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होम आइसोलेशन के 5 प्रतिशत मरीजों की अस्पताल में हो रही मौतें

राजधानी लखनऊ में कोरोना संक्रमितों की संख्या भले ही कम हो रही है, लेकिन मौत का आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है. इसका एक कारण लोगों की लापरवाही भी है. परिजन संक्रमित बुजुर्गों को होम आइसोलेशन में रख रहे हैं. स्थिति बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती करा रहे हैं.

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Published : May 10, 2021, 10:41 AM IST

लखनऊ: राजधानी में होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की चौथे या पांचवे दिन हालत बिगड़ती जा रही है. इस दौरान अस्पताल की ओर रुख करने वाले सबसे ज्यादा बुजुर्ग वर्ग के मरीज हैं. स्थिति गंभीर होने के बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो जाती है. आंकड़ों के मुताबिक, करीब पांच प्रतिशत मरीज जो पहले होम आइसोलेशन में थे, अस्पताल मेंं इलाज के दौरान उनकी मौत हो जाती है.

भर्ती होने के 4 दिन बाद गई जान
पहला मामला अलीगंज का है. 70 वर्षीय अब्दुल की रिपोर्ट 1 मार्च को कोरोना पाॅजिटिव आई थी. वह पहले से ही शुगर से भी ग्रसित थे. पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड होने बाद भी कोई भी काॅल कमांड सेंटर से नहीं आई. उन्होंने खुद को होम आइसोलेट किया. तीन दिन बाद अचानक उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा. बेटे ने आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया, जहां चार दिन तक इलाज होने के बाद उनकी मौज हो गई.

ऑक्सीजन लेवल कम होने पर गईं अस्पताल
दूसरा मामला आशियाना एलडीए काॅलोनी का है. 55 वर्षीय संगीता की रिपोर्ट बीते दिनों पॉजिटिव आई थी. ऑक्सीजन लेवल कम हुआ तो परिजनों ने घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर लगा दिया. डाॅक्टर को घर बुलाकर इलाज कराया. जब संगीता की हालत गंभीर हुई तो निजी अस्पताल में भर्ती कराया. इस दौरान चार से पांच दिन बाद इलाज के दौरान ही संगीता की मौत हो गई.

दो से तीन दिन में जा रही जान
यह मामले महज बानगी भर हैं. लोग बीमार-बुजुर्गों को अस्पताल में भर्ती कराने की बजाय घर पर होम आइसोलेशन में रख रहे हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाकर उन्हें सपोर्ट पर रख रहे हैं. यह कोताही मरीजों की सेहत पर भारी पड़ रही है. यही वजह है कि शहर में कोरोना से होने वाली मौतों का ग्राफ थम नहीं रहा है. मरीजों की तादाद भले ही कम हो रही है, लेकिन मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है.

बीमार लोगों की सेहत से न करें खिलवाड़
सीएमओ डाॅ. संजय के मुताबिक, लोग बीमार-बुजुर्ग की सेहत से खिलवाड़ कतई न करें. यह उनकी सेहत के लिए घातक हो सकता है. कोविड रिपोर्ट पाॅजिटिव आने पर उन्हें होम आइसोलेशन में रखने की बजाय अस्पताल में भर्ती कराएं.

लखनऊ: राजधानी में होम आइसोलेशन में रहने वाले मरीजों की चौथे या पांचवे दिन हालत बिगड़ती जा रही है. इस दौरान अस्पताल की ओर रुख करने वाले सबसे ज्यादा बुजुर्ग वर्ग के मरीज हैं. स्थिति गंभीर होने के बाद इलाज के दौरान उनकी मौत हो जाती है. आंकड़ों के मुताबिक, करीब पांच प्रतिशत मरीज जो पहले होम आइसोलेशन में थे, अस्पताल मेंं इलाज के दौरान उनकी मौत हो जाती है.

भर्ती होने के 4 दिन बाद गई जान
पहला मामला अलीगंज का है. 70 वर्षीय अब्दुल की रिपोर्ट 1 मार्च को कोरोना पाॅजिटिव आई थी. वह पहले से ही शुगर से भी ग्रसित थे. पोर्टल पर रिपोर्ट अपलोड होने बाद भी कोई भी काॅल कमांड सेंटर से नहीं आई. उन्होंने खुद को होम आइसोलेट किया. तीन दिन बाद अचानक उनका ऑक्सीजन लेवल गिरने लगा. बेटे ने आनन-फानन में अस्पताल में भर्ती कराया, जहां चार दिन तक इलाज होने के बाद उनकी मौज हो गई.

ऑक्सीजन लेवल कम होने पर गईं अस्पताल
दूसरा मामला आशियाना एलडीए काॅलोनी का है. 55 वर्षीय संगीता की रिपोर्ट बीते दिनों पॉजिटिव आई थी. ऑक्सीजन लेवल कम हुआ तो परिजनों ने घर पर ही ऑक्सीजन सिलेंडर लगा दिया. डाॅक्टर को घर बुलाकर इलाज कराया. जब संगीता की हालत गंभीर हुई तो निजी अस्पताल में भर्ती कराया. इस दौरान चार से पांच दिन बाद इलाज के दौरान ही संगीता की मौत हो गई.

दो से तीन दिन में जा रही जान
यह मामले महज बानगी भर हैं. लोग बीमार-बुजुर्गों को अस्पताल में भर्ती कराने की बजाय घर पर होम आइसोलेशन में रख रहे हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर मंगवाकर उन्हें सपोर्ट पर रख रहे हैं. यह कोताही मरीजों की सेहत पर भारी पड़ रही है. यही वजह है कि शहर में कोरोना से होने वाली मौतों का ग्राफ थम नहीं रहा है. मरीजों की तादाद भले ही कम हो रही है, लेकिन मौत का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है.

बीमार लोगों की सेहत से न करें खिलवाड़
सीएमओ डाॅ. संजय के मुताबिक, लोग बीमार-बुजुर्ग की सेहत से खिलवाड़ कतई न करें. यह उनकी सेहत के लिए घातक हो सकता है. कोविड रिपोर्ट पाॅजिटिव आने पर उन्हें होम आइसोलेशन में रखने की बजाय अस्पताल में भर्ती कराएं.

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