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आजादी के बाद भारतीय रेलवे को लगे विकास के पंख - रेलवे का विकास

आजादी के 72 सालों में देश ने विकास की गति काफी तेज हुई है. अगर बात रेलवे के विकास की करें तो 1945 से लेकर 2019 तक रेलवे में क्रान्तिकारी विकास हुआ है. देश में तमाम हाई स्पीड वाली ट्रेनें चलने लगी हैं और आने वाले दिनों में बुलेट ट्रेन भी चलने लगेंगी.

अजय कुमार वर्मा, मंडल मंत्री
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Published : Aug 14, 2019, 2:42 PM IST

लखनऊ: आजादी के 72 सालों में भारतीय रेलवे का बहुमुखी विकास हुआ. इस दौरान रेलवे की पटरियों में सुधार के साथ ही अत्याधुनिक तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से रेलवे ने काफी विस्तार किया, जिसके चलते आज हम बुलेट ट्रेन में सफर करने से चंद दूरी पर खड़े हैं.

आजादी के 72 सालों में भारतीय रेलवे का हुआ विकास.

आजादी से देश में हुए क्रान्तिकारी परिवर्तन-
देश को आजाद हुए 72 साल होने जा रहे हैं और इस दौरान देश ने काफी विकास किया है. इन सात दशकों में रेलवे के विकास की बात करें तो धीमी रफ्तार से शुरू हुई हमारी रेल आज हवा में बात कर रही है. आजादी के बाद वर्ष 1950 में रेलवे का राष्ट्रीयकरण हुआ और उसके बाद रेलवे प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ने लगा. कोयले से चलने वाली ट्रेनें, अब बिजली के करंट से पटरियों पर तेजी से फर्राटा भर रही हैं.

रेलवे विभाग में किये गए काफी सुधार-
रेलवे विभाग में आधुनिक और बेहतर तकनीक का इस्तेमाल कर काफी सुधार किया गया. रेल की पटरियों को दुरुस्त करने की बात हो या ट्रेनों की संख्या में इजाफा या फिर दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए किए जाने वाले उपाय, सभी पर तेजी से काम हुआ है. आजादी के बाद से इन 72 वर्षों में रेलवे ने हकीकत में काफी उन्नति की है.

कब और कहां चली पहली बार ट्रेन-
देश की स्वतंत्रता से 94 साल पहले, पहली बार अंग्रेजों के जमाने में 16 अप्रैल 18 53 को मुंबई से ठाणे के बीच पहली रेल चली थी. उसके बाद धीरे-धीरे रेल का विकास होना शुरू हुआ. 1890 में भारतीय रेलवे अधिनियम पारित हुआ और 1936 में यात्री डिब्बों को वातानुकूलित बनाया गया था. भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण 1950 में हुआ और 1952 में 6 जोन के साथ जोनल सिस्टम का भी आगाज हुआ, जो कि वर्तमान में संख्या के हिसाब से 17 तक पहुंच चुका है.

भारतीय रेल का नेटवर्क सबसे व्यस्त और लम्बा-
भारतीय रेल दुनिया की सबसे लंबी और व्यस्त नेटवर्क में से एक मानी जाती है. विश्व में भारतीय रेल नेटवर्क चौथे स्थान पर आता है. भारतीय रेलवे का नेटवर्क 1.16 लाख किलोमीटर लंबा है और करीब 15000 से भी ज्यादा रेलगाड़ियां इस नेटवर्क पर रफ्तार से फर्राटा भरती हैं. हर रोज तकरीबन 2 करोड़ लोग ट्रेन के जरिए ही अपना सफर पूरा करते हैं, वहीं रेलवे स्टेशन 6000 से ज्यादा की संख्या में हैं. हर साल करीब 6 अरब से ज्यादा यात्री भारतीय रेल से सफर करते हैं.

