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साल दर साल जानलेवा होता गया अवैध पटाखों का कारोबार

उत्तर प्रदेश में अवैध पटाखा कारोबार पर सरकार की कोशिशों के बावजूद लगाम नहीं लग पा रही है. वहीं हर घटना के बाद फर्ज अदायगी वाले आदेश जारी कर प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से आंखें मूंद लेता है.

अवैध पटाखा फैक्ट्री के विस्फोट ने 13 लोगों की ली जान.
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Published : Feb 24, 2019, 10:14 AM IST

लखनऊ : यूपी के अवैध पटाखा कारोबार पर सरकार की कोशिशों के बावजूद लगाम नहीं लग पा रही है. साल दर साल कभी पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट तो कभी पटाखा गोदाम में हुए धमाकों ने दर्जनों जाने ली है, लेकिन हर घटना के बाद फर्ज अदायगी वाले आदेश-निर्देश जारी कर शासन-प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से आंखें मूंद लेता है.

अवैध पटाखा फैक्ट्री के विस्फोट ने 13 लोगों की ली जान.

भदोही के रोहता बाजार में घर के अंदर चल रही अवैध पटाखा फैक्ट्री के विस्फोट ने 13 लोगों की जान ली और आधा दर्जन घायल हो गए. धमाका इतना तेज था कि काम करने वाले मजदूरो के शव 100 मीटर दूर तक पड़े मिले तो वहीं धमाके से आसपास बने मकान तक हिल गए.

भदोही में हुए हादसे पर भी कप्तान ने थानेदार समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. डीजीपी मुख्यालय ने भी आईजी रेंज से रिपोर्ट तलब की है, लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या हादसे के बाद कार्रवाई से घटनाएं रोकी जा सकती हैं या फिर अफसर महज अपनी कुर्सी बचाने के लिए कार्रवाई का डंडा चलाते हैं.

वहीं भदोही की अवैध पटाखा फैक्ट्री में हादसा न तो पहला हादसा है और न ही शासन-प्रशासन के रवैए को देखते हुए आखरी हादसा माना जा सकता. इससे पहले भी वाराणसी, गाजीपुर, लखनऊ, भदोही, बदायूं में हादसे हुए और लोगों की जाने गई, लेकिन अवैध पटाखे के कारोबार पर नकेल नहीं कसी जा सकी.

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एक नजर बीते सालों में हुए पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाकों पर...

  • बीते साल दिवाली के मौके पर अक्टूबर 2018 में बदायूं में सिविल लाइन के रसूलपुर गांव में चल रही अवैध पटाखा फैक्ट्री धमाका में 8 की मौत, 7 घायल.
  • अक्टूबर 2018 में मेरठ के लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र में अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाके के साथ लगी आग. फैक्ट्री में लगी आग से 4 घायल.
  • जून 2018 लखनऊ के काकोरी इलाके में अवैध पटाखा गोदाम में लगी आग से गोदाम मालिक समेत 4 की मौत, 7 घायल.
  • साल 2018 गाजियाबाद के लोनी इलाके के ट्रॉनिका थाना क्षेत्र के गड़ी सब्लू गांव में अवैध पटाखा फैक्ट्री में लगी आग. 10 दमकल की गाड़ियों की मदद से आग पर पाया गया काबू, तीन मामूली घायल.
  • अक्टूबर 2016 में वाराणसी के लल्लापुरा इलाके की अवैध पटाखा फैक्ट्री में पांच की मौत, चार घायल.
  • लखनऊ के चिनहट इलाके में साल 2014 बाइक से अवैध फैक्ट्री से पटाखा ले जा रहे दुकानदार की मामूली रगड़ से धमाका, व्यापारी की मौत, पत्नी व एक बच्चा घायल.
  • मऊ के आजमगढ़ मोड़ पर पटाखे की दुकान पर मामूली लापरवाही से लगी आग और दो की मौत, दो घायल.
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यह आंकड़े तो बानगी भर हैं. ऐसे तमाम हादसे उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिले और शहरों में बीते सालों में हुए हैं. हर हादसे के बाद डीजीपी मुख्यालय से लेकर गृह विभाग तक सभी जिला कप्तानों और जिलाधिकारियों को इन अवैध पटाखा कारोबारियों पर सख्त कदम उठाने के निर्देश जारी करता है, लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन यह सब महज फर्ज अदायगी ही है, जमीनी हकीकत में इस अवैध पटाखा कारोबार पर नकेल कसने की न तो सरकार के पास कोई योजना है और न ही कोई मंशा.

