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सिर्फ पोस्टर में जयंत और अखिलेश का साथ, अब नहीं बन रही बात !

राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया जयंत चौधरी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव का साथ अब पोस्टरों में ही नजर आ रहा है. चलिए आगे जानते हैं इसके बारे में.

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यह बोले राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी.
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Published : May 3, 2023, 6:44 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी 2022 का विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ी थीं. दोनों पार्टियों के मुखिया ने गठबंधन लाभ को देखते हुए आगे सभी चुनावों में साथ में ही उतरने का फैसला भी लिया था, लेकिन एक साल के ही अंदर जब निकाय चुनाव की बारी आई तो इन दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच दरार नजर आने लगी. टिकट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के नेताओं में बात नहीं बनी. हालांकि इस पर दोनों पार्टियों की तरफ से बयान आया कि गठबंधन में कोई दिक्कत नहीं है. सब कुछ सही चल रहा है, लेकिन एक दिन पहले जब सहारनपुर में अखिलेश यादव जनसभा और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंचे तो राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया जयंत चौधरी ने इस कार्यक्रम से कन्नी काट ली. इसके बाद इस गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं. राजनीतिक गलियारों में ये बात आम हो चली है कि आगामी लोकसभा चुनाव तक शायद ही समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन बरकरार रह पाए.

यह बोले राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी.
स्थानीय निकाय चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी से मेरठ और मथुरा की महापौर सीट मांगी थी. रालोद के नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इस बारे में पार्टी की तरफ से अवगत भी करा दिया गया था, लेकिन अखिलेश यादव ने बिना कुछ सोचे समझे मेरठ में अपनी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को मैदान में उतार दिया. वहीं मथुरा में भी प्रत्याशी घोषित कर दिया. इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं को झटका लगा. इसके बाद कई सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी के सामने अपने भी प्रत्याशी मैदान में उतार दिए.

सूत्र बताते हैं कि जयंत चौधरी ने भी इसे लेकर अखिलेश यादव से नाराजगी जताई. इसके बाद अखिलेश को जयंत की नाराजगी का एहसास हुआ. उन्होंने बड़ौत सीट से अपना प्रत्याशी वापस लिया. इससे गठबंधन में पड़ी दरार की चर्चा बंद हो गई लेकिन अखिलेश और जयंत की दूरी एक बार फिर अखिलेश के सहारनपुर दौरे से सामने आ गई. सहारनपुर के सपा मुखिया के दौरे में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी साथ नहीं आए. अखिलेश के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद नजर आए. आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी सिर्फ पोस्टर में ही दिखे. मंच पर सहभागिता के तौर पर सिर्फ राष्ट्रीय लोकदल के जिले के पदाधिकारी खड़े नजर आए. इसके बाद एक बार फिर सियासी चर्चाएं आम हो गई हैं कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच कुछ भी सही नहीं है.

...तो क्या 2024 में भाजपा के साथ कदमताल करेगी आरएलडी
अखिलेश और जयंत के बीच जिस तरह से खटास होने की बातें सामने आ रही हैं उससे राजनीतिक जानकार भी अंदाजा लगा रहे हैं कि 2024 का लोकसभा चुनाव शायद ही राष्ट्रीय लोक दल समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़े. जानकारी का तो यहां तक मानना है कि लोकसभा चुनाव के लिए आरएलडी अध्यक्ष के भाजपा के शीर्ष स्तर के नेताओं से बात हो चुकी है. कोई बड़ी बात नहीं होगी कि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ राष्ट्रीय लोकदल भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने साझा प्रत्याशी मैदान में उतारे.


बता दें कि राष्ट्रीय लोकदल ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को 33 सीटें दी थीं, जिनमें रालोद के आठ प्रत्याशी चुनाव जीतकर आए थे. इसके बाद जयंत चौधरी ने भी कहा था कि अब आगे तक समाजवादी पार्टी से राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन बरकरार रहेगा, लेकिन एक साल में ही ये गठबंधधन दम तोड़ने लगा है, जैसे ही निकाय चुनाव आए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल में दरार पड़ गई. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पार्टी के बड़े नेताओं का यहां तक कहना है कि जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हमारे कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं किया तो हमारी पार्टी भला अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में क्यों नहीं उतारती. कई जगह ऐसी है जहां पर हम आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं.

ये बोले रालोद के नेता
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी का साफ कहना है कि गठबंधन में दरार पड़ने की चर्चा पूरी तरह अफवाह है. जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की लगातार मुलाकात हो रही है. बातचीत हो रही है. किसी तरह की गठबंधन में कोई समस्या नहीं है. निकाय चुनाव दोनों पार्टियां साथ मिलकर लड़ रही हैं और आगे भी साथ ही लड़ेंगी. आमने सामने प्रत्याशी उतारने की बात है तो थोड़ी बहुत दिक्कतें होती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि गठबंधन टूट जाए. हमारा गठबंधन बरकरार है. सहारनपुर में अखिलेश यादव का कार्यक्रम लगा था लेकिन वह जल्दबाजी में तय किया गया और हमारी पार्टी के अध्यक्ष पहले ही कार्यक्रमों में व्यस्त थे, इसलिए साथ नहीं आ पाए. पार्टी के जिला पदाधिकारी मंच पर उनके साथ मौजूद रहे. आने वाले दिनों में एक बार फिर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी साथ नजर आएंगे.

