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Admission Scam in Ayush Colleges : कोर्ट ने खारिज की अभियुक्त आलोक की जमानत अर्जी - लखनऊ से अदालत की खबर

आयुष कॉलेजों में एडमिशन घोटाला (Admission Scam in Ayush Colleges) के अभियुक्त आलोक की जमानत अर्जी कोर्ट ने खारिज कर दी है. आरोप है कि नियम विरुद्ध त982 छात्रों को बिना नीट परीक्षा के प्रदेश के आयुष कॉलेजों में प्रवेश दिलाए गए.

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Published : Feb 21, 2023, 9:32 PM IST

लखनऊ : बिना नीट परीक्षा के प्रदेश के आयुष कॉलेजों में नियम विरुद्ध तरीके से 982 छात्रों को प्रवेश दिलाने के प्रकरण में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश रमाकान्त प्रसाद ने आरोपी आलोक त्रिवेदी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. अदालत में सरकारी वकील नीरज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में आरोपी समेत 15 लोगों के विरुद्ध एसटीएफ ने 13 फरवरी को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था. इसमें पूर्व आयुर्वेद निदेशक सत्यनारायण सिंह, निलंबित प्रभारी अधिकारी शिक्षा आयुर्वेद निदेशालय डॉ. उमाकांत, वरिष्ठ सहायक आयुर्वेद निदेशालय राजेश सिंह, कनिष्ठ सहायक कैलाश चंद्र भाष्कर व अन्य आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, आईटी एक्ट, धोखाधड़ी, कूटरचना, साजिश करने समेत अन्य आरोप लगाए हैं.

अदालत को बताया गया कि इस मामले की रिपोर्ट 4 नवम्बर 2022 को हजरतगंज थाने में तत्कालीन निदेशक एसएन सिंह ने दर्ज कराई थी. बाद में इस मामले की विवेचना एसटीएफ को सौंप दी गई. आरोप है कि आरोपियों ने ऐसे अभ्यर्थी जिनकी मेरिट कम थी, उन्हें कॉलेज कोटा और सही प्रवेश दिलाने के नाम पर लाखों रुपये लिए और उनका नीट स्कोर कार्ड ले लिया तथा उसकी इलेक्ट्रॉनिक कूटरचना करते हुए प्रतिरूप बनाया तथा धोखाधड़ी से फर्जी तरीके से एडमिशन कराया गया.


बहस के दौरान अदालत को बताया गया कि अभियुक्त ने अपने साथियों से षड़यंत्र करके छल कपट करते हुए वर्ष 2021- 22 में आयुष विभाग के अंतर्गत नेट 2011 की ऑनलाइन काउंसिलिंग हेतु नामित कार्यदाई संस्था के साथ मिलीभगत कर डेटाबेस/वेबसाइट में छेड़छाड़ कर अन्य अभ्यर्थियों को कॉलेज में यूजी पाठ्यक्रमों में ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से प्रवेश दिला दिया. अभियुक्त द्वारा मुख्य अभियुक्त कुलदीप सिंह वर्मा से जुड़ कर फर्जी एडमिशन करा कर लाभ प्राप्त करने फर्जी एवं कूटरचित स्कोर कार्ड तैयार कराने व मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह वर्मा को रुपए दिए जाने का भी आरोप है.


यह भी पढ़ें : Lucknow High Court : पत्रकार के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र को रद्द करने से हाईकोर्ट ने किया इंकार

लखनऊ : बिना नीट परीक्षा के प्रदेश के आयुष कॉलेजों में नियम विरुद्ध तरीके से 982 छात्रों को प्रवेश दिलाने के प्रकरण में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष न्यायाधीश रमाकान्त प्रसाद ने आरोपी आलोक त्रिवेदी की जमानत अर्जी खारिज कर दी है. अदालत में सरकारी वकील नीरज कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि इस मामले में आरोपी समेत 15 लोगों के विरुद्ध एसटीएफ ने 13 फरवरी को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था. इसमें पूर्व आयुर्वेद निदेशक सत्यनारायण सिंह, निलंबित प्रभारी अधिकारी शिक्षा आयुर्वेद निदेशालय डॉ. उमाकांत, वरिष्ठ सहायक आयुर्वेद निदेशालय राजेश सिंह, कनिष्ठ सहायक कैलाश चंद्र भाष्कर व अन्य आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, आईटी एक्ट, धोखाधड़ी, कूटरचना, साजिश करने समेत अन्य आरोप लगाए हैं.

अदालत को बताया गया कि इस मामले की रिपोर्ट 4 नवम्बर 2022 को हजरतगंज थाने में तत्कालीन निदेशक एसएन सिंह ने दर्ज कराई थी. बाद में इस मामले की विवेचना एसटीएफ को सौंप दी गई. आरोप है कि आरोपियों ने ऐसे अभ्यर्थी जिनकी मेरिट कम थी, उन्हें कॉलेज कोटा और सही प्रवेश दिलाने के नाम पर लाखों रुपये लिए और उनका नीट स्कोर कार्ड ले लिया तथा उसकी इलेक्ट्रॉनिक कूटरचना करते हुए प्रतिरूप बनाया तथा धोखाधड़ी से फर्जी तरीके से एडमिशन कराया गया.


बहस के दौरान अदालत को बताया गया कि अभियुक्त ने अपने साथियों से षड़यंत्र करके छल कपट करते हुए वर्ष 2021- 22 में आयुष विभाग के अंतर्गत नेट 2011 की ऑनलाइन काउंसिलिंग हेतु नामित कार्यदाई संस्था के साथ मिलीभगत कर डेटाबेस/वेबसाइट में छेड़छाड़ कर अन्य अभ्यर्थियों को कॉलेज में यूजी पाठ्यक्रमों में ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से प्रवेश दिला दिया. अभियुक्त द्वारा मुख्य अभियुक्त कुलदीप सिंह वर्मा से जुड़ कर फर्जी एडमिशन करा कर लाभ प्राप्त करने फर्जी एवं कूटरचित स्कोर कार्ड तैयार कराने व मुख्य आरोपी कुलदीप सिंह वर्मा को रुपए दिए जाने का भी आरोप है.


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