लखनऊ : दीपावली की आतिशबाजी ने इस बार त्यौहार में खलल डालने का काम किया. दीपावली की शाम से लेकर मंगलवार की रात तक राजधानी के सभी अस्पतालों में असुरक्षित आतिशबाजी के शिकार हुए 350 से अधिक मरीज अस्पतालों में भर्ती (350 people injured by firecrackers) कराए गए, जिनमें से कुछ को प्राथमिक उपचार देकर घर भेज दिया गया तो वहीं कुछ अभी भी अस्पतालों में भर्ती हैं. किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ट्राॅमा सेंटर में दीपावली की रात अलग-अलग घटनाओं में करीब 53 घायल व्यक्तियों को लाया गया. ट्राॅमा प्रभारी व मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. संदीप तिवारी ने बताया कि 53 में से 35 मरीज इलाज के लिए इमरजेंसी में भर्ती हैं. वहीं 22 व्यक्तियों को मामूली चोटें आई थीं, जिन्हें तुरंत उपचार के बाद घर भेज दिया गया.
हजरतगंज स्थित डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल में दीपावली की रात से लेकर मंगलवार की देर रात तक 299 व्यक्ति असुरक्षित पटाखा जलाने की चपेट में आने से घायल हुए थे, उन्हें हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. इनमें से दीपावली के समय 59 व्यक्ति घायल होकर पहुंचे थे, जिनमें से 58 व्यक्ति को उपचार के बाद घर भेज दिया गया. हॉस्पिटल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि घायलों में एक व्यक्ति का पैर व हाथ व शरीर के कई हिस्सों में गंभीर चोटें आई हैं. उसे बर्न वार्ड में रखा गया है. बाकी जो मामूली रूप से घायल आए थे, उन्हें प्राथमिक उपचार देने के बाद घर भेज दिया गया. इसके अलावा आशियाना स्थित लोक बंधु अस्पताल के इमरजेंसी में 32 व्यक्ति पटाखा से जलकर पहुंचे थे. अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि सभी घायलों में ज्यादातर व्यक्ति पटाखों के फटने से चपेट में आकर घायल हुए थे. घायलों के हाथ, पैर, चेहरे व पेट आदि हिस्से में चोटें आई थीं, प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें घर भेज दिया गया.
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बलरामपुर हॉस्पिटल में पटाखों से जलने से कई मरीज सोमवार रात को अस्पताल लाए गए थे. अस्पताल के सीएमएस डॉ. जीपी गुप्ता ने बताया कि पटाखों के कारण जलने से 24 मरीजों की आंखों में जलन की शिकायत थी. वहीं भाउराव देवरस संयुक्त चिकित्सालय महानगर के सीएमएस डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि सोमवार को पटाखों के जलने से छोटी मोटी चोट के मरीज इमरजेंसी में पहुंचे थे. मरीजों को प्राथमिक उपचार देने के बाद घर भेज दिया गया. वहीं दो-तीन मरीजों की हथेली और पैरों में चोट आई थीं, जिन्हें प्राथमिक उपचार के बाद बलरामपुर हॉस्पिटल रेफर कर दिया गया.
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