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लखनऊ पुलिस ने LDA से पूछा, याजदान बिल्डर बना रहा था अवैध बिल्डिंग तब कहां थे अधिकारी - लखनऊ अवैध बिल्डिंग निर्माण

राजधानी लखनऊ में अवैध रूप से बिल्डिंग निर्माण मामले में लखनऊ पुलिस ने सक्रियता दिखानी शुरू कर दी है. राजधानी के कई अपार्टमेंट के ढहने और ध्वस्तीकरण के बाद पुलिस ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के अधिकारियों-कर्मचारियों को कठघरे में खड़ा किया है.

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Published : May 27, 2023, 9:31 PM IST

लखनऊ : नजूल की जमीन पर अवैध रूप से अपार्टमेंट बनवाए जाने को लेकर जांच कर रही लखनऊ पुलिस ने लखनऊ विकास प्राधिकरण से उन कर्मचारियों और अधिकारियों के नाम मांगे हैं, जिनके समय में ये जमीन का पट्टा हो रहा था और इस पर अपार्टमेंट का निर्माण कराया जा रहा था. पुलिस की जांच में सामने आया है कि याजदान बिल्डर के मालिक फहद याजदानी ने एलडीए के अधिकारियों से मिलकर यह पूरा घोल मोल किया था. पुलिस ने एलडीए से 10 सवालों के जवाब तलब किए है.

लखनऊ पुलिस के घेरे में एलडीए के अफसर.
लखनऊ पुलिस के घेरे में एलडीए के अफसर.

शराफत ने एलडीए के कर्मचारी से मिलीभगत की बात कबूली : राजधानी के प्रागनारायण रोड स्थित अवैध अलाया हेरिटेज अपार्टमेंट को ध्वस्त करने के पांच माह बाद 3 मई को एलडीए द्वारा याजदान बिल्डर के मालिक फहद याजदानी व शराफत अली समेत आठ लोगों के खिलाफ हजरतगंज थाने एफआइआर दर्ज कराई गई थी. बीते दिनों शराफत की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में सामने आया है कि उसने और फहद याजदानी ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से नजूल की जमीन पर कब्जा किया, उसका फर्जी पट्टा करवाया और उस पर अपार्टमेंट बनवा खरीद फरोख्त की थी. सूत्रों के मुताबिक शराफत ने पुलिस के सामने एलडीए के कई अधिकारियों और कर्मियों के नाम उगले हैं.

लखनऊ पुलिस के घेरे में एलडीए के अफसर.
लखनऊ पुलिस के घेरे में एलडीए के अफसर.
नजूल की जमीन का हुआ था हेर फेर : दरअसल, प्राग नारायण रोड स्थित याजदान बिल्डर द्वारा निर्माण की गई आलाया अपार्टमेंट हैरिटेज को अवैध मान कर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने ध्वस्त करने का फैसला किया था. वर्ष 2018 से बन रहा अपार्टमेंट अवैध है, यह जानने में एलडीए को पांच वर्ष लग गए. जिसके बाद छह मंजिला इमारत को दिसंबर 2022 को ध्वस्त कर दिया गया. इसमें 48 फ्लैट बने हुए थे. एलडीए की जांच में सामने आया था कि इस भूखंड के मूल पट्टेदार ने नजूल अधिकारी की लिखित अनुमति के बिना पट्टे का विभाजन कर दिया. 1 सितंबर 1941 को अमीनुज्जमानी बेगम के पक्ष में हस्तांतरित कर दिए गए. इसका दाखिल खारिज 14 जुलाई 1944 को स्वीकृत किया गया था. नामांकित पट्टेदार ने नियमों की अनदेखी करते हुए उसको दो भागों में बांट दिया. 16 मार्च 1964 को हयातउल्ला अंसारी और 15 जून 1965 को विमला देवी गुप्ता को बेच दिया. विमला देवी की मृत्यु के बाद उनके कथित वारिस पंकज गुप्ता, रेनू जैन, मीनू गुप्ता और रीता अग्रवाल ने पट्टागत नजूल की भूमि को यजदान इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड के शायम याजदानी के पक्ष में 8 जून 2015 को बेच दी. कब चर्चा में आया याजदान बिल्डर : याजदान बिल्डर उस समय चर्चा में आया, जब राजधानी के प्राग नारायण रोड स्थित याजदान बिल्डर की अलाया हैरिटेज अपार्टमेंट के ध्वस्तकारण के एक माह बाद एक इसी बिल्डर की एक अन्य बिल्डिंग अलाया अपार्टमेंट 24 जनवरी की रात अचानक ढह गई थी. इस हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. जांच में सामने आया था कि अलाया अपार्टमेंट को बनवाने से पहले एलडीए से नक्शा नहीं पास कराया गया था. इसके बाद फहद याजदान, पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर समेत एक दर्जन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी.यह भी पढ़ें : निकाय चुनावों के बाद अस्तित्व में आई शहरों की सरकार के सामने क्या होंगी चुनौतियां

