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लेबर रूम से ओटी तक पहुंचती हैं 20 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं, ये होते हैं कारण - लखनऊ खबर

राजधानी लखनऊ में स्मृति भवन में चल रहे ऑल इंडिया कांग्रेसी ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की 63वीं कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया. इस आयोजन में महिलाओं के स्वास्थ्य के बारे में जानकारी दी गई.

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ऑल इंडिया कांग्रेसी ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी का आयोजन.
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Published : Feb 3, 2020, 8:19 AM IST

Updated : Feb 3, 2020, 8:54 AM IST

लखनऊ: फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ऑफ इंडिया की ओर से राजधानी के स्मृति भवन में चल रहे ऑल इंडिया कांग्रेसी ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की 63वीं कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया. इस अवसर पर स्त्री रोग विशेषज्ञ ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर बातचीत की.

ऑल इंडिया कांग्रेसी ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी का आयोजन.

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका अग्रवाल ने दी जानकारी
लखनऊ के क्वीन मेरी अस्पताल में कार्यरत स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका अग्रवाल कहती हैं की हमारे पास कई ऐसे मामले आते हैं, जिनमें गर्भावस्था में आई महिलाओं को लेबर रूम से ओटी में इमरजेंसी और सीरियस होने की वजह से लेकर जाना पड़ता है. इसमें कई मामले शामिल होते हैं, जैसे गर्भावस्था के दौरान बच्चे की धड़कन रुक जाना या गर्भवती के टांकों का खुलना, टांके रप्चर हो जाना, यह बच्चे के प्लेसेंटा कॉर्ड में कोई परेशानी हो जाना.

डॉ. मोनिका ने बताया कि यह मामले मां और बच्चे दोनों के लिए घातक हो जाते हैं. यदि दोनों को समय पर लेबर रूम से ओटी में शिफ्ट न किया जाए. प्रसव के दौरान मां को उतना खतरा नहीं होता, लेकिन यदि मां से जुड़ी कोई समस्या होने लगे तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. डॉ. मोनिका ने बताया कि यदि एक महीने में आने वाले मरीजों की बात की जाए तो लगभग 20 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को लेबर रूम से ओटी में सीरियस होने की वजह से शिफ्ट करना पड़ता है.

इसे भी पढ़ें- रणजीत हत्याकांड: जानिए, टीन शेड में रहने से लेकर दूसरी शादी तक की पूरी कहानी

यह आयोजन कई मायनों में बेहद खास रहा. नेपाल से कई गर्भवती महिलाएं कई बार इमरजेंसी की हालत में भारत में शिफ्ट की जाती हैं. लखनऊ में होने वाले इस आयोजन में तमाम कार्यशाला की गई, जिनसे नई तकनीक के बारे में सीखने को मिला और गायनेकोलॉजी की नई विधाओं के बारे में भी पता चला.
-डॉ. योगेंद्र मिश्रा, सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट, नेपाल

लखनऊ: फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ऑफ इंडिया की ओर से राजधानी के स्मृति भवन में चल रहे ऑल इंडिया कांग्रेसी ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी की 63वीं कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया. इस अवसर पर स्त्री रोग विशेषज्ञ ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर बातचीत की.

ऑल इंडिया कांग्रेसी ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी का आयोजन.

स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका अग्रवाल ने दी जानकारी
लखनऊ के क्वीन मेरी अस्पताल में कार्यरत स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. मोनिका अग्रवाल कहती हैं की हमारे पास कई ऐसे मामले आते हैं, जिनमें गर्भावस्था में आई महिलाओं को लेबर रूम से ओटी में इमरजेंसी और सीरियस होने की वजह से लेकर जाना पड़ता है. इसमें कई मामले शामिल होते हैं, जैसे गर्भावस्था के दौरान बच्चे की धड़कन रुक जाना या गर्भवती के टांकों का खुलना, टांके रप्चर हो जाना, यह बच्चे के प्लेसेंटा कॉर्ड में कोई परेशानी हो जाना.

