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लखनऊ में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ा, सजग हुआ प्रशासन

पिछले कई दिनों से राजधानी में वायु प्रदूषण का स्तर काफी हद तक बढ़ गया है. जहां प्रशासनिक तंत्र इसे सरकारी विभाग की लापरवाही बता रहा हैं तो वहीं दूसरी तरफ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नगर निगम और लखनऊ विकास प्राधिकरण की तरफ से प्रदूषण कम करने के दावे किए जा रहे हैं.

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रशासन हो रहा सजग
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Published : Oct 23, 2019, 5:00 PM IST

लखनऊ: राजधानी में पिछले कुछ दिनों में वायु प्रदूषण इतनी तेजी से बढ़ा है कि उसने कई बड़े शहरों जैसे दिल्ली गाजियाबाद नोएडा सहित तमाम को मात दे दिया है. हालांकि अब प्रशासनिक अमले की तरफ से मशीनरी पर्यावरण को बेहतर करने और प्रदूषण कम करने के लिए प्रयास किए जाने के दावे किए जा रहे हैं.

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रशासन हो रहा सजग.

वायु प्रदूषण से एक्यूआई में आई वृद्धि
राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ दिनों में लखनऊ सबसे प्रदूषित शहरों में रही है और आंकड़ों के पता चला कि लखनऊ में एक्यूआई 269 पर जा पहुंचा जबकि अन्य शहरों की बात करें तो मुजफ्फरनगर में 256, मुरादाबाद में 256, ग्रेटर नोएडा में 228, नोएडा में 210 और बागपत में 205 एक्यूआई रिकार्ड हुआ.

इसे भी पढ़ें:- मायावती ने यूपी की कानून व्यवस्था पर खड़े किए सवाल, कहा- धूमिल हो रही राज्य की छवि

सरकारी विभाग की है लापरवाही
जानकार बताते हैं कि लखनऊ में वायु प्रदूषण बढ़ने के पीछे सरकारी विभागों की बड़ी लापरवाही है क्योंकि हर तरफ अतिक्रमण और निर्माण का कार्य हो रहा है, उसे व्यवस्थित तरीके से नहीं कराया जा रहा है. जबकि नियम के अनुसार कहीं पर अगर कोई कार्य हो रहा है तो उसपर ग्रीन पर्दे डाले जाएं और धूल-मिट्टी सड़क पर ना आए, इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाए.

लेकिन लखनऊ में बिल्कुल इसके विपरीत कार्य हो रहा है. दूसरी तरफ सड़कों की धूल पेड़ पौधों पर आती हैं और फिर वायु प्रदूषण के रूप में लोगों को नुकसान पहुंचाती हैं. अब सरकारी अमले की तरफ से यह दावे किए जा रहे हैं कि प्रदूषण के बढ़ने के चलते सुधार के लिये पेड़ों में पानी का छिड़काव और अन्य तमाम तरह के इंतजाम किए जाएंगे.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: DGP ओपी सिंह ने दीपावली पर सुरक्षा व्यवस्था को लेकर दिए खास दिशा निर्देश

पिछले कुछ दिनों में लखनऊ में मौसम के बदलाव के कारण वायु प्रदूषण काफी बढ़ा है. हम प्रयास कर रहे हैं कि इसे कम किया जाए और इसके लिए हम पौधौं में मशीनों से पानी का छिड़काव करेंगे. वहीं साफ सफाई में भी विशेष सतर्कता बरती जाएगी. शासन के स्तर पर समय-समय पर मिलने वाले निर्देश के अनुसार हम अभियान चलाते रहते हैं. इसके अलावा जहां पर भी निर्माण का कार्य हो रहा है, वहां पर ग्रीन पर्दे का उपयोग कराए जाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई जा रही है.
-पंकज भूषण, पर्यावरण अभियंता

लखनऊ: राजधानी में पिछले कुछ दिनों में वायु प्रदूषण इतनी तेजी से बढ़ा है कि उसने कई बड़े शहरों जैसे दिल्ली गाजियाबाद नोएडा सहित तमाम को मात दे दिया है. हालांकि अब प्रशासनिक अमले की तरफ से मशीनरी पर्यावरण को बेहतर करने और प्रदूषण कम करने के लिए प्रयास किए जाने के दावे किए जा रहे हैं.

वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रशासन हो रहा सजग.

वायु प्रदूषण से एक्यूआई में आई वृद्धि
राजधानी में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ दिनों में लखनऊ सबसे प्रदूषित शहरों में रही है और आंकड़ों के पता चला कि लखनऊ में एक्यूआई 269 पर जा पहुंचा जबकि अन्य शहरों की बात करें तो मुजफ्फरनगर में 256, मुरादाबाद में 256, ग्रेटर नोएडा में 228, नोएडा में 210 और बागपत में 205 एक्यूआई रिकार्ड हुआ.

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सरकारी विभाग की है लापरवाही
जानकार बताते हैं कि लखनऊ में वायु प्रदूषण बढ़ने के पीछे सरकारी विभागों की बड़ी लापरवाही है क्योंकि हर तरफ अतिक्रमण और निर्माण का कार्य हो रहा है, उसे व्यवस्थित तरीके से नहीं कराया जा रहा है. जबकि नियम के अनुसार कहीं पर अगर कोई कार्य हो रहा है तो उसपर ग्रीन पर्दे डाले जाएं और धूल-मिट्टी सड़क पर ना आए, इस बात का भी विशेष ध्यान रखा जाए.

