लखनऊ: सत्ता पक्ष भाजपा हो या विपक्षी दलों में सपा और कांग्रेस का चुनावी अभियान शुरू हो गया है. उपचुनाव को लेकर दलों का चुनावी अभियान दिखने लगा है. बहुजन समाज पार्टी ने गुपचुप तरीके से अपने कार्यकर्ताओं को 11 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव अभियान में लगा दिया है. बसपा ने पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर दी है. बसपा अध्यक्ष मायावती से लेकर सतीश चंद्र मिश्र तक स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल हैं.
भाजपा ने सीएम योगी का विधानसभा उपचुनाव प्रचार के लिए कार्यक्रम जारी कर दिया है. लेकिन बसपा अध्यक्ष मायावती का यूपी के उपचुनाव को लेकर कोई कार्यक्रम जारी नहीं हुआ है. पार्टी के जानकारों का मानना है कि अगर मायावती चुनावी सभाएं नहीं करेंगी तो इसका चुनाव परिणाम पर बुरा असर पड़ सकता है.
क्या बसपा भाजपा के दबाव में है
सपा के साथ गठबंधन कर बहुजन समाज पार्टी ने समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ लिया. बसपा अध्यक्ष मायावती के पिछले कुछ समय से आ रहे बयान साबित करते हैं कि वह भाजपा के दबाव में हैं. अगर मतदाताओं में यह संदेश गया तो पार्टी के लिए अच्छा साबित नहीं होगा.
बसपा अन्य राजनीतिक दलों की तरह जनता के बीच संघर्ष करते हुए दिखाई नहीं पड़ती. बसपा के काम करने का तरीका एकदम उलट रहा है. बसपा हमेशा राजनीतिक कार्यक्रम के बजाय वह एक मूवमेंट के तौर पर लेती है. पार्टी हमेशा यह दावा भी करती है कि वह राजनीति नहीं बल्कि मूवमेंट चला रही है. बसपा का मूवमेंट पहले दलितों के लिए था और अब सोशल इंजीनियरिंग कर वह सभी को साथ लेकर चलने की बात कर रही हैं.
बसपा भाजपा की बी टीम की तरह कर रही काम
राजनीतिक विश्लेषक का कहना है कि बसपा इस उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा के दबाव में दिख रही है. लोकसभा चुनाव में सपा बसपा के गठबंधन ने दौड़ती हुई भाजपा के रथ की गति को धीमा किया था. बसपा को जीरो से बढ़कर 10 सीटें मिली. उसको खुद तोड़कर मायावती ने अलग राह अपनाई. अगर एक बार फिर यहां गठबंधन होता तो इसका आसार जरूर दिखाई पड़ता.
राम जन्मभूमि पर मायावती का बयान साबित करता है कि बसपा बिल्कुल भाजपा की बी टीम की तरह काम कर रही है. बसपा से दलित वोट बैंक का भी एक बड़ा हिस्सा कट गया है. यह समझ से परे है कि दलित और मुस्लिम मिलकर सीटों को जिताएंगे. पिछड़ा वर्ग या सवर्ण बसपा के पास नहीं है. सपा के पास यादव के अलावा कोई और नहीं है. मुस्लिम मतदाताओं की बात की जाए तो उस पर तीनों विपक्षी दल अपना अपना अधिकार जता रहे हैं.