लखनऊ : पांचवें चरण में 14 लोकसभा सीटों पर मतदान होना है. इन सीटों में रायबरेली, अमेठी, लखनऊ, अयोध्या और धौरहरा जैसी हाई प्रोफाइल सीटें भी हैं. इन पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में रायबरेली और अमेठी को छोड़कर बाकी सभी 12 सीटों पर भाजपा ने जीत दर्ज की थी. भाजपा के लिए यह चरण काफी चुनौतियों भरा है. आइए हम समझते हैं इन 14 सीटों में से 9 सीटों का गणित. ये सीटें कैसरगंज, गोंडा, बहराइच, बाराबंकी, सीतापुर, मोहनलालगंज, बांदा, फतेहपुर और कौशांबी हैं.
कैसरगंज का क्या है समीकरण
कैसरगंज लोकसभा सीट से पिछली बार बीजेपी के टिकट पर बाहुबली नेता बृजभूषण शरण सिंह चुनाव जीते थे. इसी पर इससे पहले भारतीय जनता पार्टी लगातार पांच लोकसभा चुनाव हारी थी. 2009 का लोकसभा चुनाव बीजेपी के निवर्तमान सांसद बृजभूषण शरण सिंह समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ कर संसद पहुंचे थे. इससे पहले लगातार चार बार बेनी प्रसाद वर्मा ने समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर संसद में इस क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया था. कांग्रेस ने पूर्व सांसद विनय कुमार पांडे को कैसरगंज से टिकट दिया है. गठबंधन में यह सीट बीएसपी के खाते में गई है. पार्टी ने यहां से चंद्र देव यादव को चुनावी मैदान में उतारा है. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को कैसरगंज संसदीय क्षेत्र की सभी विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी.
गोंडा की जनता को क्या इस बार भी लुभा पाएंगे कीर्ति वर्द्धन सिंह
गोंडा लोकसभा सीट पर इस बार दिलचस्प मुकाबला होने वाला है. बीजेपी के निवर्तमान सांसद कीर्तिवर्धन सिंह एक बार फिर चुनाव मैदान में ताल ठोक रहे हैं. 2014 के लोकसभा चुनाव में कीर्तिवर्धन सिंह बीजेपी के टिकट पर यहां से चुनाव जीते थे. इसी सीट से कीर्तिवर्धन सिंह के पिता आनंद सिंह कांग्रेस से चार बार सांसद रह चुके हैं. भाजपा पहली बार 1991 में गोंडा सीट पर जीती थी. इसके बाद 1996 और 1999 के लोकसभा चुनाव में भी भाजपा के खाते में यह सीट गई थी. कीर्तिवर्धन सिंह को इस बार सपा प्रत्याशी विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह कड़ी टक्कर दे रहे हैं. गोंडा संसदीय क्षेत्र की दो विधानसभा सीटें ऐसी हैं जिस पर कीर्तिवर्धन अपने समर्थक प्रत्याशी को ही जिताते रहे हैं. 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सभी सीटों पर जीत दर्ज की थी.
बहराइच लोकसभा सीट की क्या है चुनावी गणित
बहराइच लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को कई बार सफलता मिल चुकी है. भारतीय जनता पार्टी ने 1991, 1996, 1999 में जीत दर्ज की. इसके बाद 2014 के लोकसभा चुनाव में भी यह सीट बीजेपी के खाते में गई. 2014 में बीजेपी ने साध्वी सावित्री बाई फुले को चुनाव मैदान में उतारा था, लेकिन सावित्रीबाई फुले अपने कार्यकाल के चार साल पूरे करने के उपरांत बीजेपी पर हमलावर हो गईं. उन्होंने बीजेपी नेतृत्व को दलित विरोधी बताया और कहा कि बीजेपी की मोदी सरकार में दलितों के हित का कोई काम नहीं हो रहा है. दरअसल, बीजेपी के सर्वे में सावित्रीबाई फुले कार्यकाल अच्छा नहीं था और उनका टिकट कटना लगभग तय था. इसी वजह से उन्होंने पहले से ही बगावत कर ली. अब इस सीट से भाजपा ने पूर्व मंत्री और पूर्व विधायक सेवर लाल गौड़ को चुनाव मैदान में उतारा है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने एक सीट छोड़कर बाकी सभी जीत ली थी.
