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दूसरों के चेहरे को संवार रहीं फरहा, बयां किया एसिड अटैक का दर्द - शीरोज हैंगआउट लखनऊ

ईटीवी भारत से खास बातचीत में एसिड अटैक पीड़िता फरहा ने बताया कि मेरे साथ इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी मैंने हार नहीं मानी. जब तक हम खुद हार नहीं मानते हैं तब तक यह दुनिया हमें हरा नहीं सकती. बता दें कि आज फरहा अपना ब्यूटी सैलून स्टार्टअप शुरू किया है और दूसरी महिलाओं की खूबसूरती संवारने में जुटी हैं.

एसिड अटैक पीड़िता फरहा से ईटीवी भारत की खास बातचीत.
एसिड अटैक पीड़िता फरहा से ईटीवी भारत की खास बातचीत.
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Published : Nov 25, 2020, 7:44 PM IST

लखनऊ: 'कुछ कर गुजरने की चाह हो तो रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं'. यह लाइन राजधानी लखनऊ की रहने वाली एसिड अटैक पीड़िता फरहा पर एकदम सटीक बैठती है. वर्ष 2011 में फरहा के पूर्व पति कमर आलम ने फरहा पर एसिड अटैक करते हुए चेहरे को बुरी तरह से जला दिया था. इस अटैक में फरहा की एक आंख पूरी तरह से चली गई, जबकि दूसरी आंख में सिर्फ 25% रोशनी ही बची है. फरहा की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है. इसके बावजूद भी फरहा ने हार नहीं मानी है. फरहा ने नौकरी करने के साथ-साथ पर अपना स्टार्टअप शुरू किया है. स्टार्टअप शुरू करते हुए फरहा ने महिलाओं को खूबसूरत बनाने का काम शुरू किया है. फरहा ने ब्यूटी सलून का स्टार्टअप शुरू किया है.

एसिड अटैक पीड़िता फरहा से ईटीवी भारत की खास बातचीत.

जीवन जीने के लिए किया हर संभव प्रयास
फरहा ने कहा कि वर्ष 2011 में उनके साथ हुई इस घटना के बाद वो टूट गईं थी. शारीरिक और मानसिक तकलीफ के साथ आर्थिक तौर पर भी कमजोर थीं. लिहाजा कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था, लेकिन फरहा ने हार नहीं मानी. शुरुआती दौर में जीवन यापन करने के लिए फरहा ने कागज के लिफाफे बनाएं और उन्हें दुकानों पर बेचे. वर्ष 2015 में उन्होंने कैफे में जॉब ज्वाइन की.

घर-घर जाकर महिलाओं को बनाती हैं खूबसूरत
फरहा का कहना है कि वह अपनी पहचान बनाना चाहती हैं. इसलिए उन्होंने नया स्टार्टअप शुरू किया है, जिसमें वह अपनी ननद की मदद लेती हैं. फरहा ने बताया कि उन्होंने ब्यूटीशियन का कोर्स किया है और घर-घर जाकर महिलाओं को खूबसूरत बनाने का काम करती हैं. फरहा ने बताया कि मेरे पति ने तो मेरी खूबसूरती छीन ली, लेकिन मैंने अपने अंदर यह हुनर पैदा किया है कि मैं मेकअप की मदद से महिलाओं को खूबसूरत बनाऊं. मैंने अपनी इस काबिलियत को प्रोफेशन बनाने का फैसला लिया है, जिसके लिए मैंने ब्यूटी सैलून स्टार्टअप शुरू किया है.

खुद के हार मानने पर ही होती है हार
फरहा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि मेरे साथ इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी मैंने हार नहीं मानी. जब तक हम खुद हार नहीं मानते हैं तब तक यह दुनिया हमें हरा नहीं सकती. मेरे साथ वर्ष 2011 में जो हुआ, उसे भुला पाना असंभव है, लेकिन हम उसी बात को लेकर जीवन भर नहीं बैठे रह सकते. लिहाजा आगे बढ़ने के लिए हिम्मत जुटानी ही पड़ेगी. अगर मैं मेरे साथ हुई घटना को लेकर हार मान जाती तो शायद आज सब कुछ खत्म हो गया होता, लेकिन मैंने हार का रास्ता ठुकरा दिया और आगे बढ़ने के लिए कदम बढ़ाया. मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मैं अपने काम से पहचान बनाने में कामयाब रहूंगी.

फरहा की कहानी
फरहा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वर्ष 2004 में उनकी शादी कमर आलम नाम के एक व्यक्ति से हुई थी. कमर आलम का चाल-चलन ठीक नहीं था. लिहाजा वर्ष 2008 में फरहा कमर आलम से अलग हो गईं. वर्ष 2010 में फरहा को डिवोर्स मिल गया, लेकिन कमर आलम इसके बावजूद भी उनसे मारपीट करता रहा और उन्हें परेशान करता रहा. वर्ष 2011 में कमर आलम ने फरहा पर एसिड अटैक किया, जिसमें उनकी एक आंख पूरी तरह से खराब हो गई व चेहरा बुरी तरह से जल गया. कोर्ट में लंबे समय तक मामला चला और उसके बाद कमर आलम को तीन वर्ष की सजा हुई. अब कमर आलम अपनी सजा पूरी कर जेल से बाहर है.

