लखनऊ : यूपी में मच्छरों का आतंक जारी है. इसके चलते डेंगू जैसी महामारी तेजी से बढ़ती जा रही है. अस्पतालों में बुखार के मरीजों की भरमार है. पिछले 24 घंटे में 268 नए मरीज मिले हैं. वहीं मरीज़ों की संख्या 9 हजार पार कर गई है. इनमें लखनऊ के 21 नए मरीज भी शामिल हैं.
राज्य में मच्छरजनित और बैक्टीरियल बीमारी का प्रकोप जारी है. जलभराव व गंदगी से स्क्रब टाइफस, लेप्टोस्पायरोसिस व डेंगू-मलेरिया भयावह स्थिति में पहुंच गए हैं. हज़ारों मरीज बुखार से कराह रहे हैं. स्थिति यह है कि प्रदेश में 1 जनवरी से 12 सितंबर तक 58 जिलों में कुल 2,073 केस रिपोर्ट किए गए हैं. वहीं, अब मरीजों की संख्या 9,245 हो गयी है.
नगर मलेरिया इकाई व जिला मलेरिया अधिकारी की टीम द्वारा सेक्टर-एच आशियाना, एलडीए कालोनी कानपुर रोड, त्रिवेणीनगर, फैजुल्लागंज, जानकीपुरम, राजाजीपुरम, गढी पीर खा, गोमतीनगर, आशियाना वार्ड के आस-पास के क्षेत्रों का भ्रमण किया गया. वहीं, आलमबाग, अलीगंज, इंदिरानगर, एन. के रोड, रेडक्रास, चिनहट, टूडियागंज, आदि क्षेत्र में कुल 19 डेंगू रोगी पाए गए.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने यूपी के फिरोजाबाद जिले में अधिकांश मौतों का कारण डेंगू बुखार के डी-टू स्ट्रेन को बताया है. उन्होंने बताया कि यह स्ट्रेन बहुत घातक और जानलेवा है. यह अक्सर ब्लीडिंग का कारण बनता है. इसके अलावा यह प्लेटलेट काउंट को भी तेजी से प्रभावित करता है. यह स्ट्रेन मथुरा और आगरा में भी पाया गया है. बताया कि किसी भी बुखार को हल्के में न लें. चाहे वह मलेरिया हो, डेंगू हो या कोविड. इस समय कोविड व डेंगू दोनों का खतरा है. यह दोनों घातक भी हो सकतें हैं.
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डेंगू के प्रकार
टाइप 1 - सामान्य डेंगू - इसमें तेज बुखार के साथ शरीर, जोड़ों और सिर में दर्द होता है. दवाएं लेने से 5 से 7 दिन में ठीक हो जाता है.
टाइप-2- डेंगू हैमेरेजिक फीवर - इसमें मरीज के शरीर में प्लेटलेट्स तेजी से कम होते हैं. ब्लीडिंग शुरू हो जाती है. खून शरीर के विभिन्न हिस्से में जमा होने लगता है. यह फेफड़ों, पेट, किडनी या दिमाग में भी पहुंच सकता है. वहीं शरीर पर चकत्ते पड़ जाते हैं जिनसे खून रिसता रहता है. यह बुखार जानलेवा हो जाता है.
टाइप -3 -डेंगू शॉक सिंड्रोम - इसमें मरीज को बुखार के साथ अचानक ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. इंटरनल ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा होता है. वह शॉक में चला जाता है. मल्टी ऑर्गन फेल्योर हो जाता है जिससे मरीज की मृत्यु हो जाती है. इस बुखार में मरीज को काफी कमजोरी भी आती है.
डेंगू के लक्षण
तेज बुखार, सिर, मांसपेशियों, जोड़ों में दर्द, आंखों के पिछले हिस्से में दर्द कमजोरी लगना, भूख न लगना व मरीज का जी मिचलाना. इसके अलावा चेहरे, गर्दन, चेस्ट, पर लाल-गुलाबी रंग के रैशेज पड़ना भी इसके प्रमुख लक्षणों में से एक है. डेंगू हेमरेजिक में नाक, मुंह, मसूड़े व मल मार्ग से खून आता है. साथ ही डेंगू शॉक सिंड्रोम में ब्लडप्रेश लो होना, बेहोशी होना शरीर में प्लेटलेट्स लगातार कम होने लगना है.
ऐसे करें डेंगू से बचाव
घर व आसपास पानी जमा न होने दें. कूलर, बाथरूम, किचन में भी पानी न लगने दें. साफ सफाई का ध्यान रखें. एकत्र पानी में मच्छर का लार्वा नष्ट करने का तेल स्प्रे करें. एसी की पानी टपकने वाली ट्रे को रोज साफ करें. घर में रखे गमले में पानी जमा न होने दें. छत पर टूटे-फूटे डिब्बे, टायर, बर्तन, बोतलें आदि न रखें. पक्षियों को दाना-पानी देने के बर्तन को रोज साफ करें. शरीर को पूरी तरह ढकने वाले कपड़े पहनें. बच्चों को फुलपैंट व पूरी बाजू की शर्ट पहनाएं. संभव हो तो मच्छरदानी लगाकर सोएं.
खानपान का रखें ध्यान
बुखार में आहार का ध्यान रखें. हरी सब्जियां, फलों के साथ सुपाच्य भोजन करें. तरल चीजें खूब पिएं. पानी सूप, दूध, छाछ, नारियल पानी, ओआरएस का घोल, जूस, शिकंजी आदि लें. बासी व तैलीय खाना न खाएं.
डेंगू पीड़ित अपना दल के जिला सचिव की इलाज के दौरान मौत
सदर कोतवाली क्षेत्र के मानीमऊ चौकी क्षेत्र के अंर्तगत मखदूमापुर गांव निवासी मनीष कश्यप (26) पुत्र रामनरेश अपना दल में जिला सचिव के पद पर पार्टी के लिए काम कर रहे थे. बताया जाता है कि दो दिन पहले बुखार आने से उनकी तबियत बिगड़ गई.
इस पर परिजन शहर के ही एक निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए लेकर गए. यहां जांच में डेंगू की पुष्टि हुई थी. साथ ही प्लेटलेट्स भी तेजी से कम हो रही थी. इलाज के दौरान शुक्रवार को उनकी मौत हो गई. मनीष की मौत खबर मिलते ही कार्यकर्ताओं व नेताओं में शोक की लहर दौड़ गई. लोगों ने मृतक के घर पहुंचकर परिजनों को ढांढस बंधाकर शोक संवेदना व्यक्त की.