डॉ. मोनिका ने बताया कि यह मामले मां और बच्चे दोनों के लिए घातक हो जाते हैं. यदि दोनों को समय पर लेबर रूम से ओटी में शिफ्ट न किया जाए. प्रसव के दौरान मां को उतना खतरा नहीं होता, लेकिन यदि मां से जुड़ी कोई समस्या होने लगे तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. डॉ. मोनिका ने बताया कि यदि एक महीने में आने वाले मरीजों की बात की जाए तो लगभग 20 प्रतिशत गर्भवती महिलाओं को लेबर रूम से ओटी में सीरियस होने की वजह से शिफ्ट करना पड़ता है.

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यह आयोजन कई मायनों में बेहद खास रहा. नेपाल से कई गर्भवती महिलाएं कई बार इमरजेंसी की हालत में भारत में शिफ्ट की जाती हैं. लखनऊ में होने वाले इस आयोजन में तमाम कार्यशाला की गई, जिनसे नई तकनीक के बारे में सीखने को मिला और गायनेकोलॉजी की नई विधाओं के बारे में भी पता चला.
-डॉ. योगेंद्र मिश्रा, सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट, नेपाल

Intro:लखनऊ। फेडरेशन ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गायनेकोलॉजी ऑफ इंडिया की ओर से राजधानी के स्मृति भवन में चल रहे ऑल इंडिया कांग्रेसी ऑफ ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी की 63 वीं कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया इस अवसर पर स्त्री रोग विशेषज्ञ ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर बातचीत की।


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लखनऊ के क्लीन मेरी अस्पताल में कार्यरत स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ मोनिका अग्रवाल कहती हैं की हमारे पास कई ऐसे मामले आते हैं जिनमें गर्भावस्था में आई महिलाओं को लेबर रूम से ओटी में इमरजेंसी या सीरियस होने की वजह से लेकर जाना पड़ता है। इसमें कई मामले शामिल होते हैं जैसे गर्भावस्था के दौरान बच्चे की धड़कन रुक जाना या गर्भवती के टांकों का खुलना, टांके रप्चर हो जाना, यह बच्चे के प्लेसेंटा कॉर्ड में कोई परेशानी हो जाना।

डॉ मोनिका कहती हैं कि यह मामले मां और बच्चे दोनों के लिए घातक हो जाते हैं यदि मैंने समय पर लेबर रूम से ओटी में शिफ्ट न किया जाए। बच्चे में परेशानी के दौरान मां को उतना खतरा नहीं होता लेकिन यदि मां से जुड़ी कोई समस्या होने लगे तो यह मां और बच्चे दोनों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं।

मोनिका ने बताया कि यदि 1 महीने में आने वाले मरीजों की बात की जाए तो लगभग 20% गर्भवती महिलाओं को लेबर रूम से ओटी में सीरियस होने की वजह से शिफ्ट करना पड़ता है।



Conclusion:नेपाल से आए सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर योगेंद्र मिश्रा कहते हैं कि यह आयोजन कई मायनों में बेहद खास रहा नेपाल से कई गर्भवती महिलाएं कई बार इमरजेंसी की हालत में भारत में शिफ्ट की जाती हैं। लखनऊ में होने वाले इस आयोजन में तमाम कार्यशाला की गई जिनसे नई तकनीक के बारे में सीखने को मिला और गायनेकोलॉजी की नई विधाओं के बारे में भी पता चला।

बाइट- डॉ मोनिका अग्रवाल, स्त्री रोग विशेषज्ञ, क्वीन मेरी अस्पताल
बाइट- डॉक्टर योगेंद्र मिश्रा, सीनियर गाइनेकोलॉजिस्ट, नेपाल

रामांशी मिश्रा
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Last Updated : Feb 3, 2020, 8:54 AM IST

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