लखनऊः राजधानी में टीबी मरीजों को ढूढ़ने पर जोर दिया जायेगा. घर-घर अभियान के अलावा अस्पतालों की ओपीडी में भी स्कीनिंग होगी. ऐसे में अस्पतालों की ओपीडी में आने वाले पांच फीसदी मरीजों की टीबी जांच होगी.
राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम
इस कार्यक्रम के तहत नई व्यवस्था लागू की गयी है. शासन ने जिला अस्पताल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) सहित सभी निजी अस्पताल के डॉक्टरों को निर्देश जारी किये हैं. इसमें ओपीडी में टीबी के लक्षण वाले मरीजों को अलग चिन्हित करने के निर्देश दिये हैं. जिला क्षय रोग अधिकारी डॉक्टर एके चौधरी के मुताबिक टीबी को खत्म करने की दिशा में तेजी से कोशिश की जा रही है. समय पर मरीजों की पहचान के लिए भी अभियान चलाया जा रहा है. अब ओपीडी के पांच फीसदी की टीबी जांच कराई जायेगी. सरकारी अस्पतालों में ये जांच पूरी तरह से फ्री होगी.
ये लक्षण होने पर होगी जांच
मरीज लंबे समय से खांसी आने की शिकायत करते हैं. वजन में कमी बताते हैं. बलगम से खून आता है. इसके चलते हर वक्त सांस फूलती है. ऐसे में फौरन टीबी की जांच करायी जायेगी.
खांसते वक्त मुंह पर लगायें कपड़ा
डॉक्टर ए के चौधरी ने बताया कि टीबी के इलाज में मरीजों का पंजीकरण जरूरी है. अधिक से अधिक मरीजों की खोज कर संक्रमण को रोकने में मदद मिलेगी। ये संक्रमित व्यक्ति के खांसने या छींकने से फैलता है. इस दौरान व्यक्ति को मुंह पर कपड़ा लगा लेना चाहिए. उन्होंने बताया कि दस्तक अभियान में आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता बुखार के साथ टीबी के लक्षण वाले मरीजों की भी जानकारी जुटा रही है. इस दौरान वो हर घर में खांसी, सांस लेने में दिक्कत वालों की लिस्ट बना रही है.