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लखनऊ: जानिए क्या है पाक महीने रमजान में रोजे रखने का महत्व

रमजान के महीने में रोजा रखना फर्ज है और यहां तक कि इस्लाम के 5 मूलभूत स्तम्भों में से एक माना जाता है. चांद देख कर रमज़ान के महीने की शुरुआत होती है और 29 या फिर 30 दिन तक चांद देख कर रमज़ान के महीने का अंत होता है. जिसके अगले ही दिन मुस्लिमों का सबसे बड़ा पर्व यानी ईद मनाई जाती है.

जानिए क्या है पाक महीने रमजान के पीछे रोजे रखने की वजह.
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Published : May 7, 2019, 6:57 PM IST

Updated : May 7, 2019, 7:12 PM IST

लखनऊ: मंगलवार से रमजान के महीने का पूरे देश में आगाज हो चुका है. वहीं सोमवार को चांद दिखने के बाद से मस्जिदों और इबादतगाहों में देर रात तक तरावीह की नमाज भी शुरू हो गई. रमजान के महीने में रोजेदार पूरे महीने रोजा रखता है, जिसमें बिना कुछ खाये और बिना कुछ पिये रोजेदार को दिन की रोशनी में रहना होता है. इसके लिए सूरज निकलने से पहले तक रोजेदार फज्र की नमाज से पहले सेहरी कर लेता है.

जानिए क्या है पाक महीने रमजान के पीछे रोजे रखने की वजह.


क्यों रखते हैं मुसलमान रोजा

  • इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान में से एक है रोजा रखना.
  • रोजा रखना मुसलमानों पर फर्ज है.
  • रोजे की हालत में रोजेदार परहेजगार होता है यानी वह दुनिया की कई चीजों से दूर रहता है.
  • भूख और प्यास की हालत में रहकर उसको गरीबी का एहसास होता है और गरीबों की मदद की फिक्र होती है.
  • हर बुरे काम से रोजेदार दूर रहता है.

लखनऊ: मंगलवार से रमजान के महीने का पूरे देश में आगाज हो चुका है. वहीं सोमवार को चांद दिखने के बाद से मस्जिदों और इबादतगाहों में देर रात तक तरावीह की नमाज भी शुरू हो गई. रमजान के महीने में रोजेदार पूरे महीने रोजा रखता है, जिसमें बिना कुछ खाये और बिना कुछ पिये रोजेदार को दिन की रोशनी में रहना होता है. इसके लिए सूरज निकलने से पहले तक रोजेदार फज्र की नमाज से पहले सेहरी कर लेता है.

जानिए क्या है पाक महीने रमजान के पीछे रोजे रखने की वजह.


क्यों रखते हैं मुसलमान रोजा

  • इस्लाम के पांच बुनियादी अरकान में से एक है रोजा रखना.
  • रोजा रखना मुसलमानों पर फर्ज है.
  • रोजे की हालत में रोजेदार परहेजगार होता है यानी वह दुनिया की कई चीजों से दूर रहता है.
  • भूख और प्यास की हालत में रहकर उसको गरीबी का एहसास होता है और गरीबों की मदद की फिक्र होती है.
  • हर बुरे काम से रोजेदार दूर रहता है.
Intro:मंगलवार से रमजान के महीने का पूरे देश मे आगाज हो चुका है वहीं सोमवार को चाँद दिखने के बाद से मस्जिदों और इबादतगाहों में देर रात तक तरावीह की नमाज़ भी शुरू होगई। रमज़ान के महीने में रोज़ेदार पूरे महीने रोज़ा रखता है जिसमें बिना कुछ खाये और बिना कुछ पिये रोज़ेदार को दिन की रोशनी में रहना होता है, इसके लिए सूरज निकलने से पहले तक रोज़ेदार फज्र की नमाज़ से पहले सेहरी कर लेता है जिसके बाद से शाम को अफ्तारी के वक्त तक वह भूका और प्यासा रहता है।


Body:रमज़ान के महीने में रोज़ा रखना फ़र्ज़ है और यहाँ तक कि इस्लाम के 5 मूलभूत स्तम्भों में से एक माना जाता है। चाँद देख कर रमज़ान के महीने की शुरुआत होती है और 29 या फिर 30 दिन तक चाँद देख कर रमज़ान के महीने का अंत होता है जिसके अगले ही दिन मुसलमानों का सबसे बड़ा पर्व यानी ईद मनाई जाती है।

क्यों रखते है मुसलमान रोज़ा।

* इस्लाम के 5 बुनियादी अरकान में से एक है रोज़ा रखना

* रोज़ा रखना मुसलमानों पर फ़र्ज़ है

* रोज़े की हालत में रोज़ेदार परहेज़गार होता है यानी वह दुनिया की कई चीज़ों से दूर ही रहता है

* भूक और प्यास की हालत में रहकर उसको गरीबी का एहसास होता है और गरीबों की मदद की फिक्र होती है

* हर बुरे काम से रोज़ेदार रोज़े की हालत में दूर रहता है

* बिना कुछ खाये पिये रोज़ेदार अपनी ख़्वाईशो पर भी कंट्रोल करता है




Conclusion:
Last Updated : May 7, 2019, 7:12 PM IST
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