लेकिन लखनऊ में बिल्कुल इसके विपरीत कार्य हो रहा है. दूसरी तरफ सड़कों की धूल पेड़ पौधों पर आती हैं और फिर वायु प्रदूषण के रूप में लोगों को नुकसान पहुंचाती हैं. अब सरकारी अमले की तरफ से यह दावे किए जा रहे हैं कि प्रदूषण के बढ़ने के चलते सुधार के लिये पेड़ों में पानी का छिड़काव और अन्य तमाम तरह के इंतजाम किए जाएंगे.

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पिछले कुछ दिनों में लखनऊ में मौसम के बदलाव के कारण वायु प्रदूषण काफी बढ़ा है. हम प्रयास कर रहे हैं कि इसे कम किया जाए और इसके लिए हम पौधौं में मशीनों से पानी का छिड़काव करेंगे. वहीं साफ सफाई में भी विशेष सतर्कता बरती जाएगी. शासन के स्तर पर समय-समय पर मिलने वाले निर्देश के अनुसार हम अभियान चलाते रहते हैं. इसके अलावा जहां पर भी निर्माण का कार्य हो रहा है, वहां पर ग्रीन पर्दे का उपयोग कराए जाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई जा रही है.
-पंकज भूषण, पर्यावरण अभियंता

Intro:एंकर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में पिछले कुछ दिनों में वायु प्रदूषण तेजी से बढ़ा है। वायु प्रदूषण इस प्रकार से बड़ा की कई बड़े शहरों को भी मात दे दिया दिल्ली गाजियाबाद नोएडा सहित तमाम शहरों की तुलना में लखनऊ में वायु प्रदूषण काफी अधिक बढ़ा है अब प्रशासनिक अमले की तरफ से मशीनरी पर्यावरण को बेहतर करने और प्रदूषण कम करने के लिए प्रयास किए जाने के दावे किए जा रहे हैं।




Body:वीओ
राजधानी लखनऊ में एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी एक्यूआई की रिपोर्ट के अनुसार पिछले कुछ दिनों में लखनऊ इसकी सबसे प्रदूषित शहरों में रही है और सबसे चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए तो लखनऊ में एक युवा a269 पर जा पहुंचा जबकि अन्य शहरों की बात करें तो मुजफ्फरनगर में 256 मुरादाबाद में 256 ग्रेटर नोएडा में 228 नोएडा में 210 व बागपत में 205 एक्यूआई रिकार्ड हुआ।
जानकार बताते हैं कि लखनऊ में वायु प्रदूषण बढ़ने के पीछे जो सबसे बड़ा कारण है वह सरकारी विभागों की लापरवाही है हर तरफ अतिक्रमण और जो निर्माण हो रहा है उसे व्यवस्थित तरीके से नहीं कराया जा रहा जिससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है जबकि नियम के अनुसार अगर कहीं पर कोई निर्माण हो रहा है उसमें ग्रीन पर्दे डाले जाएं और धूल मिट्टी सड़कों पर ना आए इसका विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए लेकिन ऐसा लखनऊ में नहीं हो रहा है वहीं दूसरी तरफ सड़कों की धूल पेड़ पौधों पर आती है और फिर वह वायु प्रदूषण के रूप में लोगों को नुकसान पहुंचाती है अब सरकारी अमले की तरफ से यह दावे किए जा रहे हैं कि प्रदूषण इधर पिछले कुछ दिनों में बड़ा है तो सुधार भी हम तेजी से करेंगे इसके लिए पेड़ों में पानी का छिड़काव व अन्य तमाम तरह के इंतजाम किए जाएंगे।


बाईट, पंकज भूषण, पर्यावरण अभियंता
पिछले कुछ दिनों में लखनऊ में वायु प्रदूषण मौसम में बदलाव के कारण बड़ा है हम प्रयास कर रहे हैं कि इसे कम किया जाए और इसके लिए हम पैरों में मशीनों से पानी का छिड़काव करेंगे वही साफ सफाई में भी विशेष सतर्कता बरती जाएगी और स्वीपिंग मशीनों से सफाई की जाएगी जिससे धूल ना उड़े सड़कों पर और वायु प्रदूषण को कम किया जा सके इसके अलावा नाइट शॉपिंग मशीनों से भी हम लोग सफाई करा रहे हैं और शासन के स्तर पर जो समय-समय पर निर्देश मिलते हैं उसके अनुसार भी हम लोग अभियान चलाते हैं इसके अलावा जहां पर भी निर्माण कार्य होते हैं वहां पर ग्रीन पर्दे का उपयोग कराए जाने की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई जा रही है।



Conclusion:प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नगर निगम और लखनऊ विकास प्राधिकरण के स्तर पर दावे इसे कम करने के दावे किए जा रहे हैं अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में लखनऊ में वायु प्रदूषण की स्थिति कम होती है या फिर बढ़ती है प्रशासनिक मशीनरी की तरफ से किए जाने वाले दावे धरातल तक कितना कारगर साबित होते हैं यह भी देखने वाली बात होगी।
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