लखनऊ : राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में लगातार बुखार के मरीज आ रहे हैं. लक्षणों के आधार पर मरीजों की डेंगू, मलेरिया और टायफाइड समेत दूसरी जांचें कराई जा रही हैं. इस बीच डेंगू का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है. शुक्रवार को 38 मरीजों की डेंगू रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. वहीं राजधानी के निजी अस्पताल में एक डेंगू पीड़ित मरीज की मौत गई.
डेंगू के सबसे ज्यादा मरीज इंदिरानगर, चिनहट, एनके रोड में पांच-पांच लोग डेंगू की जद में आ गए हैं. अलीगंज, चन्दरनगर, सरोजनीनगर में चार-चार लोग डेंगू की चपेट में आ गए हैं. बीकेटी, काकोरी में एक-एक लोगों की डेंगू रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. टूडियागंज में तीन, रेडक्रास, सिल्वर जुबली और ऐशबाग में दो-दो लोगों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है. लगभग 1381 घरों एवं आस-पास मच्छरजनित स्थितियों का सर्वेक्षण किया गया. सात घरों में मच्छरजनित स्थितियां पाई गई. इनके भवन स्वामियों को नोटिस जारी की गई.
मुफ्त जांच व इलाज की सुविधा : सीएमओ डॉ. मनोज अग्रवाल ने बताया कि सभी सरकारी अस्पतालों में बुखार मरीजों को इलाज मुहैया कराया जा रहा है. हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर व हेल्थ पोस्ट सेंटर में मरीजों को जांच व इलाज की सुविधा मुहैया कराई जा रही है. मुफ्त जांच व इलाज मरीजों को उपलब्ध कराया जा रहा है.
निजी अस्पताल में मरीज की गई जान : बंथरा के निजी अस्पताल में भर्ती बुजुर्ग की गुरुवार रात इलाज के दौरान मौत हो गई. बुजुर्ग कई दिनों से बुखार, सीने में जकड़न और सांस लेने संबंधी बीमारी से पीड़ित थे. परिवारीजनों ने इलाज में कोताही का आरोप लगाते हुए हंगामा भी किया. पुलिस ने किसी तरह मामला शांत कराया. शव का पोस्टमार्टम कराया गया है. बेटे ने मुकदमा दर्ज कराने के लिए पुलिस को तहरीर दी है.
गलत इंजेक्शन लगाने का आरोप : बंथरा नीवा बरौली निवासी कल्लू (60) को तेज बुखार आया. कुछ समय बाद सीने में जकड़न हुई. मरीज को सांस लेने में तकलीफ शुरू हो गई. परिवारीजनों ने बुजुर्ग मरीज को बीती 23 अक्तूबर को बंथरा के एनक्राइड पुष्पा हॉस्पिटल में भर्ती कराया था. बेटे अखिलेश ने बताया पिता आयुष्मान कार्ड धारक थे. अस्पताल में कार्ड भी लगाया था. इसके बाद भी दवा के नाम पर करीब डेढ़ लाख रुपये लिए गए. बेटे का आरोप है कि बीते 30 अक्टूबर को अस्पताल स्टॉफ ने इंजेक्शन लगाया था. इसके बाद पिता की हालत गंभीर हो गई. जिसके बाद ही उनकी सांसें थम गईं. अखिलेश की तहरीर पर पुलिस मामले की जांच कर रही है.
केजीएमयू ट्रॉमा सेंटर में भर्ती एमबीबीएस प्रथम वर्ष की छात्रा की हालत गंभीर
केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह बताया कि बुधवार को आत्महत्या की कोशिश करने वाली छात्रा की हालत गंभीर बनी हुई है. वेंटिलेटर सपोर्ट पर इलाज चल रहा है. कई अंग अभी भी ठीक से काम नहीं कर रहे हैं. गुर्दे भी कम ठीक है. डॉक्टरों की टीम लगातार छात्रों की सेहत की निगरानी कर रही है.
