लखनऊ : ऊर्जा प्रबंधन ने बिजली निगमों में ईआरपी प्रणाली लागू करने के लिए लगभग 700 करोड़ रुपए खर्च किए. विभाग ने इसके लिए देश के अन्य सभी राज्यों से ज्यादा महंगा सॉफ्टवेयर खरीदा. विभाग के ही संगठनों ने सॉफ्टवेयर खरीदे जाने के मामले में बड़े भ्रष्टाचार के आरोप (Allegations of corruption in software purchase) लगाए हैं. ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (Energy Minister Arvind Kumar Sharma) से महंगे ईआरपी सॉफ्टवेयर में हुए घोटाले को लेकर जांच कराने की मांग कर डाली है.
ऊर्जा मंत्री ने भी कहा है कि पूरे मामले की जांच कराई जाएगी. बता दें कि इन सॉफ्टवेयर से कर्मचारियों की हाजिरी लगना, छुट्टी लेना व विभाग की खरीद फरोख्त और ठेकेदारों के भुगतान से संबंधित अन्य कार्य संपन्न किया जाना शामिल है. पेपरलेस वर्क हो इसके लिए भी ईआरपी सॉफ्टवेयर लाया गया, लेकिन अभी तक सही से कोई भी वर्क शुरू नहीं हो पाया है.
बिजली विभाग के अभियंताओं का आरोप है कि ईआरपी खरीद में भ्रष्टाचार किया गया है. महाराष्ट्र में लगभग 90 करोड़ रुपए, आंध्रप्रदेश में लगभग 25 करोड़ रुपए, तमिलनाडु में लगभग 40 करोड़ ईआरपी में खर्च किए गए, जबकि यूपी में 700 करोड़ रुपए से ज्यादा का खर्च आया. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन की तरफ से ऊर्जा मंत्री से शिकायत की गई कि सब जगह सॉफ्टवेयर एक जैसा ही, है लेकिन पावर काॅरपोरेशन में सबसे महंगा सॉफ्टवेयर लिया है. इसकी जांच होनी चाहिए. ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने आश्वासन दिया है कि अगर ऐसा हुआ है तो इसकी जांच कराई जाएगी. हालांकि जानकारों का मानना है कि ईआरपी से भविष्य में किसी तरह के भ्रष्टाचार पर रोक लग जाएगी, इसलिए अभियंता और कर्मचारी ज्यादा परेशान हो रहे हैं.
ईआरपी में है ये व्यवस्था : स्थानीय स्तर पर किसी भी प्रकार के भुगतान सुनिश्चित करने के लिए सम्बन्धित आहरण व वितरण अधिकारी (खंड के अधिशासी अभियन्ता और नामित अधिकारी), फर्म, ठेकेदार और आपूर्तिकर्ताओं के बिलों का पूरा विवरण (बैंक खाता, बैंका का नाम आदि) ईआरपी के जरिए प्रकोष्ठ को भेजने की व्यवस्था है. प्रकोष्ठ से सीधे फर्म, ठेकेदार या आपूर्तिकर्ता के खाते में भुगतान किए जाने की व्यवस्था है.
आ रहीं ये दिक्कतें
- पहले प्रत्येक वितरण खंड के अधिशासी अभियन्ता अपने स्तर से 5 ह़जार रुपये तक और अधीक्षण अभियन्ता स्तर से 20 ह़जार रुपए तक का काम करा लेते थे, अब सम्भव नहीं.
- किसी भी लाइन के क्षतिग्रस्त होने, खम्भा बदलने, बिजली के तार बदलने और ट्रांसफॉर्मर बदलने में खर्च होने वाले श्रमिकों के वेतन में भी अब देरी हो रही है.
- केन्द्रीय स्तर पर भुगतान की संस्तुति होने के बाद ही काम शुरू हो सकेगा. इससे छोटे-बड़े आकस्मिक कार्य को पूरा करने में देरी होगी.
क्या है पदाधिकारियों की शिकायत : उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर संगठन के अध्यक्ष जीवी पटेल का कहना है कि ईआरपी सॉफ्टवेयर हर राज्य में काफी कम कीमत पर खरीदा गया, जबकि बिजली विभाग में इस सॉफ्टवेयर को 700 करोड़ रुपए में खरीदने की कार्रवाई पूरी हुई है. इसमें बड़ा भ्रष्टाचार हुआ है. ऊर्जा मंत्री से पूरे मामले की जांच की मांग की गई है. उम्मीद है कि इस बड़े भ्रष्टाचार पर से पर्दा जरूर उठेगा.
ईआरपी की महंगी खरीद को लेकर ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा का कहना है कि संगठन की तरफ से इस तरह की शिकायत मिली है. पूरे मामले की जांच की जाएगी. कोई भी अगर दोषी होगा तो कार्रवाई भी होगी.
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