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यूपी में शिक्षक भर्ती में हुआ आरक्षण घोटाला, बेसिक शिक्षा मंत्री पर लग रहे गंभीर आरोप

बेसिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई की नियुक्ति विवाद के बाद अब उनपर 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाले का आरोप लगा है. इस संबंध में आयोग की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा गया है.

यूपी में शिक्षक भर्ती में हुआ आरक्षण घोटाला
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Published : May 29, 2021, 9:39 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई की नियुक्ति का विवाद अभी तक पूरी तरह से ठंडा भी नहीं पड़ पाया था कि अब उनके विभाग में बीते दिनों हुए 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोप लग रहे हैं. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में इस भर्ती प्रक्रिया आरक्षण संबंधी नियमों की अनदेखी किए जाने की पुष्टि की है. इस रिपोर्ट में 5844 सीटों पर आरक्षण घोटाला किए जाने की बात सामने आई है. इस संबंध में आयोग की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा गया है. हालांकि जानकारों की माने तो अभी तक सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.

यह है मामला
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 में 69,000 शिक्षक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी. इस प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का पालन न किए जाने के आरोप लगाए गए. कुछ अभ्यर्थियों की ओर से इस संबंध में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में शिकायत की. शिकायत के मुताबिक यह भर्ती उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन टीचर्स सर्विस रूल 1981 के अनुसार किया जाना था. भर्ती प्रक्रिया के तहत 6 जनवरी 2019 को परीक्षा कराई गई और 1 मई 2000 को अंतिम चयन जारी हुआ. शिकायतकर्ता के मुताबिक इसमें आरक्षित वर्ग के लिए आवंटित सीटें अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दी गई. आरोप है कि इसके चलते 5844 सीटें का नुकसान हुआ है. जिसके आधार पर आयोग ने अपने स्तर पर की गई. जांच में शिकायत को सही पाया गया. इसमें आरोपों को सही पाए जाने की बात सामने आई है.

आरक्षण के नियमों में ऐसे की अनदेखी
अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में OBC वर्ग को 27 % आरक्षण की जगह इस भर्ती में मात्र 3.86 % आरक्षण मिला है. OBC कोटे की 18,598 सीटों में से OBC वर्ग के अभ्यर्थियों को मात्र 2664 सीट ही प्राप्त हुई हैं और ओबीसी वर्ग की लगभग 15 हजार के करीब कोटे की सीटें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को दे दी गईं. जो कि पूरी तरह से गलत है. ठीक इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग को इस भर्ती में 21 % आरक्षण की जगह मात्र 16% के लगभग आरक्षण प्राप्त हुआ है. अभ्यर्थियों ने बताया कि इस संबंध में विभाग से लेकर जिम्मेदारों तक कई शिकायतें की गई लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा मंत्री डॉक्टर सतीश चंद्र द्विवेदी के भाई की नियुक्ति का विवाद अभी तक पूरी तरह से ठंडा भी नहीं पड़ पाया था कि अब उनके विभाग में बीते दिनों हुए 69 हजार शिक्षक भर्ती घोटाले के आरोप लग रहे हैं. राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में इस भर्ती प्रक्रिया आरक्षण संबंधी नियमों की अनदेखी किए जाने की पुष्टि की है. इस रिपोर्ट में 5844 सीटों पर आरक्षण घोटाला किए जाने की बात सामने आई है. इस संबंध में आयोग की ओर से उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब भी मांगा गया है. हालांकि जानकारों की माने तो अभी तक सरकार की ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया है.

यह है मामला
उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 में 69,000 शिक्षक पदों पर भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई थी. इस प्रक्रिया में आरक्षण के नियमों का पालन न किए जाने के आरोप लगाए गए. कुछ अभ्यर्थियों की ओर से इस संबंध में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग में शिकायत की. शिकायत के मुताबिक यह भर्ती उत्तर प्रदेश बेसिक एजुकेशन टीचर्स सर्विस रूल 1981 के अनुसार किया जाना था. भर्ती प्रक्रिया के तहत 6 जनवरी 2019 को परीक्षा कराई गई और 1 मई 2000 को अंतिम चयन जारी हुआ. शिकायतकर्ता के मुताबिक इसमें आरक्षित वर्ग के लिए आवंटित सीटें अनारक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को दे दी गई. आरोप है कि इसके चलते 5844 सीटें का नुकसान हुआ है. जिसके आधार पर आयोग ने अपने स्तर पर की गई. जांच में शिकायत को सही पाया गया. इसमें आरोपों को सही पाए जाने की बात सामने आई है.

आरक्षण के नियमों में ऐसे की अनदेखी
अभ्यर्थियों का कहना है कि इस भर्ती प्रक्रिया में OBC वर्ग को 27 % आरक्षण की जगह इस भर्ती में मात्र 3.86 % आरक्षण मिला है. OBC कोटे की 18,598 सीटों में से OBC वर्ग के अभ्यर्थियों को मात्र 2664 सीट ही प्राप्त हुई हैं और ओबीसी वर्ग की लगभग 15 हजार के करीब कोटे की सीटें सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों को दे दी गईं. जो कि पूरी तरह से गलत है. ठीक इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग को इस भर्ती में 21 % आरक्षण की जगह मात्र 16% के लगभग आरक्षण प्राप्त हुआ है. अभ्यर्थियों ने बताया कि इस संबंध में विभाग से लेकर जिम्मेदारों तक कई शिकायतें की गई लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

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