लखनऊ : यूपी में जीका वायरस का खतरा मंडरा रहा है. वहीं दूसरी तरफ मरीजों के ठीक होने का सिलसिला भी जारी है. यूपी में मिले जीका वायरस के 128 मरीजों में से अब तक कुल 60 मरीजों में जीका वायरस की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है.
संचारी रोग निदेशक डॉ. जीएस बाजपेयी के मुताबिक, यूपी में कुल 128 जीका के मरीज मिले थे. जिसमें लखनऊ के 4 मरीज और कन्नौज का एक मरीज वायरस की गिरफ्त में है. शेष मरीज कानपुर के हैं, इसमें 35 मरीज पहले ठीक हो चुके हैं.
वहीं 25 मरीजों की सोमवार को रिपोर्ट निगेटिव आई है. अब तक कुल 60 मरीजों में वायरस निगेटिव पाया गया है. इसी क्रम में कानपुर में सोमवार को जीका वायरस का एक भी केस नहीं मिला है. कानपुर में अब तक 39 लोगों की रिपोर्ट निगेटिव आ चुकी है. कानपुर में जीका वायरस से संक्रमित अब सिर्फ 86 एक्टिव केस बचे हैं.
अब तक 5500 सैम्पल का जीका टेस्ट
यूपी में कोरोना के बाद डेंगू, मलेरिया और स्क्रबटाइफस ने कहर मचाया. डेंगू का हमला अभी थमा नहीं है. इसी बीच जीका वायरस ने नई मुसीबत बढ़ा दी है. कानपुर में लगातार जीका वायरस के मरीज पाए जा रहे हैं. लखनऊ में भी मरीजों के बढ़ने का सिलसिला जारी है.
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए कानपुर, कन्नौज व लखनऊ में कुल 5,500 से अधिक लोगों के सैंपल को जांच के लिए लैब भेजा गया है. वहीं लखनऊ में मरीजों के लिए 118 बेड रिजर्व किए गए हैं. जीका वायरस से संक्रमित मरीजो की मॉनिटरिंग कोविड-19 मरीजों की तर्ज पर की जा रही है.
मरीजों की ट्रेसिंग/ट्रेकिंग के लिए कंट्रोल रूम बनाया गया है. डीजी हेल्थ डॉ. वेदव्रत सिंह ने जीका वायरस से निपटने के लिए सभी जिलों को दिशा-निर्देश दिए हैं. बुखार के जिन मरीजों में डेंगू-मलेरिया या कोरोना की जांच में पुष्टि नहीं हो रही है और समस्या लगातार बनी हुई है. ऐसे मरीजों का जीका वायरल टेस्ट कराने की सलाह दी गई है.
डेंगू मच्छर से ही फैल रहा जीका वायरस
संचारी रोग निदेशक डॉक्टर जी एस बाजपेई के मुताबिक डेंगू मच्छर से ही जीका वायरस फैल रहा है. डेंगू के लिए दोषी मादा एनाफिलीज मच्छर ही जीका वायरस का वाहक है. ऐसे में नगर मलेरिया टीम व जिला मलेरिया विभाग की टीम को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. विभाग की टीम मरीज के घर के अंदर इंडोर स्प्रे कर रहे हैं. साथ ही बाहर भी एंटी लार्वा का छिड़काव कर रहे हैं. इसके अलावा घरों में मच्छरों के जो सोर्स हैं, उसे नष्ट किया जा रहा है. साथ ही विभाग की टीम लार्वा का सैंपल संग्रह करके लैब भेज रही है. इसके अलावा नगर निगम की टीम फॉगिंग कर रही है.
ये हैं लक्षण
- सिर दर्द
- बदन दर्द
- जोड़ों का दर्द
- बुखार
- मांसपेशियों में दर्द
- बेचैनी होना
- इसके अलावा बड़े बच्चों या वयस्कों में इस क़िस्म का वॉयरस हो जाने पर उनमे न्यूरोपैथी, गुलियन-बेरी सिंड्रोम और मायलाइटिस जैसी तंत्रिका संबंधी समस्याएं देखने को मिल सकती है.
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ये हैं बचाव
- खुली त्वचा पर 20% – 30% DEET या 20% पिकारिडीन वाले रेपेलेंट का उपयोग करें.
- हल्के कलर के कपड़ों को पहनें.
- बांह बंद वाले कपड़ों को पहनें.
- यदि हो सके तो कपड़ों की बाहरी सतह पर प्रीमेथरिन का स्प्रे कर लें.
- घर में पानी को न जमा होने दें.
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