लखनऊ: 'कुछ कर गुजरने की चाह हो तो रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं'. यह लाइन राजधानी लखनऊ की रहने वाली एसिड अटैक पीड़िता फरहा पर एकदम सटीक बैठती है. वर्ष 2011 में फरहा के पूर्व पति कमर आलम ने फरहा पर एसिड अटैक करते हुए चेहरे को बुरी तरह से जला दिया था. इस अटैक में फरहा की एक आंख पूरी तरह से चली गई, जबकि दूसरी आंख में सिर्फ 25% रोशनी ही बची है. फरहा की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं है. इसके बावजूद भी फरहा ने हार नहीं मानी है. फरहा ने नौकरी करने के साथ-साथ पर अपना स्टार्टअप शुरू किया है. स्टार्टअप शुरू करते हुए फरहा ने महिलाओं को खूबसूरत बनाने का काम शुरू किया है. फरहा ने ब्यूटी सलून का स्टार्टअप शुरू किया है.

एसिड अटैक पीड़िता फरहा से ईटीवी भारत की खास बातचीत.

जीवन जीने के लिए किया हर संभव प्रयास
फरहा ने कहा कि वर्ष 2011 में उनके साथ हुई इस घटना के बाद वो टूट गईं थी. शारीरिक और मानसिक तकलीफ के साथ आर्थिक तौर पर भी कमजोर थीं. लिहाजा कोई रास्ता समझ नहीं आ रहा था, लेकिन फरहा ने हार नहीं मानी. शुरुआती दौर में जीवन यापन करने के लिए फरहा ने कागज के लिफाफे बनाएं और उन्हें दुकानों पर बेचे. वर्ष 2015 में उन्होंने कैफे में जॉब ज्वाइन की.

घर-घर जाकर महिलाओं को बनाती हैं खूबसूरत
फरहा का कहना है कि वह अपनी पहचान बनाना चाहती हैं. इसलिए उन्होंने नया स्टार्टअप शुरू किया है, जिसमें वह अपनी ननद की मदद लेती हैं. फरहा ने बताया कि उन्होंने ब्यूटीशियन का कोर्स किया है और घर-घर जाकर महिलाओं को खूबसूरत बनाने का काम करती हैं. फरहा ने बताया कि मेरे पति ने तो मेरी खूबसूरती छीन ली, लेकिन मैंने अपने अंदर यह हुनर पैदा किया है कि मैं मेकअप की मदद से महिलाओं को खूबसूरत बनाऊं. मैंने अपनी इस काबिलियत को प्रोफेशन बनाने का फैसला लिया है, जिसके लिए मैंने ब्यूटी सैलून स्टार्टअप शुरू किया है.

खुद के हार मानने पर ही होती है हार
फरहा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि मेरे साथ इतनी बड़ी घटना होने के बावजूद भी मैंने हार नहीं मानी. जब तक हम खुद हार नहीं मानते हैं तब तक यह दुनिया हमें हरा नहीं सकती. मेरे साथ वर्ष 2011 में जो हुआ, उसे भुला पाना असंभव है, लेकिन हम उसी बात को लेकर जीवन भर नहीं बैठे रह सकते. लिहाजा आगे बढ़ने के लिए हिम्मत जुटानी ही पड़ेगी. अगर मैं मेरे साथ हुई घटना को लेकर हार मान जाती तो शायद आज सब कुछ खत्म हो गया होता, लेकिन मैंने हार का रास्ता ठुकरा दिया और आगे बढ़ने के लिए कदम बढ़ाया. मुझे उम्मीद है कि आने वाले दिनों में मैं अपने काम से पहचान बनाने में कामयाब रहूंगी.

फरहा की कहानी
फरहा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि वर्ष 2004 में उनकी शादी कमर आलम नाम के एक व्यक्ति से हुई थी. कमर आलम का चाल-चलन ठीक नहीं था. लिहाजा वर्ष 2008 में फरहा कमर आलम से अलग हो गईं. वर्ष 2010 में फरहा को डिवोर्स मिल गया, लेकिन कमर आलम इसके बावजूद भी उनसे मारपीट करता रहा और उन्हें परेशान करता रहा. वर्ष 2011 में कमर आलम ने फरहा पर एसिड अटैक किया, जिसमें उनकी एक आंख पूरी तरह से खराब हो गई व चेहरा बुरी तरह से जल गया. कोर्ट में लंबे समय तक मामला चला और उसके बाद कमर आलम को तीन वर्ष की सजा हुई. अब कमर आलम अपनी सजा पूरी कर जेल से बाहर है.

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