ये भी पढ़ेंः संतकबीरनगर में सीएम योगी बोले, यूपी में बंद हो गई हफ्ता वसूली

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में राष्ट्रीय लोक दल और समाजवादी पार्टी 2022 का विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ी थीं. दोनों पार्टियों के मुखिया ने गठबंधन लाभ को देखते हुए आगे सभी चुनावों में साथ में ही उतरने का फैसला भी लिया था, लेकिन एक साल के ही अंदर जब निकाय चुनाव की बारी आई तो इन दोनों पार्टियों के नेताओं के बीच दरार नजर आने लगी. टिकट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के नेताओं में बात नहीं बनी. हालांकि इस पर दोनों पार्टियों की तरफ से बयान आया कि गठबंधन में कोई दिक्कत नहीं है. सब कुछ सही चल रहा है, लेकिन एक दिन पहले जब सहारनपुर में अखिलेश यादव जनसभा और प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पहुंचे तो राष्ट्रीय लोक दल के मुखिया जयंत चौधरी ने इस कार्यक्रम से कन्नी काट ली. इसके बाद इस गठबंधन को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं. राजनीतिक गलियारों में ये बात आम हो चली है कि आगामी लोकसभा चुनाव तक शायद ही समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल का गठबंधन बरकरार रह पाए.

यह बोले राष्ट्रीय लोक दल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्र नाथ त्रिवेदी.
स्थानीय निकाय चुनाव में राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी से मेरठ और मथुरा की महापौर सीट मांगी थी. रालोद के नेताओं का कहना है कि समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को इस बारे में पार्टी की तरफ से अवगत भी करा दिया गया था, लेकिन अखिलेश यादव ने बिना कुछ सोचे समझे मेरठ में अपनी पार्टी के विधायक अतुल प्रधान की पत्नी सीमा प्रधान को मैदान में उतार दिया. वहीं मथुरा में भी प्रत्याशी घोषित कर दिया. इससे पार्टी के कार्यकर्ताओं को झटका लगा. इसके बाद कई सीटों पर राष्ट्रीय लोक दल ने समाजवादी पार्टी के सामने अपने भी प्रत्याशी मैदान में उतार दिए.

सूत्र बताते हैं कि जयंत चौधरी ने भी इसे लेकर अखिलेश यादव से नाराजगी जताई. इसके बाद अखिलेश को जयंत की नाराजगी का एहसास हुआ. उन्होंने बड़ौत सीट से अपना प्रत्याशी वापस लिया. इससे गठबंधन में पड़ी दरार की चर्चा बंद हो गई लेकिन अखिलेश और जयंत की दूरी एक बार फिर अखिलेश के सहारनपुर दौरे से सामने आ गई. सहारनपुर के सपा मुखिया के दौरे में राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी साथ नहीं आए. अखिलेश के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद नजर आए. आरएलडी मुखिया जयंत चौधरी सिर्फ पोस्टर में ही दिखे. मंच पर सहभागिता के तौर पर सिर्फ राष्ट्रीय लोकदल के जिले के पदाधिकारी खड़े नजर आए. इसके बाद एक बार फिर सियासी चर्चाएं आम हो गई हैं कि समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के बीच कुछ भी सही नहीं है.

...तो क्या 2024 में भाजपा के साथ कदमताल करेगी आरएलडी
अखिलेश और जयंत के बीच जिस तरह से खटास होने की बातें सामने आ रही हैं उससे राजनीतिक जानकार भी अंदाजा लगा रहे हैं कि 2024 का लोकसभा चुनाव शायद ही राष्ट्रीय लोक दल समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर लड़े. जानकारी का तो यहां तक मानना है कि लोकसभा चुनाव के लिए आरएलडी अध्यक्ष के भाजपा के शीर्ष स्तर के नेताओं से बात हो चुकी है. कोई बड़ी बात नहीं होगी कि लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी का साथ छोड़ राष्ट्रीय लोकदल भारतीय जनता पार्टी के साथ अपने साझा प्रत्याशी मैदान में उतारे.


बता दें कि राष्ट्रीय लोकदल ने साल 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन किया था. अखिलेश यादव ने जयंत चौधरी को 33 सीटें दी थीं, जिनमें रालोद के आठ प्रत्याशी चुनाव जीतकर आए थे. इसके बाद जयंत चौधरी ने भी कहा था कि अब आगे तक समाजवादी पार्टी से राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन बरकरार रहेगा, लेकिन एक साल में ही ये गठबंधधन दम तोड़ने लगा है, जैसे ही निकाय चुनाव आए समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोक दल में दरार पड़ गई. पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पार्टी के बड़े नेताओं का यहां तक कहना है कि जब सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने हमारे कार्यकर्ताओं का सम्मान नहीं किया तो हमारी पार्टी भला अपने प्रत्याशी चुनाव मैदान में क्यों नहीं उतारती. कई जगह ऐसी है जहां पर हम आमने-सामने चुनाव लड़ रहे हैं.

ये बोले रालोद के नेता
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश प्रवक्ता सुरेंद्रनाथ त्रिवेदी का साफ कहना है कि गठबंधन में दरार पड़ने की चर्चा पूरी तरह अफवाह है. जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की लगातार मुलाकात हो रही है. बातचीत हो रही है. किसी तरह की गठबंधन में कोई समस्या नहीं है. निकाय चुनाव दोनों पार्टियां साथ मिलकर लड़ रही हैं और आगे भी साथ ही लड़ेंगी. आमने सामने प्रत्याशी उतारने की बात है तो थोड़ी बहुत दिक्कतें होती हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि गठबंधन टूट जाए. हमारा गठबंधन बरकरार है. सहारनपुर में अखिलेश यादव का कार्यक्रम लगा था लेकिन वह जल्दबाजी में तय किया गया और हमारी पार्टी के अध्यक्ष पहले ही कार्यक्रमों में व्यस्त थे, इसलिए साथ नहीं आ पाए. पार्टी के जिला पदाधिकारी मंच पर उनके साथ मौजूद रहे. आने वाले दिनों में एक बार फिर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष जयंत चौधरी साथ नजर आएंगे.

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