लखनऊ : गोरखपुर विश्वविद्यालय में हुए घटनाक्रम को लेकर उच्च शिक्षा विभाग के शिक्षकों में काफी रोष व्याप्त है. शिक्षकों का कहना है कि 'जो हुआ वह काफी गलत है, लेकिन छात्र हितों को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन को अपना रूप बदलना चाहिए. लुआक्टा ने विद्यार्थियों से मनमाफिक फीस वसूली को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं. शिक्षक संघ ने इस मामले को लेकर देश के रक्षामंत्री तक से हस्तक्षेप करने की गुहार लगाई है.
लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ (लुआक्टा) के अध्यक्ष डॉ मनोज पांडे ने बताया कि 'गोरखपुर विश्वविद्यालय में जो घटना हुई है वह निंदनीय है. शिक्षक संघ इस घटना की निंदा करता है. स्थिति क्यों आई है, इस पर भी विचार करना चाहिए. आज विश्वविद्यालयों में पढ़ रहे विद्यार्थियों से मनमाफिक फीस वसूली जा रही है. उन्होंने बताया कि सरकार ने जुलाई 2022 में सभी राज्य विश्वविद्यालयों में परीक्षा फीस एक समान तय कर दी थी, इसके बाद भी लखनऊ विश्वविद्यालय अपने कैंपस व संबद्ध जिलों के कुल 545 डिग्री कॉलेजों में पढ़ रहे विद्यार्थियों से शासन की ओर से तय किया गया परीक्षा शुल्क नहीं ले रहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन इसे लागू करने से कतरा रहा है, जिसके कारण गरीब विद्यार्थियों पर परीक्षा शुल्क का भार बढ़ रहा है. इसके अलावा सत्र 2023-24 की प्रवेश प्रक्रिया में विश्वविद्यालय की ओर से प्रति छात्र पंजीकरण शुल्क के नाम पर ₹100 फीस लिया जा रहा है, जबकि विश्वविद्यालय प्रशासन हर विद्यार्थी से प्रवेश के बाद पंजीकरण के नाम पर ₹1000 शुल्क अलग से लेता है, इसके बाद भी ₹100 फीस अलग से लेने का कोई औचित्य ही नहीं है. उन्होंने बताया कि इन सभी को लेकर कई बार कुलपति व विश्वविद्यालय स्तर पर बात हो चुकी है, लेकिन कोई रास्ता नहीं निकल रहा है.'
डॉ मनोज पांडे ने बताया कि 'इसको देखते हुए हमने लखनऊ के सांसद व देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को लखनऊ विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों के साथ हो रही अधिक फीस वसूली को लेकर ज्ञापन सौंपा है. उन्हें विश्वविद्यालय की मौजूदा गतिविधियों से भी अवगत कराया है. अगले चरण में विधायकों और सांसदों को ज्ञापन सौंपेंगे. डॉ मनोज पांडे ने बताया कि परीक्षा शुल्क व विद्यार्थियों से आवेदन के नाम पर ₹100 का शुल्क लिया जा रहा है, इसके विरोध में पांचों जिले सीतापुर, लखीमपुर, हरदोई, रायबरेली व लखनऊ के अंतर्गत आने वाले सभी विधानसभा के सदस्यों व पांचों जिलों के सांसदों को इस संबंध में ज्ञापन सौंपकर मौजूदा कार्यप्रणाली से अवगत कराया जाएगा, ताकि वह अपने-अपने विधानसभा के विद्यार्थियों के हित में परीक्षा शुल्क व आवेदन शुल्क कम करने के लिए विश्वविद्यालय से इस संबंध में वार्ता कर विद्यार्थियों पर पड़ रहे आर्थिक दबाव को कम करेंगे.'