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लखनऊ छावनी में मनाया गया कारगिल विजय दिवस समारोह, रणबांकुरों को दी गई श्रद्धांजलि

कारगिल विजय के 24वें दिवस के अवसर पर युद्ध नायकों का सम्मान करने के लिए मध्य कमान के सभी रैंकों की ओर से लखनऊ छावनी में स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की गई. इस दौरान मध्य कमान के लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम, जीओसी-इन-सी आदि मौजूद रहे.

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Published : Jul 27, 2023, 4:06 PM IST

लखनऊ : भारतीय सशस्त्र बलों की जीत का जश्न मनाने और शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 11 जीआरआरसी, लखनऊ छावनी के युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि समारोह आयोजित किया गया. 24वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर युद्ध नायकों का सम्मान करने के लिए मध्य कमान के सभी रैंकों की ओर से मध्य कमान के लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम, जीओसी-इन-सी ने स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की.

कारगिल विजय दिवस पर रणबांकुरों को दी गई श्रद्धांजलि.
कारगिल विजय दिवस पर रणबांकुरों को दी गई श्रद्धांजलि.
कारगिल विजय दिवस.
कारगिल विजय दिवस.
मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह के अनुसार कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को लद्दाख के कारगिल-द्रास सेक्टर के क्षेत्र में दुनिया के सबसे दुर्गम इलाके में लड़ी गई लड़ाई की वीरता और शौर्य की गाथा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भारतीय सशस्त्र बलों ने सबसे कठिन इलाकों, विपरीत मौसम की स्थिति से जूझते हुए, साहस और वीरता के साथ बर्फीली चोटियों की खड़ी ढलानों पर बहादुरी से लड़ाई लड़ी और दुश्मन को हराया.
कारगिल विजय दिवस पर रणबांकुरों को दी गई श्रद्धांजलि.
कारगिल विजय दिवस पर रणबांकुरों को दी गई श्रद्धांजलि.
कारगिल विजय दिवस.
कारगिल विजय दिवस.

कारगिल युद्ध जिसे ऑपरेशन विजय नाम से भी जाना जाता है. लगभग 16 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था. जिसमें 1,042 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे और 527 भारतीय सैनिकों ने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया था. इन जवानों में लखनऊ के कैप्टन मनोज पांडेय भी शामिल थे. जिन्होंने इस युद्ध में अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय दिया था. उन्होंने पाकिस्तानी सेना के बैंकरों को नेस्तनाबूद कर दिया था. उनकी बदौलत ही कारगिल चोटी पर भारतीय सेना ने फतह हासिल की थी. हालांकि इस चोटी पर विजय पताका फहराने के बाद कैप्टन मनोज पांडेय शहीद हो गए थे, लेकिन उनकी वीरता के लिए भारत सरकार की तरफ से मरणोपरांत भारतीय सेना का सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया. कैप्टन मनोज पांडेय के अलावा मेजर रितेश शर्मा और राइफलमैन सुनील जंग की भी बहादुरी की वीर गाथाएं प्रचलित हैं.




यह भी पढ़ें : UP Madarsa Education Board Result 2023 : मुंशी-मौलवी, आलिम, कामिल व फाजिल की परीक्षाओं का रिजल्ट घोषित

लखनऊ : भारतीय सशस्त्र बलों की जीत का जश्न मनाने और शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के लिए 11 जीआरआरसी, लखनऊ छावनी के युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि समारोह आयोजित किया गया. 24वें कारगिल विजय दिवस के अवसर पर युद्ध नायकों का सम्मान करने के लिए मध्य कमान के सभी रैंकों की ओर से मध्य कमान के लेफ्टिनेंट जनरल एनएस राजा सुब्रमणि, एवीएसएम, एसएम, वीएसएम, जीओसी-इन-सी ने स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की.

कारगिल विजय दिवस पर रणबांकुरों को दी गई श्रद्धांजलि.
कारगिल विजय दिवस पर रणबांकुरों को दी गई श्रद्धांजलि.
कारगिल विजय दिवस.
कारगिल विजय दिवस.
मध्य कमान के जनसंपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह के अनुसार कारगिल विजय दिवस हर साल 26 जुलाई को लद्दाख के कारगिल-द्रास सेक्टर के क्षेत्र में दुनिया के सबसे दुर्गम इलाके में लड़ी गई लड़ाई की वीरता और शौर्य की गाथा के रूप में मनाया जाता है. इस दिन भारतीय सशस्त्र बलों ने सबसे कठिन इलाकों, विपरीत मौसम की स्थिति से जूझते हुए, साहस और वीरता के साथ बर्फीली चोटियों की खड़ी ढलानों पर बहादुरी से लड़ाई लड़ी और दुश्मन को हराया.
कारगिल विजय दिवस पर रणबांकुरों को दी गई श्रद्धांजलि.
कारगिल विजय दिवस पर रणबांकुरों को दी गई श्रद्धांजलि.
कारगिल विजय दिवस.
कारगिल विजय दिवस.

कारगिल युद्ध जिसे ऑपरेशन विजय नाम से भी जाना जाता है. लगभग 16 हजार फीट की ऊंचाई पर लड़ा गया था. जिसमें 1,042 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे और 527 भारतीय सैनिकों ने जीवन का सर्वोच्च बलिदान दिया था. इन जवानों में लखनऊ के कैप्टन मनोज पांडेय भी शामिल थे. जिन्होंने इस युद्ध में अदम्य साहस और पराक्रम का परिचय दिया था. उन्होंने पाकिस्तानी सेना के बैंकरों को नेस्तनाबूद कर दिया था. उनकी बदौलत ही कारगिल चोटी पर भारतीय सेना ने फतह हासिल की थी. हालांकि इस चोटी पर विजय पताका फहराने के बाद कैप्टन मनोज पांडेय शहीद हो गए थे, लेकिन उनकी वीरता के लिए भारत सरकार की तरफ से मरणोपरांत भारतीय सेना का सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार परमवीर चक्र दिया गया. कैप्टन मनोज पांडेय के अलावा मेजर रितेश शर्मा और राइफलमैन सुनील जंग की भी बहादुरी की वीर गाथाएं प्रचलित हैं.




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