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नवनिर्मित मेडिकल संस्थानों में लगाई जाएंगी 22 एमआरआई मशीन, सरकारी अस्पतालों के लिए भेजी जाएंगी नौ

प्रदेश सरकार स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर काफी गंभीर है. मरीजों को बड़े संस्थानों (22 MRI machines will be installed) में रेफर न करना पड़े इसके लिए 31 एमआरआई मशीनें खरीदी जाएंगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Dec 8, 2023, 5:09 PM IST

लखनऊ : प्रदेश के नवनिर्मित मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पतालों में एमआरआई की मशीन नहीं होने के चलते मरीज को मजबूरी में या तो निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में जाना पड़ता है या फिर बड़े मेडिकल संस्थानों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. आलम यह है कि बड़े मेडिकल संस्थानों में प्रदेश के दूसरे जिले से आए मरीज को एक या दो महीने की तारीख दी जाती है. ऐसे में मजबूरी के चलते गरीब वर्ग के मरीज एमआरआई जांच ही नहीं करवा पाते हैं. इसको देखते हुए नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा 31 मशीनें खरीदी जाएंगी.

स्वास्थ्य भवन
स्वास्थ्य भवन

31 एमआरआई मशीनें खरीदी जाएंगी : गुणवत्ता युक्त चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकारी अस्पतालों में अत्याधुनिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं. इसके तहत 31 एमआरआई मशीनें खरीदी जाएंगी. इनमें से 22 मशीनें नवनिर्मित मेडिकल कॉलेजों में स्थापित होंगी, अन्य नौ एमआरआई मशीनें स्वास्थ्य विभाग के तहत संचालित सरकारी जिला अस्पतालों में भेजी जाएंगी, जिससे हर वर्ग के मरीजों के लिए एमआरआई जांच करना आसान हो जाएगा. दरअसल, जटिल बीमारियों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर एमआरआई जांच के लिए लिखते हैं. ऐसे में जब कोई मरीज जांच नहीं कर पता है तो मरीज का समय पर समुचित इलाज भी नहीं हो पता है. अब जब सरकारी संस्थानों में बिना दिक्कत एमआरआई जांच हो सकेगी तो मरीजों का इलाज भी सही समय पर हो सकेगा.

उप्र. मेडिकल सप्लाई काॅरपोरेशन को दिया गया आर्डर : यह जानकारी देते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि 'नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा 31 मशीनें खरीद करने के लिए उप्र. मेडिकल सप्लाई काॅरपोरेशन को आर्डर दिया गया है. इन मशीनों की गुणवत्ता तय करने के लिए रेडियोलॉजिस्ट समेत अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी गठित की गई है. यह कमेटी खरीदी जाने वाली मशीनों के मानक तय करेगी. दरअसल, सरकारी मेडिकल कॉलेज हो या सरकारी अस्पताल, गंभीर मरीज हर अस्पताल में पहुंचते हैं. जांच समेत अन्य चिकित्सकीय संसाधन न होने की वजह से मरीजों को बड़े संस्थानों में रेफर करना पड़ता है, जिससे मरीजों को दिक्कतों के साथ ही महत्वपूर्ण समय भी गंवाना पड़ता है. सरकारी अस्पतालों में सीटी स्कैन और एमआरआई जांच मशीनें स्थापित की जा रही हैं, ताकि बेहतर इलाज मिल सके.'

यह भी पढ़ें : MRI के भवन पर 95 लाख खर्च, लेकिन एमआरआई मशीन लगाना हुआ सिरदर्द, जाने पूरा मामला

यह भी पढ़ें : दो साल बाद भी नहीं लगी सीटी स्कैन की मशीन, हाईकोर्ट ने 24 घंटे में मांगा जवाब

लखनऊ : प्रदेश के नवनिर्मित मेडिकल कॉलेजों व जिला अस्पतालों में एमआरआई की मशीन नहीं होने के चलते मरीज को मजबूरी में या तो निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में जाना पड़ता है या फिर बड़े मेडिकल संस्थानों के चक्कर लगाने पड़ते हैं. आलम यह है कि बड़े मेडिकल संस्थानों में प्रदेश के दूसरे जिले से आए मरीज को एक या दो महीने की तारीख दी जाती है. ऐसे में मजबूरी के चलते गरीब वर्ग के मरीज एमआरआई जांच ही नहीं करवा पाते हैं. इसको देखते हुए नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा 31 मशीनें खरीदी जाएंगी.

स्वास्थ्य भवन
स्वास्थ्य भवन

31 एमआरआई मशीनें खरीदी जाएंगी : गुणवत्ता युक्त चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकारी अस्पतालों में अत्याधुनिक संसाधन जुटाए जा रहे हैं. इसके तहत 31 एमआरआई मशीनें खरीदी जाएंगी. इनमें से 22 मशीनें नवनिर्मित मेडिकल कॉलेजों में स्थापित होंगी, अन्य नौ एमआरआई मशीनें स्वास्थ्य विभाग के तहत संचालित सरकारी जिला अस्पतालों में भेजी जाएंगी, जिससे हर वर्ग के मरीजों के लिए एमआरआई जांच करना आसान हो जाएगा. दरअसल, जटिल बीमारियों के लिए विशेषज्ञ डॉक्टर एमआरआई जांच के लिए लिखते हैं. ऐसे में जब कोई मरीज जांच नहीं कर पता है तो मरीज का समय पर समुचित इलाज भी नहीं हो पता है. अब जब सरकारी संस्थानों में बिना दिक्कत एमआरआई जांच हो सकेगी तो मरीजों का इलाज भी सही समय पर हो सकेगा.

उप्र. मेडिकल सप्लाई काॅरपोरेशन को दिया गया आर्डर : यह जानकारी देते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. दीपा त्यागी ने बताया कि 'नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा 31 मशीनें खरीद करने के लिए उप्र. मेडिकल सप्लाई काॅरपोरेशन को आर्डर दिया गया है. इन मशीनों की गुणवत्ता तय करने के लिए रेडियोलॉजिस्ट समेत अन्य विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमेटी गठित की गई है. यह कमेटी खरीदी जाने वाली मशीनों के मानक तय करेगी. दरअसल, सरकारी मेडिकल कॉलेज हो या सरकारी अस्पताल, गंभीर मरीज हर अस्पताल में पहुंचते हैं. जांच समेत अन्य चिकित्सकीय संसाधन न होने की वजह से मरीजों को बड़े संस्थानों में रेफर करना पड़ता है, जिससे मरीजों को दिक्कतों के साथ ही महत्वपूर्ण समय भी गंवाना पड़ता है. सरकारी अस्पतालों में सीटी स्कैन और एमआरआई जांच मशीनें स्थापित की जा रही हैं, ताकि बेहतर इलाज मिल सके.'

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