लखनऊ: कानपुर के बालिका संरक्षण गृह में 57 लड़कियों के कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद प्रशासन अलर्ट हो गया है. इस घटना के सामने आने के बाद प्रशासन सभी बाल गृहों में एडवाइजरी जारी कर रहा है और दिशा-निर्देश भेजा जा रहा है. तमाम अन्य तरह के एहतियात बरतने की बात कही जा रही है. ऐसे में ईटीवी भारत ने राजधानी के राजकीय बाल गृह बालिका में जाकर वहां की स्थिति जानने की कोशिश की.
कानपुर के बालिका संरक्षण गृह से पिछले 20 दिनों से लगातार वहां रह रही बच्चियों और लड़कियों में कोरोना वायरस के मामले सामने आने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है. 20 दिन पहले बाल गृह की एक लड़की में कोरोना वायरस की पुष्टि हुई थी, उसके बाद से लगातार कई महिलाओं और बच्चियों में कोरोना वायरस की पुष्टि होती चली गई. ऐसे में वहां पर संक्रमण के मद्देनजर सैनिटाइजेशन की सही व्यवस्था न होने का अंदाजा लगाया जा सकता है.
क्या हैं किए गए हैं सुरक्षा के इंतजाम
लखनऊ में लड़कियों के राजकीय बाल गृह (बालिका) मोती नगर में ईटीवी भारत की टीम पहुंची तो वहां की प्रभारी अधीक्षक प्रेरणा ने बताया कि हमने यहां संक्रमण से बचने के लिए हर तरह के इंतजाम किए हैं. सैनिटाइजर, हैंड वॉश का इंतजाम किया हुआ है. सुरक्षा के उपकरण यहां पर लगे हुए हैं. हम हर तरह से संक्रमण से बचने की तैयारी में तत्पर हैं.
किसी को लड़कियों के पास जाने की अनुमति नहीं
सुरक्षा के नज़रिए से प्रेरणा कहती हैं, 'फिलहाल हम लड़कियों को किसी से मिलने नहीं दे रहे हैं. संक्रमण का खतरा इस वक्त काफी अधिक है. जिनके अभिवावक मिलने आते थे, वे लॉकडाउन के चलते नहीं आ रहे. इसके अलावा हमने अपनी सुरक्षा के तमाम इंतजाम किए हैं. उन्होंने बताया कि जो भी व्यक्ति यहां पर अंदर आता है, उसे अपना पूरा डाटा एंट्री करवाना होता है. उसकी जांच की जाती है और आने के कारण के साथ अन्य जानकारियां भी जुटाई जाती हैं. महिला कर्मचारियों के अलावा किसी को भी लड़कियों के आसपास जाने की अनुमति नहीं है.'
क्या है जुवेनाइल एक्ट 2015
जुवेनाइल एक्ट 2015 के अनुसार किसी भी लड़की या बालक को जब बाल गृह में लाया जाता है तो सबसे पहले उसे सक्षम अधिकारी सीडब्ल्यूसी के समक्ष उपस्थित किया जाता है. सक्षम अधिकारी सबसे पहले उसका मेडिकल टेस्ट करवाते हैं और रिपोर्ट शासन को भेजी जाती है, जिसके बाद सक्षम अधिकारी ही यह फैसला करता है कि वह बालक या बालिका या महिला बाल गृह या महिला आश्रय केंद्र में रखे जाएंगे या नहीं.
इसके साथ ही जिला प्रशासन की जो गाइडलाइंस जारी हुई है, उसके मुताबिक बाल गृह और आश्रय स्थल के लिए सुरक्षा के लिहाज से चहारदीवारी की ऊंचाई, सीसीटीवी कैमरे और खाने-पीने की उचित व्यवस्था किस तरह से की जानी चाहिए, यह बताया गया है. इसके अलावा वहां पर कौन से डॉक्टर आएंगे या वहां रहने वालों के किस तरह से मेडिकल चेकअप होगा, इसके भी का इंतजाम किए जाते हैं, जो गाइडलाइंस में निर्देशित किया गया है.
सरकार को उठाने चाहिए सख्त कदम
लड़कियों को सेल्फ डिफेंस का हुनर सिखाने वाली समाजसेविका उषा विश्वकर्मा कहती हैं कि संरक्षण गृह में गर्भवती महिलाओं और बच्चियों में कोरोना वायरस की पुष्टि होना वाकई गैर जिम्मेदाराना है. सरकार को इस बारे में सख्त कदम उठाने चाहिए थे. यह लड़कियां एक बार में कोरोना संक्रमित बनकर सामने नहीं आई हैं.
उषा विश्वकर्मा ने कहा कि जब पहले दिन ही एक बच्ची में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई थी, तभी से उन्हें सैनिटाइजेशन की सही व्यवस्था करवानी चाहिए थी और तमाम अन्य एहतियात बरतने चाहिए थे. इतनी बड़ी संख्या में लड़कियों का कोरोना वायरस से संक्रमित होना सरकार के लिए शर्म की बात है. यह इस बात को दर्शाता है कि बाल गृहों में कितनी अव्यवस्था फैली है, जिस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है.
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