने हाथ पैर गंवा बैठते हैं. केजीएमयू के भौतिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग (Department of Physical Medicine & Rehabilitation) के विशेषज्ञ डॉक्टर्स उन मरीजों के आर्टिफिशियल अंग लगाते हैं जो कभी दुर्घटना में कट गए हो. प्रदेशभर से मरीज यहां पर इलाज के लिए आते हैं. सर्दी में इस समय ओपीडी में 150 रोजाना मरीज आ रहे हैं. केजीएमयू पीएनआर डॉ. अनिल ने बताया कि अस्पताल में बहुत सारे ऐसे मरीज आते हैं जो किसी दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं और वह आर्टिफिशियल अंग लगाना चाहते हैं तो उनके हाथ-पैर का साइज लिया जाता है. फिर इसके बाद जब अंग ट्रांसप्लांट किया जाता है. उसके बाद मरीज को महीने भर के लिए ऑब्जर्वेशन में रखा जाता है. मरीज आर्टिफिशियल अंग के साथ कितना कंफर्टेबल है. यह बेहद जरूरी होता है.

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