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योगी आदित्यनाथ के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका खारिज - मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने योगी आदित्यनाथ के चुनाव को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया है.

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इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच
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Published : Nov 16, 2022, 10:49 PM IST

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बने रहने पर सवाल खड़ा करने वाली एक रिट याचिका खारिज कर दिया है. न्यायालय ने फिजूल की याचिका दायर कर उसका समय बर्बाद करने के लिए याची पर 11 हजार रूपये का हर्जाना भी लगाया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाष शुक्ला की खंडपीठ ने याची डॉ. एम इस्माइल फारूखी की याचिका पर पारित किया. याचिका दाखिल कर याची ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अधिकार पृच्छा रिट जारी कर उनसे यह पूछने को कहा था कि वह किस अधिकार से 25 सितम्बर 2022 के बाद मुख्यमंत्री का पद धारण किये हैं.

याचिका पर कोर्ट ने पाया कि याची ने अधिकार पृच्छा रिट जारी करने के लिए याचिका में कोई कारण नहीं उल्लिखित किया था. यह भी पाया कि याची ने पहले भी ऐसी एक याचिका दाखिल की थी जिसे बाद में उसने वापस ले ली थी. उसने कोर्ट की बिना अनुमति के दूसरी याचिका भी दाखिल कर दी . कोर्ट ने कहा कि यदि याची मुख्यमंत्री के गोरखपुर चुनाव से असंतुष्ट है तो वह चुनाव याचिका दाखिल करता न कि हाई कोर्ट में अधिकार पृच्छा रिट याचिका दायर कोर्ट उसका समय जाया करता.

यह भी पढ़ें: भगोड़ा घोषित व्यक्ति अग्रिम जमानत पाने का हकदार नहीं- हाईकोर्ट

लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बने रहने पर सवाल खड़ा करने वाली एक रिट याचिका खारिज कर दिया है. न्यायालय ने फिजूल की याचिका दायर कर उसका समय बर्बाद करने के लिए याची पर 11 हजार रूपये का हर्जाना भी लगाया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति एआर मसूदी और न्यायमूर्ति ओम प्रकाष शुक्ला की खंडपीठ ने याची डॉ. एम इस्माइल फारूखी की याचिका पर पारित किया. याचिका दाखिल कर याची ने योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अधिकार पृच्छा रिट जारी कर उनसे यह पूछने को कहा था कि वह किस अधिकार से 25 सितम्बर 2022 के बाद मुख्यमंत्री का पद धारण किये हैं.

याचिका पर कोर्ट ने पाया कि याची ने अधिकार पृच्छा रिट जारी करने के लिए याचिका में कोई कारण नहीं उल्लिखित किया था. यह भी पाया कि याची ने पहले भी ऐसी एक याचिका दाखिल की थी जिसे बाद में उसने वापस ले ली थी. उसने कोर्ट की बिना अनुमति के दूसरी याचिका भी दाखिल कर दी . कोर्ट ने कहा कि यदि याची मुख्यमंत्री के गोरखपुर चुनाव से असंतुष्ट है तो वह चुनाव याचिका दाखिल करता न कि हाई कोर्ट में अधिकार पृच्छा रिट याचिका दायर कोर्ट उसका समय जाया करता.

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