लखनऊ: माध्यमिक शिक्षा विभाग के पूर्व निदेशक और वर्तमान में सपा एमएलसी वासुदेव यादव के खिलाफ योगी सरकार बड़ी कार्रवाई की गई है. आय से अधिक संपत्ति के मामले पर उनके खिलाफ कार्रवाई की गई है. विजिलेंस की जांच में आय से 97 लाख 34 हजार 600 रुपये की अधिक संपत्ति मिली है. विजिलेंस ने वायुदेव यादव को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की सिफारिश की है.
सपा सरकार में चलता का वासुदेव यादव था दबदबा
समाजवादी पार्टी सरकार में वासुदेव यादव का काफी रसूख रहा है. कहा जाता है कि पार्टी के बड़े बड़े नेताओं में सीधी दखल रखते थे. विभाग और शासन के उच्च अधिकारी भी इनसे दबते थे. चर्चा हैं कि इसी रसूख का नतीजा था कि 5 मार्च 2012 में समाजवादी पार्टी के विधानसभा चुनाव जीतने और 15 मार्च 2012 को अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के चंद दिनों बाद ही इन्हें माध्यमिक शिक्षा निदेशक पद की जिम्मेदारी सौंप दी गई थी.
2014 में खुलने लगे थे पत्ते
वर्ष 2014 में वासुदेव यादव के खिलाफ एक जनहित याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दायर की गई थी. इसमें, उन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए गए थे. इन पर पत्नी और बच्चों के नाम पर करोड़ों की लागत से शिक्षण संस्थाएं खोलने और संपत्ति खरीदने के आरोप लगाए गए थे. इसमें सिर्फ दो करोड़ से अधिक की संपत्ति प्रयागराज के फूलपुर तहसील में बताई गई. इसके अलावा सोरांव, हडिया तथा सदर तहसील में भी संपत्ति होने की शिकायत की गई.
शिक्षा निदेशक रहते बनाई गई ज्यादातर संपत्ति
शिकायतकर्ता ने आरोप लगाए कि दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, पूना, नागपुर, चंडीगढ़, अहमदाबाद में भी हजारों करोड़ की बेनामी संपत्ति खरीदी गई हैं. आरोप यह भी लगे कि ज्यादातर संपत्ति शिक्षा निदेशक रहते हुए बनाई.