लखनऊ: राजधानी में पिछले कुछ दिनों में वायु प्रदूषण इतनी तेजी से बढ़ा है कि उसने कई बड़े शहरों जैसे दिल्ली गाजियाबाद नोएडा सहित तमाम को मात दे दिया है. हालांकि अब प्रशासनिक अमले की तरफ से मशीनरी पर्यावरण को बेहतर करने और प्रदूषण कम करने के लिए प्रयास किए जाने के दावे किए जा रहे हैं.
वायु प्रदूषण से एक्यूआई में आई वृद्धि
राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ दिनों में लखनऊ सबसे प्रदूषित शहरों में रही है और आंकड़ों के पता चला कि लखनऊ में एक्यूआई 269 पर जा पहुंचा जबकि अन्य शहरों की बात करें तो मुजफ्फरनगर में 256, मुरादाबाद में 256, ग्रेटर नोएडा में 228, नोएडा में 210 और बागपत में 205 एक्यूआई रिकार्ड हुआ.
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सरकारी विभाग की है लापरवाही
जानकार बताते हैं कि लखनऊ में वायु प्रदूषण बढ़ने के पीछे सरकारी विभागों की बड़ी लापरवाही है क्योंकि हर तरफ अतिक्रमण और निर्माण का कार्य हो रहा है, उसे व्यवस्थित तरीके से नहीं कराया जा रहा है. जबकि नियम के अनुसार कहीं पर अगर कोई कार्य हो रहा है तो उसपर ग्रीन पर्दे डाले जाएं और धूल-मिट्टी सड़क पर ना आए, इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाए.
लेकिन लखनऊ में बिल्कुल इसके विपरीत कार्य हो रहा है. दूसरी तरफ सड़कों की धूल पेड़ पौधों पर आती हैं और फिर वायु प्रदूषण के रूप में लोगों को नुकसान पहुंचाती हैं. अब सरकारी अमले की तरफ से यह दावे किए जा रहे हैं कि प्रदूषण के बढ़ने के चलते सुधार के लिये पेड़ों में पानी का छिड़काव और अन्य तमाम तरह के इंतजाम किए जाएंगे.
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पिछले कुछ दिनों में लखनऊ में मौसम के बदलाव के कारण वायु प्रदूषण काफी बढ़ा है. हम प्रयास कर रहे हैं कि इसे कम किया जाए और इसके लिए हम पौधौं में मशीनों से पानी का छिड़काव करेंगे. वहीं साफ सफाई में भी विशेष सतर्कता बरती जाएगी. शासन के स्तर पर समय-समय पर मिलने वाले निर्देश के अनुसार हम अभियान चलाते रहते हैं. इसके अलावा जहां पर भी निर्माण का कार्य हो रहा है, वहां पर ग्रीन पर्दे का उपयोग कराए जाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई जा रही है.
-पंकज भूषण, पर्यावरण अभियंता