लखनऊ: बिजली चोरों पर शिकंजा कसने के लिए बिजली विभाग अभियान तो चलाता है लेकिन अभियंता बिजली चोरी पकड़ने के बाद भी उपभोक्ता पर एफआईआर दर्ज नहीं कराते हैं. इसके पीछे कहीं न कहीं लेनदेन का खेल चलता है लेकिन अब इंजीनियर इस तरह का खेल नहीं कर पाएंगे. बिजली चोरी पकड़े जाने के 24 घंटे के भीतर संबंधित उपभोक्तों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करानी ही होगी. अगर ऐसा नहीं होता है तो संबंधित इंजीनियर के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी.
दरअसल, विद्युत नियामक आयोग ने बिजली चोरी के दौरान उपभोक्ताओं के उत्पीड़न के मामले को गंभीरता से लिया है. नियामक आयोग ने कानूनन 24 घंटे में रिपोर्ट न दर्ज कराने के जिम्मेदार पाए गए 1882 अभियंताओं के खिलाफ पावर कारपोरेशन प्रबंधन को कार्रवाई के लिए आदेश दिया है. विद्युत अधिनियम 2003 के तहत बिजली चोरी के मामलों में हरहाल में अभियंता को 24 घंटे में उपभोक्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की व्यवस्था की गई है लेकिन अभियंता ऐसा करते नहीं है.
ज्यादातर मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के बजाय ले-देकर मामला रफा-दफा कर दिया जाता है. जब कुछ काम नहीं बनता है तब एफआईआर कराई जाती है. इस पर अब विद्युत नियामक आयोग सख्त हो गया है. प्रयागराज के एक ऐसे ही मामले में किसान की शिकायत का आयोग ने संज्ञान लिया है. बिजली कंपनियों से पिछले पांच वर्षों के दौरान बिजली चोरी के मामलों में रिपोर्ट भी तलब की है.
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