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नाबालिग से दुराचार के प्रयास के आरोपी को कारावास, अभियुक्त ने स्वयं स्वीकार किया अपराध

शौच के लिए गई नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ करते हुए दुराचार का प्रयास करने के आरोपी जफर को विशेष न्यायाधीश मयंक त्रिपाठी ने 3 वर्ष के कठोर कारावास और एक हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है.

पॉक्सो एक्ट
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Published : Aug 30, 2022, 10:19 PM IST

लखनऊ: शौच के लिए खेत पर गई नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ (molesting a minor girl) करते हुए दुराचार का प्रयास करने के आरोपी जफर को पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश मयंक त्रिपाठी (Special Judge of POCSO Act Mayank Tripathi) ने तीन वर्ष के कठोर कारावास और एक हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है. अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए विशेष अधिवक्ता अशोक श्रीवास्तव का कहना था कि इस मामले की रिपोर्ट लड़की के पिता द्वारा 1 सितंबर 2019 को मलिहाबाद थाने में दर्ज कराई गई थी, जिसमें कहा गया कि 30 अगस्त की शाम चार बजे उसकी पुत्री खेत पर शौच के लिए गई थी, जहां पर आरोपी जाफर आ गया, जिसने शौच करते समय लड़की को दबोच लिया तथा दुराचार का प्रयास किया. यह भी कहा गया कि उसी समय लड़की की मां व पड़ोसी पंचम की पत्नी आ गई जिन्होंने घटना को देखा. पत्रावली पर साक्ष्य आने के उपरांत आरोपी ने अदालत में अर्जी देकर अपना अपराध स्वीकार करते हुए कहा कि उसे कम से कम दंड दिया जाए. अदालत ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य व परिस्थितियों के आधार पर अभियुक्त को कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है.

लखनऊ भ्रष्टाचार निवारण संगठन (Lucknow Corruption Prevention Organization) की खुली जांच में आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के लिए दोषी पाए गए सहायक उप निरीक्षक जितेंद्र सिंह यादव की अग्रिम जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने खारिज कर दिया है. अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकीलों द्वारा दलील दी गई कि अपर पुलिस महानिदेशक ने 7 अगस्त 2019 को भ्रष्टाचार निवारण संगठन को पत्र लिखा था, जिसके बाद भ्रष्टाचार निवारण संगठन के 28 अगस्त 2019 के पत्र पर संज्ञान लेकर अपर पुलिस महानिदेशक लोक शिकायत द्वारा 16 सितंबर 2019 को आरोपी को आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के आरोपों की खुली जांच किए जाने का आदेश दिया था.

यह भी पढ़ें- प्राइवेट स्कूलों को फीस प्रतिपूर्ति की हर साल हो समीक्षा, जानिये पूरा मामला

वहीं, बहस के दौरान कहा गया कि जांच में पाया गया है कि आरोपी ने भ्रष्ट तरीके से सम्पत्ति अर्जित की है तथा आय से प्राप्त स्रोतों से अधिक परिसंपत्तियां अर्जित की हैं. इस सम्बंध में उसके द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया है. अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि वह प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद है तथा उसे यदि इस स्तर पर अग्रिम जमानत पर रिहा कर दिया गया तो वह निश्चित रूप से विवेचना को प्रभावित करेगा.

यह भी पढ़ें- जानिए नशे पर नकेल के लिए क्या उपाय कर रही उप्र सरकार


लखनऊ: शौच के लिए खेत पर गई नाबालिग लड़की के साथ छेड़छाड़ (molesting a minor girl) करते हुए दुराचार का प्रयास करने के आरोपी जफर को पॉक्सो एक्ट के विशेष न्यायाधीश मयंक त्रिपाठी (Special Judge of POCSO Act Mayank Tripathi) ने तीन वर्ष के कठोर कारावास और एक हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई है. अदालत के समक्ष तर्क प्रस्तुत करते हुए विशेष अधिवक्ता अशोक श्रीवास्तव का कहना था कि इस मामले की रिपोर्ट लड़की के पिता द्वारा 1 सितंबर 2019 को मलिहाबाद थाने में दर्ज कराई गई थी, जिसमें कहा गया कि 30 अगस्त की शाम चार बजे उसकी पुत्री खेत पर शौच के लिए गई थी, जहां पर आरोपी जाफर आ गया, जिसने शौच करते समय लड़की को दबोच लिया तथा दुराचार का प्रयास किया. यह भी कहा गया कि उसी समय लड़की की मां व पड़ोसी पंचम की पत्नी आ गई जिन्होंने घटना को देखा. पत्रावली पर साक्ष्य आने के उपरांत आरोपी ने अदालत में अर्जी देकर अपना अपराध स्वीकार करते हुए कहा कि उसे कम से कम दंड दिया जाए. अदालत ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्य व परिस्थितियों के आधार पर अभियुक्त को कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है.

लखनऊ भ्रष्टाचार निवारण संगठन (Lucknow Corruption Prevention Organization) की खुली जांच में आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के लिए दोषी पाए गए सहायक उप निरीक्षक जितेंद्र सिंह यादव की अग्रिम जमानत अर्जी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act) के विशेष न्यायाधीश अजय श्रीवास्तव ने खारिज कर दिया है. अग्रिम जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकीलों द्वारा दलील दी गई कि अपर पुलिस महानिदेशक ने 7 अगस्त 2019 को भ्रष्टाचार निवारण संगठन को पत्र लिखा था, जिसके बाद भ्रष्टाचार निवारण संगठन के 28 अगस्त 2019 के पत्र पर संज्ञान लेकर अपर पुलिस महानिदेशक लोक शिकायत द्वारा 16 सितंबर 2019 को आरोपी को आय से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के आरोपों की खुली जांच किए जाने का आदेश दिया था.

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वहीं, बहस के दौरान कहा गया कि जांच में पाया गया है कि आरोपी ने भ्रष्ट तरीके से सम्पत्ति अर्जित की है तथा आय से प्राप्त स्रोतों से अधिक परिसंपत्तियां अर्जित की हैं. इस सम्बंध में उसके द्वारा कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दिया गया है. अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा है कि वह प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामजद है तथा उसे यदि इस स्तर पर अग्रिम जमानत पर रिहा कर दिया गया तो वह निश्चित रूप से विवेचना को प्रभावित करेगा.

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