लखनऊ : नजूल की जमीन पर अवैध रूप से अपार्टमेंट बनवाए जाने को लेकर जांच कर रही लखनऊ पुलिस ने लखनऊ विकास प्राधिकरण से उन कर्मचारियों और अधिकारियों के नाम मांगे हैं, जिनके समय में ये जमीन का पट्टा हो रहा था और इस पर अपार्टमेंट का निर्माण कराया जा रहा था. पुलिस की जांच में सामने आया है कि याजदान बिल्डर के मालिक फहद याजदानी ने एलडीए के अधिकारियों से मिलकर यह पूरा घोल मोल किया था. पुलिस ने एलडीए से 10 सवालों के जवाब तलब किए है.

लखनऊ पुलिस के घेरे में एलडीए के अफसर.
लखनऊ पुलिस के घेरे में एलडीए के अफसर.

शराफत ने एलडीए के कर्मचारी से मिलीभगत की बात कबूली : राजधानी के प्रागनारायण रोड स्थित अवैध अलाया हेरिटेज अपार्टमेंट को ध्वस्त करने के पांच माह बाद 3 मई को एलडीए द्वारा याजदान बिल्डर के मालिक फहद याजदानी व शराफत अली समेत आठ लोगों के खिलाफ हजरतगंज थाने एफआइआर दर्ज कराई गई थी. बीते दिनों शराफत की गिरफ्तारी के बाद पूछताछ में सामने आया है कि उसने और फहद याजदानी ने लखनऊ विकास प्राधिकरण के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से नजूल की जमीन पर कब्जा किया, उसका फर्जी पट्टा करवाया और उस पर अपार्टमेंट बनवा खरीद फरोख्त की थी. सूत्रों के मुताबिक शराफत ने पुलिस के सामने एलडीए के कई अधिकारियों और कर्मियों के नाम उगले हैं.

लखनऊ पुलिस के घेरे में एलडीए के अफसर.
लखनऊ पुलिस के घेरे में एलडीए के अफसर.
नजूल की जमीन का हुआ था हेर फेर : दरअसल, प्राग नारायण रोड स्थित याजदान बिल्डर द्वारा निर्माण की गई आलाया अपार्टमेंट हैरिटेज को अवैध मान कर लखनऊ विकास प्राधिकरण ने ध्वस्त करने का फैसला किया था. वर्ष 2018 से बन रहा अपार्टमेंट अवैध है, यह जानने में एलडीए को पांच वर्ष लग गए. जिसके बाद छह मंजिला इमारत को दिसंबर 2022 को ध्वस्त कर दिया गया. इसमें 48 फ्लैट बने हुए थे. एलडीए की जांच में सामने आया था कि इस भूखंड के मूल पट्टेदार ने नजूल अधिकारी की लिखित अनुमति के बिना पट्टे का विभाजन कर दिया. 1 सितंबर 1941 को अमीनुज्जमानी बेगम के पक्ष में हस्तांतरित कर दिए गए. इसका दाखिल खारिज 14 जुलाई 1944 को स्वीकृत किया गया था. नामांकित पट्टेदार ने नियमों की अनदेखी करते हुए उसको दो भागों में बांट दिया. 16 मार्च 1964 को हयातउल्ला अंसारी और 15 जून 1965 को विमला देवी गुप्ता को बेच दिया. विमला देवी की मृत्यु के बाद उनके कथित वारिस पंकज गुप्ता, रेनू जैन, मीनू गुप्ता और रीता अग्रवाल ने पट्टागत नजूल की भूमि को यजदान इन्फ्रा प्राइवेट लिमिटेड के शायम याजदानी के पक्ष में 8 जून 2015 को बेच दी. कब चर्चा में आया याजदान बिल्डर : याजदान बिल्डर उस समय चर्चा में आया, जब राजधानी के प्राग नारायण रोड स्थित याजदान बिल्डर की अलाया हैरिटेज अपार्टमेंट के ध्वस्तकारण के एक माह बाद एक इसी बिल्डर की एक अन्य बिल्डिंग अलाया अपार्टमेंट 24 जनवरी की रात अचानक ढह गई थी. इस हादसे में तीन लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी. जांच में सामने आया था कि अलाया अपार्टमेंट को बनवाने से पहले एलडीए से नक्शा नहीं पास कराया गया था. इसके बाद फहद याजदान, पूर्व मंत्री शाहिद मंजूर समेत एक दर्जन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हुई थी.यह भी पढ़ें : निकाय चुनावों के बाद अस्तित्व में आई शहरों की सरकार के सामने क्या होंगी चुनौतियां
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