लखनऊ : यूपी के अवैध पटाखा कारोबार पर सरकार की कोशिशों के बावजूद लगाम नहीं लग पा रही है. साल दर साल कभी पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट तो कभी पटाखा गोदाम में हुए धमाकों ने दर्जनों जाने ली है, लेकिन हर घटना के बाद फर्ज अदायगी वाले आदेश-निर्देश जारी कर शासन-प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से आंखें मूंद लेता है.

अवैध पटाखा फैक्ट्री के विस्फोट ने 13 लोगों की ली जान.

भदोही के रोहता बाजार में घर के अंदर चल रही अवैध पटाखा फैक्ट्री के विस्फोट ने 13 लोगों की जान ली और आधा दर्जन घायल हो गए. धमाका इतना तेज था कि काम करने वाले मजदूरो के शव 100 मीटर दूर तक पड़े मिले तो वहीं धमाके से आसपास बने मकान तक हिल गए.

भदोही में हुए हादसे पर भी कप्तान ने थानेदार समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया. डीजीपी मुख्यालय ने भी आईजी रेंज से रिपोर्ट तलब की है, लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या हादसे के बाद कार्रवाई से घटनाएं रोकी जा सकती हैं या फिर अफसर महज अपनी कुर्सी बचाने के लिए कार्रवाई का डंडा चलाते हैं.

वहीं भदोही की अवैध पटाखा फैक्ट्री में हादसा न तो पहला हादसा है और न ही शासन-प्रशासन के रवैए को देखते हुए आखरी हादसा माना जा सकता. इससे पहले भी वाराणसी, गाजीपुर, लखनऊ, भदोही, बदायूं में हादसे हुए और लोगों की जाने गई, लेकिन अवैध पटाखे के कारोबार पर नकेल नहीं कसी जा सकी.

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एक नजर बीते सालों में हुए पटाखा फैक्ट्री में हुए धमाकों पर...

  • बीते साल दिवाली के मौके पर अक्टूबर 2018 में बदायूं में सिविल लाइन के रसूलपुर गांव में चल रही अवैध पटाखा फैक्ट्री धमाका में 8 की मौत, 7 घायल.
  • अक्टूबर 2018 में मेरठ के लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र में अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाके के साथ लगी आग. फैक्ट्री में लगी आग से 4 घायल.
  • जून 2018 लखनऊ के काकोरी इलाके में अवैध पटाखा गोदाम में लगी आग से गोदाम मालिक समेत 4 की मौत, 7 घायल.
  • साल 2018 गाजियाबाद के लोनी इलाके के ट्रॉनिका थाना क्षेत्र के गड़ी सब्लू गांव में अवैध पटाखा फैक्ट्री में लगी आग. 10 दमकल की गाड़ियों की मदद से आग पर पाया गया काबू, तीन मामूली घायल.
  • अक्टूबर 2016 में वाराणसी के लल्लापुरा इलाके की अवैध पटाखा फैक्ट्री में पांच की मौत, चार घायल.
  • लखनऊ के चिनहट इलाके में साल 2014 बाइक से अवैध फैक्ट्री से पटाखा ले जा रहे दुकानदार की मामूली रगड़ से धमाका, व्यापारी की मौत, पत्नी व एक बच्चा घायल.
  • मऊ के आजमगढ़ मोड़ पर पटाखे की दुकान पर मामूली लापरवाही से लगी आग और दो की मौत, दो घायल.
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यह आंकड़े तो बानगी भर हैं. ऐसे तमाम हादसे उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिले और शहरों में बीते सालों में हुए हैं. हर हादसे के बाद डीजीपी मुख्यालय से लेकर गृह विभाग तक सभी जिला कप्तानों और जिलाधिकारियों को इन अवैध पटाखा कारोबारियों पर सख्त कदम उठाने के निर्देश जारी करता है, लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन यह सब महज फर्ज अदायगी ही है, जमीनी हकीकत में इस अवैध पटाखा कारोबार पर नकेल कसने की न तो सरकार के पास कोई योजना है और न ही कोई मंशा.

