लखनऊ : उ.प्र. हिन्दी संस्थान के 44वें स्थापना दिवस पर गोष्ठी और कवि सम्मेलन आयोजित किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष डाॅ. सदानंद प्रसाद गुप्त ने की. संस्थान के निदेशक श्रीकांत मिश्रा ने अतिथियों का स्वागत किया. गोष्ठी के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार डाॅ. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने डाॅ. राजेन्द्र प्रसाद, महामना मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी बाजपेयी की स्मृति को नमन करते कहा कि इन महान विभूतियों के चरित्र के विभिन्न उज्जवल पक्ष है. जिनका अनुसरण करना चाहिए.
उन्होंने कहा कि मालवीय जी प्रखर वक्ता, शिक्षा शास्त्री और समाज कल्याण के प्रति सदा समर्पित रहे. बाबू राजेन्द्र प्रसाद ने भारतीय गणतंत्र को वर्तमान रुप देने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया. जनसेवक के रुप में उनकी ख्याति सब ओर है. अटल बिहारी बाजपेयी ने राजनीति में अपना अलग आदर्श रखा. उन्होंने किसी के दबाव में कार्य नहीं किया. वे सफल सांसद थे. राष्ट्र हित की बात आने पर वह पहले भारतीय थे, फिर किसी पार्टी के सदस्य थे.
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डाॅ. सदानंद प्रसाद गुप्त ने हजारी प्रसाद द्विवेदी, ठाकुर प्रसाद सिंह को नमन करते हुए संस्थान में उनके योगदान को याद किया. साथ ही उन्होंने बाबू राजेन्द्र प्रसाद, मदन मोहन मालवीय और अटल बिहारी के व्यक्तित्व के महत्वपूर्ण पक्षों की चर्चा की. इस अवसर पर संस्थान के पूर्व कार्यकारी अध्यक्ष एवं कवि उदय प्रताप सिंह की अध्यक्षता में कवि गोष्ठी का आयोजन हुआ. कवि गोष्ठी में गोरखपुर के डाॅ. अनंत मिश्र, राजधानी के मधुकर अष्ठाना, विनय बाजपेयी, कुमार तरल, मऊ के कमलेश राय, प्रयागराज के जय कृष्ण राय, डाॅ. विनम्र सेन सिंह, बलरामपुर के प्रकाश चंद्र गिरी ने कविता पाठ किया.