लखनऊ: उत्तर प्रदेश के सरकारी प्राइमरी और अपर प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के तबादलों को मंजूरी दे दी गई है. इसके लिए शासन की तरफ से नीति भी जारी की गई है. जिसका फायदा 3.50 लाख से ज्यादा शिक्षकों को मिलेगा, लेकिन ये तबादले जिलों के अंदर ही हो सकेंगे और इसके अलावा समायोजन की भी व्यवस्था की गई है.
बेसिक शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने समायोजन, तबादले नीति जारी कर दी है. तबादले ऑनलाइन होंगे. इसके लिए 10 दिन के अंदर पोर्टल शुरू किया जाएगा. तबादले में किसी भी तरह की गड़बड़ी के लिए जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जिम्मेदार होंगे. जिन शिक्षकों के रिटायर होने को 2 साल बचे हैं. उन्हें समायोजन प्रक्रिया से अलग रखा जाएगा. हालांकि वे चाहें तो आवेदन कर सकेंगे. यदि सरप्लस शिक्षकों में दिव्यांग, असाध्य या गंभीर रोग से ग्रसित, एकल अभिभावक हैं तो उन्हें छोड़ते हुए वरिष्ठता के आधार पर समायोजन किया जाएगा.
इन स्कूलों के शिक्षकों का नहीं होगा तबादला
किसी भी आवश्यकता वाले स्कूलों से शिक्षकों के तबादले नहीं किए जाएंगे. सरप्लस और आवश्यकता वाले स्कूलों को वेबसाइट पर प्रदर्शित किया जाएगा. पहले सरप्लस स्कूलों वाले अध्यापक-अध्यापकों से आवश्यकता वाले 25 स्कूलों का विकल्प लेते हुए तबादला किया जाएगा. यदि आवेदन पत्र एक से ज्यादा होंगे तो वरीयता तय करने के मानक भी तय किए गए हैं. शिक्षक अपनी इच्छानुसार स्कूलों का चयन कर सकेंगे. इस चरण के बाद दूसरे चरण में सरप्लस शिक्षकों वाले स्कूलों से शिक्षकों का समायोजन विभाग अपने स्तर से आवश्यकता वाले स्कूलों में करेगा.
ऐसे तय होंगे स्कूल
तबादले के लिए सबसे पहले सरप्लस शिक्षकों वाले स्कूलों की पहचान की जाएगी. इसके साथ ही आवश्यकता वाले स्कूलों की सूची इस क्रम में तैयार की जाएगी- शिक्षक विहीन, एकल शिक्षक और ऐसे स्कूल जहां दो से अधिक हैं, लेकिन आरटीई के मानकों के मुताबिक रिक्तियां हैं. इसके अलावा समायोजन और तबादले होंगे. शिक्षक विहीन स्कूलों में तीन शिक्षक, एकल शिक्षक वाले स्कूलों में 2 और बाकी स्कूलों में मानकों के मुताबिक शिक्षक तैनात किए जाएंगे. यदि उस ब्लॉक में रिक्ति नहीं है तो सरप्लस शिक्षक और अन्य ब्लॉक में भेजा जा सकता है.
तबादले के लिए जिलाधिकारी की अध्यक्षता में 5 सदस्यीय कमेटी बनाई जाएगी, जिसमें मुख्य विकास अधिकारी, डायट प्राचार्य, वित्त व लेखाधिकारी और बेसिक शिक्षा अधिकारी सदस्य होंगे.
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