लखनऊ : आज का दिन हमें यह याद करने का अवसर प्रदान करता है कि हमने क्या किया है और क्या किया जाना शेष है. भारत देश कभी अपनी आवश्यकताओं के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहता था, आज वही देश स्वयं आत्मनिर्भर बनकर दूसरे देशों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है. यह विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की ही देन है. यह बातें मंगलवार को कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग एवं महानिदेशक, सचिव डॉ. हिमांशु पाठक ने बतौर मुख्य अतिथि कहीं.
राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (CSIR) ने वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद का 81वां स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया. इस मौके पर कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग एवं महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक समारोह में ऑनलाइन जुड़े थे. संस्थान के निदेशक प्रो. एसके बारिक ने 25 वर्ष की सेवा पूरी करने वाले नौ कर्मचारियों एवं विगत दो वर्षों में सेवानिवृत होने वाले 31 कर्मचारियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित भी किया. स्थापना दिवस के अवसर पर कर्मचारियों के बच्चों के लिए आयोजित विज्ञान निबंध एवं चित्रकारी प्रतियोगिता में विजयी बच्चों को पुरस्कार एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित भी किया गया. इसके साथ-साथ सीएसआइआर, एनबीआरआई कर्मचारियों के उन मेधावी छात्रों को भी पुरस्कृत किया, जिन्होंने सीनियर सेकेंडरी एग्जाम वर्ष 2021 एवं 2022 में कम से कम तीन विज्ञान विषयों में 90 प्रतिशत से ज्यादा अंक एवं किसी विज्ञान विषय में 100 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. मुख्य अतिथि डॉ. हिमांशु पाठक ने इस मौके पर सीएसआइआर द्वारा समाज के हित में किए गए कार्यों एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों को याद करते हुए सभी को इस अवसर पर बधाई दी. उन्होंने आशा जताई कि सीएसआईआर, एनबीआरआई एवं आईसीएआर मिलकर भविष्य की चुनौतियों का सामना करने की दिशा में मिल कर अभूतपूर्व योगदान कर सकते हैं.
इस अवसर पर प्रो. बारिक ने वैज्ञानिकों को राष्ट्र की समस्याओं का समाधान हासिल करने की दिशा में अपने प्रयासों को नयी दिशा एवं नए आयाम देने की चुनौती भी दी. इस अवसर पर संस्थान द्वारा हल्दी में पाए जाने वाले महत्वपूर्ण यौगिक करक्यूमिन को खाने योग्य कैप्सूल (क्रोमा-3) बनाने की तकनीकी को मेसर्स टेक्नो केमिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, कालीकट को स्थानांतरित किया. संस्थान में इस तकनीकी को डॉ. बीएन सिंह, प्रधान वैज्ञानिक एवं उनकी टीम द्वारा विकसित किया गया है.
डॉ. बीएन सिंह ने बताया कि हल्दी अपने औषधीय गुणों के कारण प्राचीन औषधीय तंत्र आयुर्वेद में एक विशेष महत्व रखती है. हालांकि, इसमें पाए जाने वाले औषधीय यौगिक करक्यूमिन की खराब जैव उपलब्धता और पानी में घुलनशीलता की कमी के कारण, इसके औषधीय गुणों का पूरा फायदा हम नहीं ले पाते हैं. क्रोमा 3 के हर्बल फार्मूलेशन में 10 प्रतिशत से अधिक करक्यूमिन होता है, जो बेहतर औषधीय गुणों के साथ साथ शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को भी मजबूत करता है. इस फार्मूलेशन को आयुष मंत्रालय द्वारा जारी दिशा निर्देशों के अनुरूप विकसित किया गया है.
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टेक्नो केमिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, कलिकट के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रदीप कुमार ने बताया कि हम इस तकनीकी के प्रयोग से ज्यादा करक्यूमिन पाए जाने वाली हल्दी की किस्मों से खाने योग्य कैप्सूल विकसित करेंगे, जो अगले तीन से चार महीने में बाजार में उपलब्ध होगा. तकनीकी हस्तांतरण में संस्थान के डॉ. मनीष भोयार, डॉ. बीएन सिंह, डॉ. सीएचवी राव स्वाति शर्मा आदि मौजूद थीं.
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