लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालय के विभागों के एक रेगुलर शिक्षक भी पीएचडी करा सकेंगे. आपको बता दें कि अभी तक पीएचडी को लेकर दो शिक्षकों की अनिवार्यता होती थी, लेकिन अब पीएचडी के नए अध्यादेश के अनुसार इस अनिवार्यता को हटा दिया गया है.
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में अब शिक्षकों की कमी की वजह से पीएचडी गाइड बनने की समस्या नहीं आएगी. अब कॉलेज के जिस विभाग में पीएचडी होनी है. अगर वहां एक भी रेगुलर शिक्षक है और पीएचडी की योग्यता रखते हैं तो भी वह भी रिसर्च गाइड बन सकेंगे. नए पीएचडी ऑर्डिनेंस 2020 में यह व्यवस्था की गई है. काफी समय से शिक्षक इसकी मांग कर रहे थे.
लखनऊ विश्वविद्यालय ने पिछले साल 450 सीटों पर पीएचडी दाखिले की प्रक्रिया पूरी की थी. यह सभी दाखिले 2018 अध्यादेश के अनुसार हुए थे. अब अध्यादेश को रिवाइज करके नए बदलाव शामिल किए गए हैं. दरअसल नई प्रमोशन पॉलिसी में अब शिक्षकों के रिसर्च पेपर, पीएचडी कराने सहित सभी चीजों के नंबर तय किए गए हैं. इससे उनकी एकेडमिक परफारमेंस इंडिकेटर तय होती है. अभी तक यदि किसी कॉलेज में पीजी पाठ्यक्रम संचालित होता है तो संबंधित विभाग में कम से कम पीजी में दो रेगुलर शिक्षक होने पर ही विश्वविद्यालय पीएचडी रिसर्च गाइड बनने की अनुमति देता था. इससे जहां एक रेगुलर शिक्षक थे वो पीएचडी नहीं करा पाते थे. वहीं छात्र भी पीएचडी एडमिशन नहीं ले पाते थे. अब यह प्रावधान हटा दिया गया है. विश्वविद्यालय के शिक्षकों के मुताबिक कालेज के शिक्षक रिसर्च गाइड बन सकते हैं.
नए अध्यादेश के अनुसार अब महाविद्यालय के रेगुलर शिक्षक भी करा सकेंगे पीएचडी
लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालय के विभागों के एक रेगुलर शिक्षक भी पीएचडी करा सकेंगे. अभी तक पीएचडी को लेकर दो शिक्षकों की अनिवार्यता होती थी, लेकिन अब पीएचडी के नए अध्यादेश के अनुसार इस अनिवार्यता को हटा दिया गया है.
लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध महाविद्यालय के विभागों के एक रेगुलर शिक्षक भी पीएचडी करा सकेंगे. आपको बता दें कि अभी तक पीएचडी को लेकर दो शिक्षकों की अनिवार्यता होती थी, लेकिन अब पीएचडी के नए अध्यादेश के अनुसार इस अनिवार्यता को हटा दिया गया है.
लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण अधिष्ठाता प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में अब शिक्षकों की कमी की वजह से पीएचडी गाइड बनने की समस्या नहीं आएगी. अब कॉलेज के जिस विभाग में पीएचडी होनी है. अगर वहां एक भी रेगुलर शिक्षक है और पीएचडी की योग्यता रखते हैं तो भी वह भी रिसर्च गाइड बन सकेंगे. नए पीएचडी ऑर्डिनेंस 2020 में यह व्यवस्था की गई है. काफी समय से शिक्षक इसकी मांग कर रहे थे.
लखनऊ विश्वविद्यालय ने पिछले साल 450 सीटों पर पीएचडी दाखिले की प्रक्रिया पूरी की थी. यह सभी दाखिले 2018 अध्यादेश के अनुसार हुए थे. अब अध्यादेश को रिवाइज करके नए बदलाव शामिल किए गए हैं. दरअसल नई प्रमोशन पॉलिसी में अब शिक्षकों के रिसर्च पेपर, पीएचडी कराने सहित सभी चीजों के नंबर तय किए गए हैं. इससे उनकी एकेडमिक परफारमेंस इंडिकेटर तय होती है. अभी तक यदि किसी कॉलेज में पीजी पाठ्यक्रम संचालित होता है तो संबंधित विभाग में कम से कम पीजी में दो रेगुलर शिक्षक होने पर ही विश्वविद्यालय पीएचडी रिसर्च गाइड बनने की अनुमति देता था. इससे जहां एक रेगुलर शिक्षक थे वो पीएचडी नहीं करा पाते थे. वहीं छात्र भी पीएचडी एडमिशन नहीं ले पाते थे. अब यह प्रावधान हटा दिया गया है. विश्वविद्यालय के शिक्षकों के मुताबिक कालेज के शिक्षक रिसर्च गाइड बन सकते हैं.