Intro:यूपी के अवैध पटाखा कारोबार पर सरकार की कोशिशों के बावजूद लगाम नहीं लग पा रही। साल दर साल कभी पटाखा फैक्ट्री में विस्फोट तो कभी पटाखा गोदाम में धमाकों ने दर्जनों जाने ली है। लेकिन हर घटना के बाद फर्ज अदायगी वाले आदेश निर्देश जारी कर शासन प्रशासन अपनी जिम्मेदारी से आंखें मूंद लेता है।


Body:भदोही के रोहता बाजार में घर के अंदर चल रही अवैध पटाखा फैक्ट्री के विस्फोट ने 13 लोगों की जान ली और आधा दर्जन घायल हो गए। धमाका इतना तेज था कि काम करने वाले मजदूरो के शव 100 मीटर दूर तक पड़े मिले तो वही धमाके से आसपास बने मकान तक हिल गए।

भदोही की अवैध पटाखा फैक्ट्री में हादसा ना तो पहला हादसा है और शासन प्रशासन के रवैए को देखते हुए आखरी हादसा भी नहीं माना जा सकता। इससे पहले भी वाराणसी गाजीपुर लखनऊ भदोही बदायूं में हादसे हुए और लोगो की जाने गई लेकिन अवैध पटाखे के कारोबार पर नकेल नहीं कसी जा सकी।

पहले एक नजर बीते सालों में हुए पटाखा फैक्ट्री में हादसा धमाकों पर...

बीते साल दिवाली के मौके पर अक्टूबर 2018 में बदायूं me सिविल लाइन के रसूलपुर गांव में चल रही अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाका.. 8 की मौत.. 7 घायल।

अक्टूबर 2018 में ही मेरठ के लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र में अवैध पटाखा फैक्ट्री में धमाके के साथ लगी आग। पटाखा फैक्ट्री में लगी आग से 4 घायल।

जून 2018 लखनऊ के काकोरी इलाके में अवैध पटाखा गोदाम में लगी आग से गोदाम मालिक समेत 4 की मौत 7 घायल।

लखनऊ के चिनहट इलाके में साल 2014 बाइक से अवैध फैक्ट्री से पटाखा ले जा रहे दुकानदार की मामूली रगड़ से धमाका, व्यापारी की मौत, पत्नी व एक बच्चा घायल।

साल 2018 गाजियाबाद के लोनी इलाके के ट्रॉनिका थाना क्षेत्र के गड़ी सब्लू गांव में अवैध पटाखा फैक्ट्री में लगी आग। 10 दमकल की गाड़ियों की मदद से आग पर पाया गया काबू। तीन मामूली घायल

october 2016 में वाराणसी के लल्लापुरा इलाके की अवैध पटाखा फैक्ट्री में पांच की मौत चार घायल

मऊ के आजमगढ़ मोड़ पर पटाखे की दुकान पर मामूली लापरवाही से लगी आग और दो की मौत दो घायल।

यह आंकड़े तो बानगी भर हैं। ऐसे तमाम हादसे उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिले और शहरों में बीते सालों में हुए हैं। हर हादसे के बाद डीजीपी मुख्यालय से लेकर गृह विभाग तक सभी जिला कप्तानों और जिलाधिकारियों को इन अवैध पटाखा कारोबारियों पर सख्त कदम उठाने के निर्देश जारी करता है, लापरवाही बरतने वाले पुलिसकर्मियों पर कार्यवाही की जाती है। लेकिन यह सब महज फर्ज अदायगी। जमीनी हकीकत में इस अवैध पटाखा कारोबार पर नकेल कसने की ना तो सरकार के पास कोई योजना है और ना ही कोई मंशा।


Conclusion:भदोही में हुए हादसे पर भी कप्तान ने थानेदार समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया। डीजीपी मुख्यालय ने भी आईजी रेंज से रिपोर्ट तलब की है। लेकिन सवाल इस बात का है कि क्या हादसे के बाद कार्रवाई से घटनाऐ रोकी जा सकती हैं या फिर अफसर महज अपनी कुर्सी बचाने के लिए कार्रवाई का डंडा चलाते हैं।

संतोष कुमार 9305275733
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