बता दें, गाजियाबाद निवासी छात्रा केजीएमयू के यूजी हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती है. बुधवार दोपहर क्लास के बाद सभी छात्राएं मेस में खाना खाने जा रही थीं. तभी एक छात्रा अपने साथियों से बाद में खाना खाने की बात कहकर सीधे हॉस्टल अपने कमरे में चली गई थी. इसी बीच दूसरी छात्रा के पास इस छात्रा के पिता का फोन आया. उन्होंने छात्रा द्वारा फोन न उठाने की बात कही तो दूसरी छात्रा ने कमरे पर जाकर बात कराने की बात कही. उसने हास्टल पहुंच कर कमरे का दरवाजा खटखटाया. दरवाजा भीतर से बंद था. जब उसने खिड़की से कमरे के भीतर झांककर देखा तो वह दंग रह गई. साथी छात्रा ने आत्महत्या की कोशिश की थी.
छात्रा के पिता ने बताया कि इस बार जब घर आई थी तो उसे लखनऊ आने का बिल्कुल भी मन नहीं था. जब स्टेशन पर उसे छोड़ने गया तो उसने मुझसे यही कहा कि पापा इस बार मुझे हॉस्टल जाने का मन नहीं है. मुझे नहीं मालूम था कि मेरी बच्ची इतना बड़ा कदम उठा लेगी. उन्होंने कहा कि बेटी पढ़ने में हमेशा से तेज थी. डॉक्टर बनने के लिए उसने एंट्रेंस एग्जाम के लिए पूरी की जी जान लगा दी थी कि उसे डॉक्टरी की पढ़ाई करनी है तो अच्छे मेडिकल कॉलेज में दाखिला लेना ही पड़ेगा. केजीएमयू में एडमिशन होने पर वह बहुत खुश थी. काउंसिलिंग में जब उसे केजीएमयू में आने का मौका मिला तो अपने फोन पर केजीएमयू की फोटो गर्व से लगाई थी. कुछ दिनों से वह हॉस्टल में मन न लगने की बात कह रही थी. मैने कई बार कॉलेज में किसी के परेशान करने के या किसी और समस्या के बारे में जानने की कोशिश की. लेकिन, उसने और कुछ नहीं बताया था.
केजीएमयू नर्सेज एसोसिएशन के अधिकारियों ने कुलपति से की मुलाकात
केजीएमयू नर्सेज एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद से भेंट की और नर्सों की समस्याओं से अवगत कराया. कुलपति ने मांगों का जल्द से जल्द समाधान करने का आश्वासन दिया है. कुछ मांगों को तुरंत निस्तारित भी कर दिया. एसोसिएशन के संरक्षक प्रदीप गंगवार का कहना है कि नर्सों की सात मांगें लंबे समय से लंबित हैं. इसके लिए कई बाद उच्च अधिकारियों से भेंट की. समस्या का समाधान नहीं हुआ. उन्होंने कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद से भेंट की. उनके समाने मांगों को रखा. जिसमें पदोन्नति, समयबद्ध प्रोन्नति, ईएल, एलटीसी और पदनाम जैसी मांगें शामिल हैं. कुलपति ने पांच मांगों की राह में आने वाली अड़चनों का निस्तारण कर दिया हैं. शुक्रवार को ही 20 सीनियर नर्सिंग ऑफिसर्स को सहायक नर्सिंग अधीक्षक के पद पर पदोन्नति दे दी है. 22 सहायक नर्सिंग अधीक्षकों को वार्षिक वेतन वृद्धि प्राप्त हुई. समयबद्ध प्रोन्नति से नर्सेज में खासा उत्साह है. हालांकि नवनियुक्त नर्सिंग ऑफिसर को एचआरए का भुगतान और नर्सेज की यूनिफार्म तय करने का आदेश अभी जारी नहीं किया गया हैं.
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