लखनऊ : यूपी में जीका वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं. कानपुर में स्थिति बिगड़ रही है. यहां 13 नए मरीज मिले हैं. वहीं, लखनऊ में एक और मरीज वायरस की चपेट में आ गया है. 24 घंटे में 14 नए रोगी मिले हैं. ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कांटेक्ट ट्रेसिंग-टेस्टिंग तेज कर दी है. शहर के करीब चार हजार घरों में रहने वाले परिवारों की जांच की गई है. लखनऊ के अस्पतालों में बेड रिजर्व कर दिए गए हैं.
यूपी में कोरोना के बाद डेंगू, मलेरिया और स्क्रबटाइफस ने कहर मचाया है. डेंगू का हमला अभी थमा नहीं है. वहीं, जीका वायरस ने नई मुसीबत बढ़ा दी है. कानपुर में लगातार जीका वायरस के मरीज मिल रहे हैं. अब तक सैकड़ों सैंपल लैब भेजे जा चुके हैं. संचारी रोग निदेशक डॉ जीएस बाजपेई के मुताबिक कुल 14 नए मरीज मिले हैं. इसमें 13 कानपुर व एक लखनऊ का है. अभी कन्नौज में एक ही पुराना केस है. अब कुल 125 मरीज हो गए हैं. इनमें से कई ठीक भी हो गए हैं. लखनऊ की नई मरीज लालकुआं निवासी 46 वर्षीय महिला है. स्वास्थ्य विभाग की टीमों ने शहर के करीब चार हजार घरों में रहने वाले परिवारों की जांच की है.
डीजी हेल्थ डॉ. वेद व्रत सिंह ने निर्देश दिए हैं कि बुखार के जिन मरीजों में डेंगू- मलेरिया या कोरोना की जांच में पुष्टि न हो और समस्या लगातार बनी हुई है, ऐसे में उस मरीज का जीका वायरस का टेस्ट अवश्य कराएं. लखनऊ में 100 से अधिक लोगों के सैम्पल लिए गए हैं. फॉगिंग कराई जा रही है. लोकबंधु अस्पताल में तीन बेड, सिविल अस्पताल में 15 बेड रिजर्व किए गए हैं. सीएमओ ने केजीएमयू, लोहिया संस्थान में बेड रिजर्व करने को कहा है.
संचारी रोग निदेशक डॉ. जीएस बाजपेई के मुताबिक डेंगू मच्छर से ही जीका वायरस फैल रहा है. डेंगू के लिए दोषी मादा एनाफिलीज मच्छर ही जीका वायरस का वाहक है. ऐसे में नगर मलेरिया टीम व जिला मलेरिया विभाग की टीम को निर्देश जारी कर दिए गए हैं. वह मरीज के घर में स्प्रे कर रहे हैं. साथ ही बाहर भी एंटी लार्वा का छिड़काव कर रहे हैं. इसके अलावा घरों में मच्छरों के जो सोर्स हैं, उसे नष्ट किया जा रहा है. साथ ही टीम लार्वा का सैंपल संग्रह कर लैब भेज रही है. इसके अलावा नगर निगम की टीम फॉगिंग कर रही है.
जीका वायरस का संक्रमण डेंगू फैलाने वाले मच्छर से होता है. गर्भवती महिलाओं के लिए यह अधिक खतरनाक है. यही नहीं गर्भस्थ शिशु के मस्तिष्क का विकास में भी बाधक है. हालांकि इसकी मृत्यु दर कम है. पहली बार वर्ष 1952 में अफ्रीका के जंगल में एक लंगूर में जीका वायरस मिला. वर्ष 1954 में इसे वैज्ञानिकों ने विषाणु करार दिया. वर्ष 2007 में एशिया और वर्ष 2021 में केरल और महाराष्ट्र में केस मिले. विशेषज्ञों के मुताबिक 60 फ़ीसदी संक्रमितों में रोग के लक्षण नहीं उभरते हैं.
प्रमुख लक्षण
- हल्का बुखार
- शरीर में दाने
- लाल चकत्ते
- सिर दर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- जोड़ों में दर्द
- आंख में लाली
- थकावट
- घबराहट
ये हैं बचाव
- खुद को मच्छरों से बचाएं
- शरीर को फुल आस्तीन कपड़ों से ढक के रखें
- मच्छरों को घर के आसपास पनपने न दें
- गर्भवती महिलाओं को खास तौर पर मच्छरों से बचाएं
- घर में टूटे बर्तन, टायर , कूलर में पानी भरा न रहने दें