लखनऊ: राजधानी में आंवले की खेती वन विभाग की तरफ से की जा रही है. सरकार द्वारा पौधशाला प्रबंध योजना के तहत दिए गए बजट से लोगों के लिए पौधे लगाने का काम किया जा रहा है, जिससे पौधों को लोग खरीद कर लगा सकें और इसका लाभ ले सकें, जिससे स्थानीय ग्रामीण किसानों को इसका फायदा मिल सके,और वे आंवले की खेती कर सकें.
आंवले की खेती ठंडी के मौसम में की जाती है, जो इस खेती के लिए अनुकूल मौसम होता है. इसके लिए दिसंबर से लेकर फरवरी माह तक बीज का रोपण किया जाता है. सबसे पहले सूखी हुई दोमट मिट्टी को साफ किया जाता है. उसके बाद उस मिट्टी को भुरभुरा कर दिया जाता है. इस मिट्टी में खाद और गोबर के साथ ही बालू का मिश्रण किया जाता है. उसके बाद एक पॉलिथीन में इसका सही ढंग से भराव करते हैं,जिसेक बाद आंवले के बीज का रोपण किया जाता है.
किस तरह की जाती है सिंचाई
आंवले के बीज के रोपण के बाद उनका विशेष ध्यान रखना होता है. सप्ताह में एक बार ताजे पानी से सिंचाई की जाती है. वहीं बीज रोपण के बाद मिट्टी से भरे हुए पॉलिथीन को धूप में रखा जाता है. साथ ही समय पर सिंचाई करनी होती है, जिससे नमी पूरी तरह बरकरार रहे. वहीं बीच-बीच में अंकुरित होने वाले पौधों में किसी तरह की घास उग आए तो उनकी सफाई भी करनी होती है, जिससे पौधों का उत्तम विकास हो सके.
वन विभाग के रेंजर अमित सिंह ने बताया कि दिसंबर से लेकर फरवरी के बीच आंवले की खेती के लिए मौसम अनुकूल होता है. वहीं इसके पौधे का उत्पादन करते समय कई बातों का ध्यान रखना पड़ता है. पौधे का उत्पादन दोमट मिट्टी में किया जाता है. साथ ही समय समय पर सिंचाई की जाती है. वहीं पौधा मजबूत और तंदुरुस्त हो उसके लिए समय-समय पर लगाए गए बीजों में दवा भी डालनी पड़ती है.
पौधारोपण करने आई सपना ने बताया की हम लोग पहले आंवले की खेती करते समय पहले दोमट मिट्टी को अच्छे से साफ कर लेते हैं. वहीं इस मिट्टी मे प्रयुक्त सभी खादों को मिलाकर पॉलिथीन में भराई करते हैं. उसके बाद बीज का रोपण किया जाता है.