..जानें कब खोला गया रेल संग्रहालय-
साल 1977 में धरोहर पर्यटन शिक्षा मनोरंजन के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय रेल संग्रहालय खोला गया. सोसायटी आफ इंटरनेशनल ट्रैवलर्स ने भारत की भव्य गाड़ियां डेक्कन ओडिसी, पैलेस ऑन व्हील्स और 100 साल पुरानी ट्रेन को विश्व की सर्वश्रेष्ठ 25 ट्रेनों की लिस्ट में शामिल किया गया है. देश में वर्ष 2002 में जन शताब्दी ट्रेन का शुभारंभ हुआ. वर्ष 2004 में इंटरनेट के माध्यम से आरक्षण की शुरुआत हुई. वर्ष 2007 में देश भर में टेलीफोन नंबर 139 व्यापक ट्रेन इंक्वायरी सर्विस शुरू हुई.

16 अप्रैल 1853 को पहली बार मुंबई से ठाणे के बीच रेल सेवा की शुरुआत हुई, लेकिन आजादी के बाद रेलवे का असली विकास हुआ. बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी है, जिसमें अच्छी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है. स्वतंत्रता के बाद देश ने रेलवे में काफी विकास किया है. बुलेट ट्रेन के साथ-साथ 18 ट्रेनों की भी बात की जा रही है .
अजय कुमार वर्मा, मंडल मंत्री, रेल यूनियन

लखनऊ: आजादी के 72 सालों में भारतीय रेलवे का बहुमुखी विकास हुआ. इस दौरान रेलवे की पटरियों में सुधार के साथ ही अत्याधुनिक तकनीक के बेहतर इस्तेमाल से रेलवे ने काफी विस्तार किया, जिसके चलते आज हम बुलेट ट्रेन में सफर करने से चंद दूरी पर खड़े हैं.

आजादी के 72 सालों में भारतीय रेलवे का हुआ विकास.

आजादी से देश में हुए क्रान्तिकारी परिवर्तन-
देश को आजाद हुए 72 साल होने जा रहे हैं और इस दौरान देश ने काफी विकास किया है. इन सात दशकों में रेलवे के विकास की बात करें तो धीमी रफ्तार से शुरू हुई हमारी रेल आज हवा में बात कर रही है. आजादी के बाद वर्ष 1950 में रेलवे का राष्ट्रीयकरण हुआ और उसके बाद रेलवे प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ने लगा. कोयले से चलने वाली ट्रेनें, अब बिजली के करंट से पटरियों पर तेजी से फर्राटा भर रही हैं.

रेलवे विभाग में किये गए काफी सुधार-
रेलवे विभाग में आधुनिक और बेहतर तकनीक का इस्तेमाल कर काफी सुधार किया गया. रेल की पटरियों को दुरुस्त करने की बात हो या ट्रेनों की संख्या में इजाफा या फिर दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए किए जाने वाले उपाय, सभी पर तेजी से काम हुआ है. आजादी के बाद से इन 72 वर्षों में रेलवे ने हकीकत में काफी उन्नति की है.

कब और कहां चली पहली बार ट्रेन-
देश की स्वतंत्रता से 94 साल पहले, पहली बार अंग्रेजों के जमाने में 16 अप्रैल 18 53 को मुंबई से ठाणे के बीच पहली रेल चली थी. उसके बाद धीरे-धीरे रेल का विकास होना शुरू हुआ. 1890 में भारतीय रेलवे अधिनियम पारित हुआ और 1936 में यात्री डिब्बों को वातानुकूलित बनाया गया था. भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण 1950 में हुआ और 1952 में 6 जोन के साथ जोनल सिस्टम का भी आगाज हुआ, जो कि वर्तमान में संख्या के हिसाब से 17 तक पहुंच चुका है.

भारतीय रेल का नेटवर्क सबसे व्यस्त और लम्बा-
भारतीय रेल दुनिया की सबसे लंबी और व्यस्त नेटवर्क में से एक मानी जाती है. विश्व में भारतीय रेल नेटवर्क चौथे स्थान पर आता है. भारतीय रेलवे का नेटवर्क 1.16 लाख किलोमीटर लंबा है और करीब 15000 से भी ज्यादा रेलगाड़ियां इस नेटवर्क पर रफ्तार से फर्राटा भरती हैं. हर रोज तकरीबन 2 करोड़ लोग ट्रेन के जरिए ही अपना सफर पूरा करते हैं, वहीं रेलवे स्टेशन 6000 से ज्यादा की संख्या में हैं. हर साल करीब 6 अरब से ज्यादा यात्री भारतीय रेल से सफर करते हैं.

