लखनऊ: पूरे उत्तर भारत में ठंड ने अपनी दस्तक दे दी है. दिन और रात के तापमान में अब जबरदस्त अंतर देखने को मिल रहा है. सुबह का तापमान और दिन के तापमान में लगभग 15 से 20 डिग्री सेल्सियस का अंतर रहता है. इसकी वजह से इस बार अक्टूबर के बीच में ही ठंडक ने दस्तक दे दी है. ठंडक ने स्मॉग के रूप में प्रदूषण को भी अपने साथ ले लिया है. इसके बाद प्रदूषण और ठंडक के साथ कोरोना संक्रमण के कॉकटेल ने आने वाले दिनों में गंभीर बीमारियों को दावत देने का माहौल बना दिया है.
इस बार ठंड के हालात ऐसे होंगे कि बीते कई सालों के रिकॉर्ड टूट सकते हैं. दरअसल, लगभग 6 महीने तक लगे लॉकडाउन की वजह से पर्यावरण ज्यादा दूषित नहीं हुआ. लॉकडाउन लगने की वजह से पर्यावरण में पहले की अपेक्षा ज्यादा शुद्धता देखी गई. लॉकडाउन के दौरान निर्माण कार्य, वाहन या अन्य कारखाने बंद रहे, जो कि वायु को प्रदूषित कर देते थे. इससे इस बार वायु में शुद्धता देखी गई. इस वजह से इस बार की ठंडक नवंबर-दिसंबर में आने की अपेक्षा अक्टूबर के बीच में ही आ गई. इस पूरे मामले पर मौसम वैज्ञानिक प्रोफेसर ध्रुवसेन का कहना है कि इस बार ठंडक अन्य सालों की अपेक्षा ज्यादा होगी. साथ ही इस बार की ठंड बीते कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ सकती है.
ला नीना का होगा प्रभाव
ला निना क्या है? इसका मौसम पर प्रभाव क्या होगा? इसको लेकर जब हमने मौसम वैज्ञानिक ध्रुवसेन से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर 25 दिसंबर के आस-पास यह उत्पन्न होती हैं. वहीं से चलने वाली ठंडी धाराओं को ला नीना कहते हैं. इस साल इसका प्रभाव ज्यादा रहेगा, जिसकी वजह से और ज्यादा ठंड का प्रभाव बढ़ेगा.
ठंडक बढ़ाएगी प्रदूषण
कड़ाके की ठंड के अनुमान के बाद प्रोफेसर ध्रुवसेन से जब हमने प्रदूषण को लेकर बातचीत की तो उन्होंने कहा कि ठंडक ज्यादा पड़ने की वजह से प्रदूषण भी ज्यादा बना रहेगा. ऐसा इसलिए क्योंकि ठंडक ज्यादा रहेगी और हवा इस दौरान कम चलेगी. इसकी वजह से गलन वाली ठंडक हम सबको महसूस होगी. साथ ही हवा न चलने की वजह से प्रदूषण जस का तस बना रहेगा और अपनी जगह से हिल नहीं पाएगा. इसकी वजह से वायु प्रदूषण भी ज्यादा दिन तक लोगों को झेलना पड़ सकता है.
कब तक रहेगी ठंड
अक्टूबर के मध्य से महसूस होने वाली ठंडक इस बार लोगों को ज्यादा परेशान कर सकती है. इसको लेकर जब हमने मौसम वैज्ञानिक ध्रुवसेन से पूछा कि क्या ठंडक इस बार लंबे समय तक रहेगी तो इस पर उन्होंने कहा कि प्रकृति को ले कर कोई भी भविष्यवाणी अभी नहीं की जा सकती है. प्रकृति कभी भी अपने स्वभाव को बदल सकती है. यह बिल्कुल भी नहीं है कि ठंडक लंबी चलेगी. संभावनाएं कुछ भी हो सकती हैं.