लखनऊ: नगर निगमों में हाउस टैक्स, वाटर टैक्स ऑनलाइन जमा करने की सुविधा दी है. अब दुकान और प्रतिष्ठान खोलने के लिए पंजीकरण कराने, लाइसेंस लेने की प्रक्रिया भी ऑनलाइन होने जा रही है. संपत्तियों से जुड़े सभी मामले भी ऑनलाइन किए जाने की तैयारी है. नगर विकास विभाग ने इस संबंध में कवायद शुरू कर दी है.
नगर निगमों को डिजिटल करने पर जोर
इसके तहत संपत्तियों का सभी रिकॉर्ड ऑनलाइन उपलब्ध होगा. स्वामित्व और सभी भूमि संपत्ति संबंधी रिकॉर्ड ऑनलाइन दर्ज किया जाएगा. इसके लिए सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में पिछले 20 वर्षों के भूमि लेनदेन का ब्योरा एकत्र किया जाएगा. इसमें रजिस्ट्री नंबर और इसका पूरा विवरण होगा. सभी राजस्व विभाग के कार्यालयों से अद्यतन रिकॉर्ड लेकर इसे ऑनलाइन किया जाएगा. इससे किसी भी तरह की गड़बड़ी की संभावना नहीं रहेगी. खाली जमीनों का सर्वे कराते हुए उसे यूनिक आईडी नंबर दिया जाएगा. संपत्तियों की पहचान और उसे वेबसाइट पर फीड किया जाएगा. इसकी पहचान के लिए सर्वे भी कराया जाएगा.
लाइसेंस शुल्क जमा करने की सुविधा भी ऑनलाइन
विज्ञापन लाइसेंस और पार्किंग का ठेका देने की व्यवस्था भी ऑनलाइन की जायेगी. सिंगल विंडो सिस्टम के माध्यम से विज्ञापन के लिए साइनेज लाइसेंस पंजीकरण और नवीनीकरण की सुविधा भी ऑनलाइन होगी. विज्ञापन शुल्क, प्रक्रिया और सभी दस्तावेजों की एक विस्तृत सूची ऑनलाइन वेबसाइट पर उपलब्ध कराई जाएगी. लाइसेंस शुल्क ऑनलाइन जमा करने की व्यवस्था होगी. आवेदन जमा करने का फार्म, आवेदन शुल्क का भुगतान, आवेदन की स्थिति, प्रमाणपत्र की अंतिम कापी डाउनलोड करने की सुविधा, तीसरे पक्ष का सत्यापन रिपोर्ट भी ऑनलाइन देखा जा सकेगा.
नवंबर से ऑनलाइन ही होगा नामांतरण
नवंबर से म्यूटेशन यानी नामांतरण ऑनलाइन ही स्वीकार किए जाएंगे. इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. हालांकि यह आदेश पिछले साल ही जारी किया गया था, लेकिन कुछ निकाय अभी भी ऑफलाइन ही म्यूटेशन कर रहे हैं. इस सम्बन्ध में नगर विकास विभाग से आदेश जारी होने के बाद स्थानीय निकाय निदेशालय की निदेशक डॉ काजल ने एक बार फिर सभी निकायों को शासनादेश जारी किया है. कहा गया है कि उत्तर प्रदेश जनहित गारंटी अधिनियम में नगर निगम सीमा में स्थित गैरविवादित संपत्तियों के नामांतरण के लिए 45 दिन की समय-सीमा निर्धारित की गई है. 60 नगरों में 18 सुविधाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं.
तय समय में काम न होने पर जोनल के खिलाफ कार्रवाई
म्यूटेशन संबंधी मामलों में 45 दिन के अंदर कार्यवाही न होने पर संबंधित जोनल अधिकारी से उच्च स्तर के अधिकारी को छह कार्यदिवस में फैसला करने की व्यवस्था है. इसके बाद म्यूटेशन मामले में नगर आयुक्त का अनुमोदन जरूरी होगा. शासनादेश में कहा गया है कि किसी जोन में गैरविवादित म्यूटेशन के मामलों के तीन प्रतिशत से अधिक में 45 दिन के अंदर फैसला न होने पर उक्त जोन के जोनल अधिकारी का विवरण शासन को उपलब्ध कराया जाए. नगर निगम हर तीन माह में यह सूचना शासन को उपलब्ध कराएगा. 31 अक्तूबर के बाद ऑफलाइन म्यूटेशन पर पूरी तरह से रोक होगी और सिर्फ ऑनलाइन ही यह काम किया जाएगा.