..जानें कब खोला गया रेल संग्रहालय-
साल 1977 में धरोहर पर्यटन शिक्षा मनोरंजन के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय रेल संग्रहालय खोला गया. सोसायटी आफ इंटरनेशनल ट्रैवलर्स ने भारत की भव्य गाड़ियां डेक्कन ओडिसी, पैलेस ऑन व्हील्स और 100 साल पुरानी ट्रेन को विश्व की सर्वश्रेष्ठ 25 ट्रेनों की लिस्ट में शामिल किया गया है. देश में वर्ष 2002 में जन शताब्दी ट्रेन का शुभारंभ हुआ. वर्ष 2004 में इंटरनेट के माध्यम से आरक्षण की शुरुआत हुई. वर्ष 2007 में देश भर में टेलीफोन नंबर 139 व्यापक ट्रेन इंक्वायरी सर्विस शुरू हुई.

16 अप्रैल 1853 को पहली बार मुंबई से ठाणे के बीच रेल सेवा की शुरुआत हुई, लेकिन आजादी के बाद रेलवे का असली विकास हुआ. बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी है, जिसमें अच्छी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है. स्वतंत्रता के बाद देश ने रेलवे में काफी विकास किया है. बुलेट ट्रेन के साथ-साथ 18 ट्रेनों की भी बात की जा रही है .
अजय कुमार वर्मा, मंडल मंत्री, रेल यूनियन

Intro:आजादी के बाद रेल को लगे विकास के पंख, 20 किलोमीटर प्रति घंटा से 150 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंची ट्रेन की रफ्तार

लखनऊ। देश को आजाद हुए 72 साल हो रहे हैं और इन 72 सालों में देश ने काफी विकास किया है। इन सात दशकों में रेलवे के विकास की बात करें तो धीमी रफ्तार से शुरू हुई हमारी रेल आज हवा में बात कर रही है। आजादी के बाद वर्ष 1950 में रेलवे का राष्ट्रीयकरण हुआ और उसके बाद रेलवे प्रगति के पथ पर तेजी से आगे बढ़ा। कोयले से चलने वाली ट्रेनें अब बिजली के करंट से पटरियों पर तेजी से फर्राटा भर रही हैं। ट्रेनों की स्पीड वक्त के साथ तेजी से बढ़ी है, वहीं रेलवे ने खुद में इतना सुधार किया है जितना शायद ही अन्य किसी विभाग ने किया हो। चाहे रेल की पटरियों को दुरुस्त करने की बात हो या ट्रेनों की संख्या में इजाफा या फिर दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए किए जाने वाले उपाय, सभी पर तेजी से काम हुआ है। आजादी के बाद से इन 72 वर्षों में रेलवे ने हकीकत में काफी उन्नति की है। देश की स्वतंत्रता से 94 साल पहले पहली बार अंग्रेजों के जमाने में 16 अप्रैल 18 53 को मुंबई से ठाणे के बीच पहली रेल चली थी। उसके बाद धीरे धीरे रेल का विकास शुरू हुआ। 1890 में भारतीय रेलवे अधिनियम पारित हुआ और 1936 में यात्री डिब्बों को वातानुकूलित बनाया गया। भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण 1950 में हुआ और 1952 में 6 जोन के साथ जोनल सिस्टम का भी आगाज हुआ। वर्तमान में यह संख्या 17 पहुंच चुकी है।


