लखनऊ: सभी राजनीतिक दलों में वंशवाद हावी है. कोई भी दल ऐसा नहीं है, जिसमें वंशवाद नजर न आता हो. राजनीति में वंशवाद कोई नई बात भी नहीं है. जो दल कभी इसका विरोध करते रहे थे, आज उनके यहां भी तमाम ऐसे उदाहरण हैं, जो उनके दावों की पोल खोल रहे हैं. देखिए वंशवाद को लेकर ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.
पार्टी विद डिफरेंस का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी हो, कांग्रेस पार्टी हो, समाजवादी पार्टी हो या फिर बहुजन समाज पार्टी हो, अब सभी में वंशवाद दिख रहा है. इन सभी दलों में वंशवाद इस कदर बढ़ रहा है कि उत्तराधिकारियों की भी सत्ता कायम हो चुकी है. कांग्रेस पार्टी में भी परिवारवाद और वंशवाद खूब नजर आता है. इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी तो कांग्रेस पार्टी में परिवारवाद के एक उदाहरण हैं. इनके अलावा पार्टी में तमाम नेता ऐसे हैं, जो अपने भी परिवार के लोगों को राजनीति में सक्रिय कर रहे हैं.
कांग्रेस में भी हावी है वंशवाद
उत्तर प्रदेश की बात करें तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीएल पुनिया के बेटे तनुज पुनिया को कांग्रेस ने बाराबंकी लोकसभा सीट पर उम्मीदवार बनाया है. इसके अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी की बेटी आराधना मिश्रा भी अपने पिता की परंपरागत प्रतापगढ़ जिले की रामपुर खास विधानसभा सीट से विधायक हैं. यही नहीं कांग्रेस पार्टी में तमाम अन्य नेता भी हैं, जो अपने उत्तराधिकारी को आगे बढ़ा चुके हैं या बढ़ाने में लगे हुए हैं.
पार्टी विद डिफरेंस का नारा देती रही है भाजपा
वहीं राजनीति में वंशवाद का सर्वाधिक विरोध भाजपा में किया जाता रहा है. भाजपा पार्टी विद डिफरेंस का नारा भी देती रही है. यही नहीं भाजपा, कांग्रेस पर वंशवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाती रही है, लेकिन वर्तमान समय में बीजेपी के ऐसे तमाम बड़े नेता हैं, जिनके बेटे और बेटी भी राजनीति में आ चुके हैं और पिता की राजनीति को चमकाने में लगे हुए हैं. गृहमंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह नोएडा से विधायक हैं. पंकज सिंह यूपी बीजेपी में प्रदेश महामंत्री का भी दायित्व संभाल रहे हैं.
भाजपा में पिता की विरासत को आगे बढ़ा रहे बेटे
राजनाथ सिंह के दूसरे बेटे नीरज सिंह पिता के संसदीय क्षेत्र लखनऊ में कामकाज संभालते हैं और पिता का सहयोग करते हैं. पार्टी के अंदर यह भी चर्चा होती है कि आगे चलकर नीरज सिंह भी राजनाथ सिंह की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने का काम करेंगे. बीजेपी में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी के बेटे शरद त्रिपाठी संत कबीर नगर से सांसद हैं तो दूसरे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह के बेटे अनुराग सिंह विधायक बन चुके हैं. इसके अलावा पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कलराज मिश्रा के बेटे अमित मिश्रा भी बीजेपी में दायित्व संभाल रहे हैं. यही नहीं अमित मिश्रा के चुनाव लड़ने की चर्चा है. इसके अलावा बीजेपी में तमाम ऐसे नेता हैं, जो वंशवाद को बढ़ावा देते हुए नजर आते हैं.
सपा में शुरू से ही परिवारवाद कायम
समाजवादी पार्टी में मुलायम सिंह यादव के बाद अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की सियासत की सत्ता संभाली. समाजवादी पार्टी में शुरू से मुलायम सिंह यादव का पूरा परिवार सक्रिय राजनीति में शामिल रहा है. बात चाहे राम गोपाल यादव और उनके दोनों बेटे धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव की हो, ये सभी राजनीति में शुरू से ही सक्रिय रहे हैं. यही नहीं शिवपाल यादव और उनके बेटे आदित्य यादव इससे अछूते नहीं रहे हैं. वहीं अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव भी सक्रिय राजनीति में शामिल रही हैं.
परिवारवाद की राह पर चल पड़ी बसपा
इसके अलावा सर्वाधिक परिवारवाद को बढ़ावा नदेने की बात करने का दावा करने वाली पूर्व मुख्यमंत्री बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती भी आजकल परिवारवाद को बढ़ावा देती हुई नजर आ रही हैं. उन्होंने अपने भतीजे आकाश को लोकसभा चुनाव के मद्देनजर स्टार प्रचारक भी बना दिया है, जिसको लेकर पार्टी के अंदर से ही सवाल उठे, लेकिन इस पर कोई भी नेता बोलने से बचता रहा.