बाराबंकी में प्रियंका रावत बीजेपी को कितना पहुंचाएंगी नुकसान
बाराबंकी लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की पूर्व प्रत्याशी प्रियंका सिंह रावत संसद पहुंची थीं. उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस के सांसद पीएल पुनिया को हराया था. बाराबंकी सीट पर भारतीय जनता पार्टी को 2014 के पहले केवल 1998 में जीत मिली थी. इस लिहाज से यह सीट बीजेपी के लिए इस बार चुनौतीपूर्ण है. 2017 के विधानसभा चुनाव में बाराबंकी की चार सीटों पर बीजेपी जीती तो एक सीट सपा के खाते में गई.
क्या बीजेपी का सीतापुर में एक बार फिर खिलेगा कमल
सीतापुर संसदीय क्षेत्र में लोकसभा चुनाव 2014 में बीजेपी प्रत्याशी राजेश वर्मा ने जीत दर्ज की थी. दूसरे नंबर पर बसपा प्रत्याशी कैसर जहां थीं. उन्हें 3 लाख 66 हजार पांच सौ 19 मत प्राप्त हुए थे. तीसरे स्थान पर सपा के भरत त्रिपाठी और चौथे स्थान पर कांग्रेस की वैशाली थीं. इससे पहले बीजेपी इस सीट पर 1991 और 1998 में जीती थी. वहीं 2017 यूपी विधानसभा चुनावों की बात करें तो सीतापुर में 5 विधानसभा सीटें हैं. इनमें से चार पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की थी और मोहम्मदाबाद सीट सपा के खाते में गई थी.
मोहनलाल गंज सीट पर दोबारा जीत हासिल करना बीजेपी के लिए चुनौती
मोहनलालगंज लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी 2014 में तीसरी बार जीत दर्ज की. इससे पहले 1991 और 1996 लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत मिली थी. 1996 के बाद लगातार चार चुनाव में समाजवादी पार्टी को जीत मिली. 2014 में भाजपा के कौशल किशोर जीते. कौशल किशोर ने बसपा प्रत्याशी आरके चौधरी को करीब डेढ़ लाख वोटों से हराया था. 2017 के विधानसभा चुनाव में मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र की पांच विधानसभा सीटों में से तीन पर भाजपा को जीत मिली. वहीं एक-एक पर सपा और बसपा का कब्जा रहा.
बांदा सीट से निवर्तमान सांसद भैरो प्रसाद मिश्र क्या बीजेपी को पहुंचाएंगे नुकसान
बुंदेलखंड की बांदा लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी भैरो प्रसाद मिश्रा को जीत मिली थी. भैरो प्रसाद मिश्रा ने बसपा प्रत्याशी आरके सिंह पटेल को 1 लाख 15 हजार सात सौ 88 मतों से हराया था. बांदा सीट पर बीजेपी को बहुत कम बार ही जीत मिली है. 1998 में रमेश चंद्र द्विवेदी ने भाजपा को जीत दिलाई थी, उसके बाद 2014 में ही भाजपा जीती है. 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बांदा की सभी पांच विधानसभा सीटों पर जीत दर्ज की. इसमें 2014 में बसपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने वाले आरके सिंह पटेल भी भाजपा के उम्मीदवार के रूप में मानिकपुर सीट से चुनाव लड़े और जीते. भैरो प्रसाद मिश्रा का टिकट पार्टी ने काट दिया है. 2014 में भैरो प्रसाद से चुनाव हारने वाले आरके सिंह पटेल बीजेपी के लोकसभा प्रत्याशी हैं.
फतेहपुर लोकसभा सीट पर किसकी होगी हार, किसके सिर होगा ताज
फतेहपुर लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी का प्रभाव बहुत अधिक नहीं दिखता. 1957 से 2014 तक हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी को तीन बार यहां से सफलता मिल चुकी है. 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की साध्वी निरंजन ज्योति चुनाव जीती थीं. साध्वी निरंजन ज्योति मोदी सरकार में मंत्री रहीं और वह इस बार भी चुनावी मैदान में हैं. वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को छह में से पांच विधानसभा सीटों पर जीत मिली थी. एक पर भाजपा के सहयोगी दल 'अपना दल' के प्रत्याशी की जीत हुई थी.
कौशांबी सीट पर क्या एक बार फिर खिलेगा कमल
कौशांबी लोकसभा सीट पर 2014 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के विनोद कुमार सोनकर को जीत मिली थी. विनोद कुमार सोनकर ने समाजवादी पार्टी के शैलेंद्र कुमार को हराया था. तीसरे स्थान पर बसपा के सुरेश पासी थे. वहीं चौथे स्थान पर कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र कुमार. 2017 के विधानसभा चुनाव में तीन सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की तो कुंडा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी रघुराज प्रताप सिंह और बाबागंज सीट पर विनोद कुमार को जीत मिली.