Body:अपने देश की रेल दुनिया में सबसे लंबे और व्यस्त नेटवर्क में से एक मानी जाती है। विश्व में हमारा स्थान रेल नेटवर्क के मामले में चौथे पर आता है। भारतीय रेलवे का नेटवर्क 1.16 किलोमीटर लंबा है तकरीबन 15000 से भी ज्यादा रेलगाड़ियां इस नेटवर्क पर रफतार से फर्राटा भरती हैं। 6000 से ज्यादा स्टेशन हैं। हर रोज तकरीबन 2 करोड़ लोग ट्रेन के जरिए ही इधर से उधर अपना सफर पूरा करते हैं। इतना ही नहीं आज के दौर में ट्रेनों की लगातार बढ़ती संख्या से सफर करने वाले यात्रियों की संख्या में भी जबरदस्त बढ़ोतरी हो रही है। हर साल करीब 6 अरब से ज्यादा यात्री भारतीय रेल से सफर करते हैं। कम समय में ही यात्रियों को उनके गंतव्य तक पहुंचा सके इसमें भी रेलवे ने जबरदस्त उन्नति की है। दशकों पुरानी रेल की पटरियों को बदलने का काम भी तेजी से शुरू किया गया। मीटर गेज की लाइन को ब्रॉडगेज में बदला जा रहा है, जिससे ट्रेन तेजी से भाग रही हैं। रेलवे में अभी तीन तरह की पटरिया बिछी हुई हैं। बड़ी लाइन, छोटी लाइन और संकरी लाइन। इनमें से बड़ी लाइन की पटरियों का संजाल भारत के ज्यादातर हिस्सों में फैला हुआ है। जहां पर सक्रिय और छोटी लाइन है उन्हें भी बृहद लाइन में तब्दील किया जा रहा है। अब बहुत ही कम संकरी लाइनें बची हैं। शताब्दी एक्सप्रेस हो या फिर गतिमान, इस तरह की ट्रेनों का संचालन कर रेलवे ने स्पीड के मामले में रिकॉर्ड कायम किया है। वहीं अब बुलेट ट्रेन चलाने की भी तैयारी मुकम्मल हो गई है। ऐसे में कहा जा सकता है कि आजादी के बाद से देश ने रेल के मामले में काफी विकास किया है। तकनीकी दृष्टि से भी रेलवे ने अपनी खामियों पर ध्यान देते हुए इन्हें दूर किया है। पहले जहां रेल दुर्घटना होती थी तो तमाम यात्री हताहत हो जाते थे। दुर्घटना बहुत बड़ी हो जाती थी, लेकिन अब ट्रेन के टकराने से होने वाली दुर्घटनाएं भी इतनी बड़ी नहीं होती हैं, क्योंकि अब बेहतरीन कोच बनाए जा रहे हैं जिससे एक्सीडेंट के दौरान एक के ऊपर कुछ नहीं चढ़ते। सभी एलएचबी कोच बनाए जा रहे हैं। साल 1977 में धरोहर पर्यटन शिक्षा मनोरंजन के संरक्षण और प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय रेल संग्रहालय खोला गया। सोसायटी आफ इंटरनेशनल ट्रैवलर्स ने भारत की भव्य गाड़ियां डेक्कन ओडिसी, पैलेस ऑन व्हील्स और 100 साल पुरानी ट्रेन को विश्व की सर्वश्रेष्ठ 25 ट्रेनों की लिस्ट में शामिल किया है। देश में वर्ष 2002 में जन शताब्दी ट्रेन का शुभारंभ हुआ। वर्ष 2004 में इंटरनेट के माध्यम से आरक्षण प्रारंभ हुआ। वर्ष 2007 में देश भर में टेलीफोन नंबर 139 व्यापक ट्रेन इंक्वायरी सर्विस शुरू हुई।


Conclusion:बाइट: अजय कुमार वर्मा, मंडल मंत्री, रेल यूनियन

16 अप्रैल 1853 को पहली बार मुंबई से ठाणे के बीच रेल सेवा की शुरुआत हुई, लेकिन आजादी के बाद रेलवे का असली विकास हुआ। अच्छी गाड़ियां ट्रैक पर उतरीं। बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी है। अच्छी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल हुआ है जिसमें एलएचबी कोच दुर्घटनाओं में बहुत सहायक हो रहे हैं। एक्सीडेंट होने पर भी कोई हताहत नहीं होता है। ये आधुनिक टेक्नोलॉजी है। स्वतंत्रता के बाद देश ने काफी विकास किया है, खासकर रेलवे के क्षेत्र में। सभी लाइनों को दुरुस्त किया जा रहा है जिससे ट्रेन और तेजी से भाग रही हैं। बुलेट ट्रेन के साथ हाल ही में चलाई गई ट्रेन 18 रेलवे की पहचान बन रही हैं।

अखिल पाण्डेय, लखनऊ, 9336864096

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